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Vickram
अगर इंसान हैं तो गलतफहमियां भी होंगी ही अच्छा है शक भी सबूत के होते करें हमेशा तेरे शक ने मेरे यकीन को और गहरा कर दिया,, तेरे शक ने जताया तुम्हें हमसे कितना प्यार है ©Vickram शक्की मिजाज,,
RAYEES RABBANI
दुनियाँ तो शक्क़ी हैं ही आप तो अपने थे।। #शक्की #अपने_तो_अपने_होते_हैं
RAGHAV SHARMA
बहोत हो गयी ये रोज-रोज की कीच-कीच चलो इसे खत्म करते है। अब हम तुम्हें अपने फ़ोन से ओर जिंदगी से forever के लिए block करते हैं। ©RAGHAV SHARMA #शक्की गर्लफ्रैंड #touchthesky
SK Singhania
कच्चे कान, शक्की नजर, और कमज़ोर मन, इंसान को अच्छी समृद्धि के बीच भी "नरक" का अनुभव कराता है 🙏सुप्रभात🙏 #Skg #सुनिल_कुमार ©SK Singhania #lonely कच्चे कान, शक्की नजर, और कमज़ोर मन, इंसान को अच्छी समृद्धि के बीच भी "नरक" का अनुभव कराता है 🙏सुप्रभात🙏 #SKG #सुनिल
Yogesh Suthar
दिव्य प्रभात🙏🏻 - कच्चे कान - शक्की नजर और - कमज़ोर मन इंसान को “अच्छी समृद्धि” के बीच भी नरक का अनुभव कराते हैं..😌 If you find anyone of them around you....kill them.. HAPPY SOUL YATRA♥️ दिव्य प्रभात🙏🏻 - कच्चे कान - शक्की नजर और - कमज़ोर मन इंसान को “अच्छी समृद्धि” के बीच भी नरक का अनुभव कराते हैं..😌
yogesh atmaram ambawale
"कुणासाठी लिहिलं" ? लिहिण्याची आवड म्हणून कधीतरी लिहीत असतो, लिहिताना ही प्रेमकाव्या वरच जास्त भर असतो, पण आता लिहिणं थोडं कमी केलं आहे, कारण, "कुणासाठी लिहिलं" हे ती विचारत असते, जिच्यासाठी मी हे काव्य लिहिलेले असते. पण राग नाही मानत मी, मन माझे समजत असते. शक्की नाही ती बस तिचे प्रेम जरा जास्तच असते. ह्या प्रेमखातरच "कुणासाठी लिहिलं" असे ती विचारत असते. कुणासाठी लिहिलं ? #कुणासाठी #yqtaai #yqmarathi #मराठीकविता #तुझ्यासाठी #yourquotetaai लिहिण्याची आवड म्हणून कधीतरी लिहीत असतो, लिहिताना ही प
Shree
बहुत कुछ सह लेते हैं, मर्द भी कहां आसानी से मर्द बने रहते हैं... पिता, पुत्र, भाई, सखा, पति बनते हुए... खुद को वो भी भूल ही जाते हैं। दूरियों के मुसाफ़िर बहुत कुछ सह लेते हैं, मर्द भी कहां आसानी से मर्द बने रहते हैं... पिता, पुत्र, भाई, सखा, पति बनते हुए... खुद को वो भी भू
Roopanjali singh parmar
#OpenPoetry मर्द को दर्द होता है (कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) अकसर आप, मैं और हम सभी स्त्रीत्व और स्त्रियों के अस्तित्व पर चर्चा करते हैं या उनके विषय पर लेख या कथा , कहानी पढ़ते और लिखते हैं। लेकिन क्यो
Roopanjali singh parmar
मर्द को दर्द होता है (कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) #रूपकीबातें #Roopanjalisingh अकसर आप, मैं और हम सभी स्त्रीत्व और स्त्रियों के अस्तित्व पर चर्चा करते हैं या उनके विषय पर लेख या कथा , कहानी पढ़ते और लिखते हैं। लेकिन क्यो