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YATRI यात्री
येस्तै रैछ जिन्दगी मैले सार भेटेन🍁 बारम्बार हार,लडेर उठ्दानी मैले जित देख्यन🍁 साहारा कलम,कापिका पाना बाहेक अरुको अधि मैले पीडा पोख्यन🍁 अनगिन्ती पीडा,मस्तिष्कमा माकुराको जालो,मुहारमा मुस्कान मेरो शोक हैन🍁 चारैतिर सुन्यता,सुन्यताको बीचमा म एक्लो,सायद भाग्यरेखी मेरो हातमा छैन 🍁 यात्री0✌️❣️ #अन्तिम_बोलि
YATRI यात्री
मेरा चाहाना पनि ती मृत देह सरि चितामा जलि गए🍁 मेरा भावना पनि ती बस्तुमा भएका अस्तु सरि बगी गए🍁 peace✌️onelove❣️अन्तिम बोलि🍁यात्री0🌹 #अन्तिम_कुरा
करिश्मा ताब
विधवा सफेद रंग हां यही वो रंग है जब उसके बदन पर लपेटा जाता है कटी पतंग सी होती जाती है ज़िंदगी विधवा होना ही अपने आप में एक गुनाह. सरीखा होता है अजीब रस्म बनाई है समाज ने पति ज़िन्दा है तो उसके हैं सब रंग पति के जाते ही दुनिया बेरंग जो कल तक सौभाग्यशाली कही जाती थी आज उसकी परछाईं को भी घूरती सवालिया नजरें उस औरत की सारी इच्छायें और खुशी सब पति के होने पर निर्भर करती हैं कल तक जिन रंगों पर जान छिड़कती थी आज उन रंगों पर नजर पड़ते ही उसकी जान जाती रहती है मन के भीतर उसने दर्द की गठरी बाँध रखी है कहे भी किससे ?जिससे कहती थी हर दुःख सुख वो गया ऐसा की समाज उसे अभागी विधवा कहता है स्वयं के सपने तो भूल ही गयी वो उसकी बिंदी- टिकली चूढ़ियां सब छूटे उसके किसी अजनबी से जरा हँस कर बात क्या कर ले उसके चाल -ढाल और चरित्र का प्रमाण अपेक्षित रहता है बच्चों की जिम्मेदारी संग जीती है उनका हौंसला बन बेशक खुद की ख़्वाहिश को हर रात मरते देखती है आसान नहीं विधवा रूप मे ज़िदा तिल तिल आपेक्षित मरना ©®करिश्मा राठौर #अन्तर्राष्ट्रीय_विधवा_दिवस
Archana Chaudhary"Abhimaan"
हर पल बिखरती जा रही मैं कुछ टूट रहा मुझमें, कुछ छूट रहा मुझसे। जाने क्यों लोग समझ नही पाते मुझे जाने क्या मैं समझा नहीं पाती सबको। शायद मेरे वजूद का कोई महत्व नहीं। शायद मैं किसी के काबिल नही। अब मेरे सब्र की हद टूट रही मैं खुद से भी छूट रही बहुत कोशिश कर रही समेटने की। शायद मेरे जीवन का अंत निकट आ गया। शायद अलविदा कहने का वक्त आ गया। #अन्त_जीवन_का_सार
Mr.medico
जरा बताना दोस्तों... #ख्वाहिश_और_ख़्वाब में अन्तर क्या है, ✌️इनको पूरा करने का मन्तर क्या है ? #अन्तर_मन्तर
#अन्तर_मन्तर #विचार #ख्वाहिश_और_ख़्वाब
read moreAshish Mishra
अंतरिक्ष में मेरा घर होगा तो क्या बतायें कैसा होगा। उस घर में एक झूला होगा।जो तारों की छांव में होगा और कभी-कभी चाँद को देखकर गीत गुनगुनाया करेंगे।और कभी अगर ठण्ड लगेगी तो सूरज के पास बिस्तरा लगा लिया करेंगे और जब खेलने का मन क्या करेगा तो बादलों से बर्फ़ के गोले बना कर खेल लिया करेंगे। #अन्तरिक्ष_में_घर
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
असीमित की व्याख्या सीमित करता है अनन्त की व्याख्या नंत करता हैं अपरिमित की व्याख्या परिमित करता हैं ब्रह्म की व्याख्या जीव करता हैं इसीलिए आजतक इन तत्वों की उचित व्याख्या हो ही नही पाई है और ना ही कभी हो सकती हैं इन तत्वों पर आई आजतक की सब व्याख्या झूठी हैं, भटकाने वाली हैं, चाहे जिसके द्वारा हो । जो मात्र ध्यान के द्वारा, सम्बोधि के द्वारा ,मौन के द्वारा महसूस किया जा सकता हैं, उसके लिए परिमित ने दुनिया भर का झूठा व्याख्यान दे डाला और तमाम तरह के झूठे तरीके गढ़ डाले ।। अन्तन
अन्तन #विचार
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