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दिल-ऐ-मुसाफ़िर!
पुरनम आँखे अब किस अहबाब को देखे, दफ़्तर-ऐ-गुल के उजड़ जाने पर किस ख्वाब को देखें! मचलती रही एक महफ़िल एक शमा के सहारे, नुजूम के टूट जाने पर किस आफ़ताब को देखे! नौहा करती होगीं कफ़न की हर सूत मेरी, मय्य्यत पर पड़े हैं अब किस इत्तेफाक को देखे! होगा कंही “मुसाफ़िर” जो कल तक रोकता था, औराक-ऐ-परेशाँ फट गए अब क्या कातिब को देखें!! पुरनम- filled with tears अहबाब-dear ones दफ़्तर-ऐ-गुल- bed of flower नुजूम-Stars नौहा-mourning औराक-ऐ-परेशाँ-scattered pages कातिब-writer
Shabana Nafees
ख़्वाहिश यूँ है कि चश्म पुरनम और नफ़्स तिफ़्ल जैसा हो मेरे ख़ालिक़, तेरी अज़मत में मेरा कोई तो सजदा ऐसा हो 24/6/20 my prayers are seldom devoid of self centeredness. I wish my one prayer to be very pious very pure in my entire life. चश्म - eye
Shwet Kavya Srijan
Shwet Kavya Srijan
........... #newbeginning #newwritersclub #happynewyear #newstart एक नया सा जहाँ बसायेंगे. शामियाने नये सजायेंगे.. जहाँ खुशियों की बारिशें होंगी. गम की
प्रशान्त कुमार"पी.के."
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
वज़्म़ में आना उधर तो आज हमदम तय करेगा । बाद उसके दिल हमारा साज सरगम तय करेगा ।।१ मैं जिऊँगा या मरूँगा आज मौसम तय करेगा । है उसी के हाथ जीवन देख पुरनम तय करेगा ।।२ आस मुझको है अभी बाजारुँ रिश्तों से सभी । खोल कर मैं जख्म़ बैठा बात मरहम तय करेगा ।।३ चुप नहीं मैं भी रहा दस्तूर उनका देखकर यह । जीत की ले लो बधाई बाद परचम तय करेगा ।।४ रात भर रोता रहा हूँ याद में उसकी तड़प कर । भोर कितनी साँस बाकी यार का गम तय करेगा ।।५ मैं जमीं तू आसमाँ है कह रहा सबसे यहाँ वह । कौन किसके बिन जिया है आज शबनम तय करेगा ।।६ झूठ क्या है आज ये तो फैसला होकर रहेगा । चाँद किसका है जुदा आज मातम तय करेगा ।।७ १७/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR वज़्म़ में आना उधर तो आज हमदम तय करेगा । बाद उसके दिल हमारा साज सरगम तय करेगा ।।१ मैं जिऊँगा या मरूँगा आज मौसम तय करेगा । है उसी के हाथ जीव
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
अहले सुखन पे खुलता है ये हुनर तलातुम में आने के बाद, जैसे जहन से मिटता है गम मरहम रखने के बाद//१ फना हो जाएंगे हम बाहम हो जाने के बाद,तमाम हो जाएगा ये सफरे हयात पुरनम हो जाने के बाद,//२ तुम एक निगाह देख लो मेरी निगाह से,वगरना निगाहे तलाशेगी तुमको मेरे चश्म के बंद हो जाने के बाद//३ जुदाई भी लगे मुश्किल,और वस्ल भी लगे नामुमकिन, तुम मिल ही जाओ,क्या रखा है,हिज्र में मर जाने के बाद//४ जमाने की मसर्रत को बाहों में समेटे सारे गमजे भुला डालू ",शमा खुशियां मना लो,कही वक्त ना मिले वक्त निकल जाने के बाद//५ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak #NojotoStreak अहले सुखन पे खुलता है ये हुनर तलातुम में आने के बाद,जैसे जहन से मिटता है गम मरहम रखने के बाद//१ फना हो जाएंगे हम बाहम हो जाने
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
हाय मेरी चलते चलते रुकती सांसे,उफ्फ मुझको बुलाती रहती तेरी हरदम सांसे//१ मेरे दिल के गुलिस्तान में ये रुकती सांसे,तुम*मुकद्दस *सहीफे हो,के महफूज है इस*जुजदान में तेरी पूरनम सांसे//२ किस्सा हुआ पूरा,और बुझ गई मेरी सांसे,के इस मंजरे चिता में जलती रही,तेरी सरगरम सांसे//३ बारहा कुछ मुझको भी लेनी पड़ी ऐसी साँसें, जिसमे लेती रही हिचकोले तेरी खुश्कदम सांसे //४ ज़बां से नहीं,रूह से निकलती*लरजती मेरी नज़्म की सांसे,शमा के जहन में कई दिन से होती रही*जेर _जबर तेरी बेदम सांसे//५ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #chalte_chalte हाय मेरी चलते चलते रुकती सांसे,उफ्फ मुझको बुलाती रहती तेरी हरदम सांसे//१ मेरे दिल के गुलिस्तान में ये रुकती सांसे,तुम*मुकद्द
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
रिश्ते*रक़ीब हैं,के मेरा नाम शमीम है, ये हमनफस*अदू तो मेरी हमदम शमीम है//१ खुश सुखन,खुश कलम मेरी शमीम है,फकत छूकर तो देख,ये छुईमुई शबनम,मेरी शमीम है//२ क्यू सबको लग रहा है कोई रश्क शमीम है,ये खुशखल्क आबरू,मेरी हमकदम शमीम है//३ अपनो के तंजकशी की अब मुझको नहीं चुभन ये सारी तंजकशी की,मेरी मरहम शमीम है//४ मदमस्त हो चुके है,ये दिले आशना,हुई पीके जामे इश्कम,मेरी पुरनम शमीम है//५ लबरेज़ है खुलूसे उल्फत अब भी इसी वतन में के सारे मजहबों का संगम,मेरी शमीम है//६ "अख्तर"पहनके पैजनियां करने लगी हैं रक़्स, मैं नगमाए इश्क हूं,मेरी सरगम शमीम है//७ shamawritesBebaak - ©shamawritesBebaak_ #Nojotostreak इश्क नाम है मेरा.. रिश्ते*रक़ीब हैं,के मेरा नाम शमीम है,ये हमनफस*अदू तो मेरी हमदम शमीम है//१ खुश सुखन,खुश कलम मेरी शमीम है,फक
प्रशान्त कुमार"पी.के."
बहनों की राखी, भाई का प्यार.... हो गया सूना संसार.. आंखे पुरनम बहती धार पूछे हमसे बार बार बोलो वो सब कहाँ गए..... सूनी गलियां बसंत बहार सूना फागुन रंग की बौछार पूछे हमसे बार बार बोलो वो सब कहाँ गए... बूढ़ी मां की आंख का तारा.. बूढ़े पिता का एक सहारा.. नाव फंसी बीच मझधारा ढूंढे मिलता नही किनारा.. बोलो वो सब कहाँ गए बच्चों की वो सर की छाया ज्यों आगे पीछे हो साया छुट्टी में क्यों घर न आया एक मासूम समझ न पाया बोलो माँ वो कहाँ गए.. हाथों की भी न छूटी मेहंदी.. सर से भी न उतरी बेंदी.. निरपराध मासूम बाग की जीते जी ही बलि क्यों ले ली.. पूछे "पी.के." सब कहाँ गए... हाय विधाता तेरी माया कैसा कहर ये तूने ढाया... क्या तुझे न्याय और अन्याय कुछ समझ न आया... बहनों की राखी, भाई का प्यार.... हो गया सूना संसार.. आंखे पुरनम बहती धार पूछे हमसे बार बार बोलो वो सब कहाँ गए..... सूनी गलियां बसंत बहार