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Reena Agrahari

रीना अग्रहरि✍✍✍✍

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देख बादल के झुण्डों को पक्षी सभी, 
बहती हवाओं से वो बतलाने लगे, 
उरख वर्षा की ठण्डी फुहारों को वो, 
प्रफुल्लित गीतों की धुन वो गाने लगे, 

देख ऐसे सुसज्जित वातावरण को तब, 
याद सावन की सबको आने लगी, 
शीतल वर्षा की फुहारों से छनती हवाएँ, 
अपनी आकर्षण से सभी को लुभाने लगी...... ✍✍✍✍

©Reena Agrahari रीना अग्रहरि✍✍✍✍

Reena Agrahari

रीना अग्रहरि✍✍✍✍✍ #DilSeDesi

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Anil Agrahari

अनिल अग्रहरि सागर कवि, लेखक व प्रेरक वक्ता #Shayari

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ANMOL BHASKAR

मां शारदे 💐🙏 निहाल अग्रहरि की कविता

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

कारुरहं ततो भिषगुपलप्रक्षिणी नना ।
 नानाधियो वसूयवोऽनु गा इव तस्थिमेन्द्रायेन्दो परि स्रव ॥

पद पाठ
का॒रुः । अ॒हम् । त॒तः । भि॒षक् । उ॒प॒ल॒ऽप्र॒क्षिणी॑ । न॒ना । नाना॑ऽधियः । व॒सु॒ऽयवः॑ । अनु॑ । गाःऽइ॑व । त॒स्थि॒म॒ । इन्द्रा॑य । इ॒न्दो॒ इति॑ । परि॑ । स्र॒व॒ ॥ 

(कारुः, अहं) मैं शिल्पविद्या की शक्ति रखता (ततः) पुनः (भिषक्) वैद्य भी बन सकता हूँ, (नना) मेरी बुद्धि नम्र है अर्थात् मैं अपनी बुद्धि को जिधर लगाना चाहूँ, लगा सकता हूँ, (उपलप्रक्षिणी) पाषाणों का संस्कार करनेवाली मेरी बुद्धि मुझे मन्दिरों का निर्माता भी बना सकती है, इस प्रकार (नानाधियः) नाना कर्मोंवाले मेरे भाव (वसुयवः) जो ऐश्वर्य्य को चाहते हैं, वे विद्यमान हैं। हम लोग (अनु, गाः) इन्द्रियों की वृत्तियों के समान ऊँच-नीच की ओर जानेवाले (तस्थिम) हैं, इसलिये (इन्दो) हे प्रकाशस्वरूप परमात्मन् ! हमारी वृत्तियों को (इन्द्राय) उच्चैश्वर्य्य के लिये (परि,स्रव) प्रवाहित करें ॥

(Karuh, ego) I have the power of craftsmanship (sic). I can also become a (practitioner) Vaidya again, (Nana) My intellect is meek, that is, I want to direct my intellect, I can plant, (Upalakshrini) who performs the rituals of the stones.  My intellect can also make me the creator of temples, thus (Nanadhiyah), those of my deeds with great deeds (Vasuyaivah), who want to have the greatness, exist.  We (anu, ga:) are (tasthim) going towards high and low as the instincts of the senses, so (Indo) O God of light!  Make our vrittis (sense) flow (pariva, sravana) to the Supreme Being.

( ऋग्वेद ९.११२.३ ) #ऋग्वेद #वेद #कर्मफल_व्यवस्था #कर्मफल #वर्ण #ब्राह्मण #क्षत्रिय #वैश्य #शूद्र

Vikas Sony

समाज समाज और बस समाज

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 समाज समाज और बस समाज

Shayar Samar S M

समाज

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समाज उसी के लिए सबकुछ होता है
जिसके पास कुछ नहीं होता है
समाज उसके लिए कुछ नहीं होता है
जिसके पास सब कुछ होता है

©Shayar Samar S M
  समाज

Sachin Jauhary

समाज

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समाज में परिवर्तन करके
तो देखिए, अगर सफल तो
बधाई हो बधाई
और असफल तो
बेवकुफ कहलाए
जाएंगे।

©Sachin Jauhary समाज

shivam tripathi

#समाज

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जियो तो जियो तुम
 समाज के हिसाब से
 सही गलत पढ़ लो तुम
 बस उनकी ही किताब से
 सपने देखना नहीं
 जला देंगे वरना यह 
तुझको तेरे  सपनों संग 
तानो के तेजाब से। #समाज

कवि कुमार रोहित

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