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दीपा साहू "प्रकृति"
'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुंध कैसी छा गई। रास्ते अपरिचित है नज़र गली तुम्हारी वो कहाँ गई बरस बीत गए आँखों में नमी, है सिकन की एक रेखा आ गई। है खंडहर सी पड़ी ये दीवारें, संग रंग सारे बिखरा गई। तुम नहीं मिले कहीं,वो घर तुम्हारा एक ताला देख मन भरमा गई। किसी उम्मीद में कि तुम मौजूद होंगे, नामौजूदगी तुम्हारी वहाँ समा गई। कि उल्टे कदम लौट आने लगे, तभी मौत की तुम्हारी खबर आ गई। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #poetry #love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुं
KUNWA SAY
तेरी यादों को पसंद आ गयी मेरी आँखों की नमी हँसना चाहूँ भी तो रुला देती है तेरी कमी । ©KUNWA SAY #Hope तेरी यादों को पसंद आ गयी मेरी आँखों की नमी हँसना चाहूँ भी तो रुला देती है तेरी कमी ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल:- जो पढ़ाते पाठ थे की सादगी क्या चीज है । भूख ने उनको सिखाया बेबसी क्या चीज है ।।१ कौन समझाये बताओ मूर्ख इस इंसान को । खा गये हैं जानवर तो आदमी क्या चीज है ।२ हौसलों ने पाल रख़्खा हो जिसे इस दौर में । पूछियेगा फिर न उससे कीमती क्या चीज है ।।३ गर्दिशो से उठ के ऊपर फैसले जिसने लिए । ज़िन्दगी उनको सिखाती लाज़मी क्या चीज है ।।४ ठोकरें खाकर सँभलता जो यहाँ इंसान अब । जानता वो ही यहाँ पर ज़िन्दगी क्या चीज है ।।५ लूटकर घर भर लिए हैं देख लो खादिम यहाँ । अब नहीं तुम कह सकोगे की कमी क्या चीज है ।।६ प्यार गर दिल से प्रखर तो भूल जा ये दर्द भी । यार जो हँसकर मिलें तो ये नमी क्या चीज है ।।७ २०/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- जो पढ़ाते पाठ थे की सादगी क्या चीज है । भूख ने उनको सिखाया बेबसी क्या चीज है ।।१ कौन समझाये बताओ मूर्ख इस इंसान को । खा गये हैं जानवर
Saani
कदमों से दूर ये ज़मी नहीं जाती। तेरे बगैर अब तो रही नहीं जाती।। दूर दूर रहने लगे हो जब से तुम। मेरी आंखों की नमी नहीं जाती।। तुम बेवफा हो मगर शान से रहो। तेरी उदासी अब देखी नहीं जाती।। चैन कहाँ है मुझको अब तेरे बगैर। मेरे दिल से तेरी कमी नहीं जाती।। आपबीती अब सुनाऊं भी किसको। ये ग़म किसी से कही नहीं जाती।। खाई कसम साथ जीने मरने की। तेरी जुदाई अब सही नहीं जाती।। "सानी" किस्मत पर क्यों न रोए अब। ज़ख्म ये सीने की भरी नहीं जाती।। (Md Shaukat Ali "Saani") ©Saani कदमों से दूर ये ज़मी नहीं जाती। तेरे बगैर अब तो रही नहीं जाती।। दूर दूर रहने लगे हो जब से तुम। मेरी आंखों की नमी नहीं जाती।। तुम बेवफा हो
Sushil Kumar
अर्ज़ किया है – आँखों में नमी थी, और विटामिन की कमी थी। वाह !! वाह !! जिस से रात भर Chatting की वो , girlfriend की मम्मी थी . ©Sushil Kumar #Tulipsअर्ज़ किया है – आँखों में नमी थी,
Rameshkumar Mehra Mehra
अनमिका..............💕 ©Rameshkumar Mehra Mehra # तेरे नाम होने से बस, इतनी सी कमी रहती है, मै लाख मुस्कुराऊ, आंखो में नमी सी रहती है...अनामिका....💕
TpK
फ़िक्र होती उनकी आँखों में तो नमी का होना तय था हम तो इश्क में ठगे से रह गए उनके दिल में हमारे नाम का एक आक्छर भी ना था कहते हैं पत्थर दिल होते हैं मर्द सारे पर उनके लिए मेरे आँखों में नमी कियों था ©TpK नमी कियो था ........❤💔 #oncemore #life #love #shayari #nojoto #writer #sad #hindi #money #Isolation
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अहिंसा छन्द 212 122 2 आपकी दया होगी । राम की कृपा होगी ।। पास में हँसी होगी । आँख में नमी होगी ।। दूर से निहारेगा । पार वो उतारेगा ।। भूल तो न जायेगा । दौड़ पास आयेगा ।। कर्म ही तुम्हारा है । भाग्य जो सँवारा है ।। देख लो पुकारा है । आज जो सहारा है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहिंसा छन्द 212 122 2 आपकी दया होगी । राम की कृपा होगी ।।
Bharat Bhushan pathak
lovefingers राम नाम तुम जपो भक्ति धूप में सदा तपो। राम ही सार हैं पार लगाते मझदार हैं।। मंत्र यंत्र तंत्र राम नाम सफल करे काम। अर्थ ये है वही ना लगे जिसका दाम।। ©Bharat Bhushan pathak #lovefingers राम नाम तुम जपो भक्ति धूप में सदा तपो। राम ही सार हैं पार लगाते मझदार हैं।। मंत्र यंत्र तंत्र राम नाम सफल करे काम। अर्थ ये है