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INDIA CORE NEWS
अदनासा-
Men walking on dark street निरंकुश हर सत्ता को जनता का जवाब जनता को पंगु बनाती फ्री का राशन, और फ्री विद फियर का भाषण नही, मेहनत के बुते कमाई हुई दाल रोटी, काम, मकान और रोज़गार चाहिए। हमें अनेकों धार्मिक स्थलों से ज़्यादा, महाविद्यालय और अस्पताल चाहिए, लघु परंतु प्रभावी व्यवसाय के साथ, अच्छी शिक्षा अच्छा शासन चाहिए। ये जात-पात ऊंच-नीच की जंग नही, मानवता एवं एकता का संग चाहिए, लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही नही, एक और लाल बहादुर शास्त्री चाहिए। ©अदनासा- #हिंदी #भाषण #लोकतंत्र #देश #शासन #Emotional #नेता #लालबहादुरशास्त्री #Instagram #अदनासा
Bharat Bhushan pathak
मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया है। लुटी बच्चों ,कि है बचपन,सुहागिन माँग सूनी की, भुलाई चैन कितनों ने,किसी की नींद छीनी है। सरल देना ,यहाँ भाषण,लगे आसान भी नारे, मुसीबत तब,यहाँ होती,लहु माँगे,अगर धरती। अहित ना देश का करना,भले हो पेट भी परती।। ©Bharat Bhushan pathak #shaheeddiwas #nojotohindi#nojotopoetry#abhivyakti#23rdmarch मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया
अदनासा-
||स्वयं लेखन||
ram lala ayodhya mandir सूरज, चंदा, तारों में, आँगन,घर द्वार, दिवारों में, घाटी और पठारों में, लहरों और किनारों में, भाषण-कविता-नारों में,गाँव-गली-गलियारों में, चर्चा है अखबारों में,टीवी और बाजारों में। दुल्हन सी सुसज्जित एक अयोध्या नगरी है, जहां केवल जय श्री राम,जय श्री राम की गूंज, गूंज रही है। है चर्चा चहुं ओर राममंदिर की, है विजय ये सनातन धर्म की, ये विजय है बलिदानों की,गौरव की, सम्मान की। जो गौरव के प्रतिमान हैं,जो भारत की पहचान हैं, वो अयोध्या के राजाराम, मेरे प्रभु श्री राम आज पुनः विराजमान हैं। झूम रहे भारतवासी,चहुं ओर प्रसन्नता का उल्लास है, रामभक्तों की आंखों में केवल राम नाम का विश्वास है। जपो राम नाम,जीवन राममय हो जायेगा, राम तेरे तू राम का हो जायेगा। बन जायेंगे तेरे सारे बिगड़े काम,ले एक ही नारा, एक ही नाम, जय श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम। ©Gunjan Rajput सूरज, चंदा, तारों में, आँगन,घर द्वार, दिवारों में, घाटी और पठारों में, लहरों और किनारों में, भाषण-कविता-नारों में,गाँव-गली-गलियारों में, चर
दीप बोधि
जो शख़्स गरीबों का मददगार नहीं है , इन्सान कहाने का वो हक़दार नहीं है। जो शान में नेता की क़सीदे रहे पढ़ता , हरगिज़ वो कोई अच्छा क़लमकार नहीं है। सुनता न रियाया का है दुख-दर्द कभी जो , वो मुल्क़ का मुखिया तो समझदार नहीं है। साज़िश थी रची ऐसी हुए क़त्ल हज़ारों, मुंसिफ़ ने भी ठहराया गुनहगार नहीं है । भाषण में बड़ा तेज कई रँग बदलता , इस मुल्क़ में उस जैसा अदाकार नहीं है । मिलता है गरीबों से वो पोशाक बदल कर, क्यूँ लोग ये कहते वो मिलनसार नहीं है । आज़ाद है अपराध सरेआम जो करता , जो जेल में है बंद ख़तावार नहीं है । ©दीप बोधि 2 2 1 1 2 2 1 1 2 2 1 1 2 2 1. जो शख़्स गरीबों का मददगार नहीं है , इन्सान कहाने का वो हक़दार नहीं है। जो शान में नेता की क़सीदे रह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- परिधानों को समझ रहे हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। परिधानों को समझ रहें हैं .... उनके घटते परिधानों को , देख सदा हूँ चुप होता । मन ही मन चिंतन करता अब , वस्त्र हरण दोष न होता ।। अजब-अजब सी कृतियाँ करके , पहनें जैसे आभूषण । परिधानों को समझ रहे हैं ...... लाज शर्म की बातें करना , व्यर्थ हुआ है इस युग में । मैं हूँ सुंदर मैं हूँ सुंदर , होड़ लगी अब तो जग में ।। सच कहने वाले अब सारे , है उनके लिए विभीषण । परिधानों को समझ रहें हैं.... आज समाज दिशा है बदली , या बदले हैं अब हम ही । शायद खोटी शिक्षा अपनी , जो आज बुरे है हम ही ।। मान लिया हमने गलती यह , देकर इनको अब भाषण । परिधानों को समझ रहें हैं ... परिधानों को समझ रहें हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। २१/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- परिधानों को समझ रहे हैं , कुछ लोग यहाँ आभूषण । जिनको देख कहे अब कुछ तो , अब ये तो हुए कुपोषण ।। परिधानों को समझ रहें हैं .... उनके
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- वह बतलाते हैं धर्म हमें , अब जिनका कोई धर्म नहीं । खेल रहे हैं खूनी होली , क्या कहता उनका कर्म नहीं ।। वह बतलाते हैं धर्म हमें.... कोई बापू बन बैठा तो , कोई चाचा बन बैठा है । दीदी भैया के खेलों में , कोई बेटा बन बैठा है ।। समय समय पर देखा हमने , सब अपना रिश्ता बतलाते । ऐसे रिश्तों में अब तक तो, सुन हमने देखा मर्म नहीं ।। वह बतलाते है धर्म हमें .... भूखी प्यासी जनता सारी , बिलख रही है गली-गली में । इधर-उधर बिखरे पर सारे , तितली बे-सुद पड़ी जमीं में ।। सभी अट्टहस कर ढाढस दें , लो यह पैसे रकम बड़ी है । ऐसा अब इनको कहने में , सुन लो अब आती शर्म नही ।। वह बतलाते है धर्म हमें .... कोई हिन्दू-हिन्दू करता , कोई मुस्लिम-मुस्लिम करता । लेकिन असली पहचान यहाँ , वह धन दौलत से है ढकता ।। भेद बताकर ऊँच-नीच का , वह दूर सभी से है रहता । पर इनके ऐसे भाषण से , किसका होता खूँ गर्म नही ।। वह बतलाते है धर्म हमें ..... जीवन के इस रेस कोर्स में , है यही यहाँ चलने वाला । झूठा स्वार्थी मक्कारी से , अब कौन यहाँ लड़ने वाला ।। आवाज उठी उस कोने से , यह बाबा है चलने वाला । सुन जिसकी आज दहाड़ों में , तो होता लहजा नर्म नही ।। ०४/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- वह बतलाते हैं धर्म हमें , अब जिनका कोई धर्म नहीं । खेल रहे हैं खूनी होली , क्या कहता उनका कर्म नहीं ।। वह बतलाते हैं धर्म हमें...
अदनासा-
नोजोटो को मेरा प्रणाम, हार्दिक मंगलमय शुभकामनाएं एवं अभिनंदन, इस माननीय मंच ने मुझे लिखने की जो आज़ादी दी है, वह मेरे लिए अनमोल है इसलिए मैं नोजोटो और उनसे जुड़े सभी माननीय सदस्य जन को हार्दिक नमस्कार करता हूं, और भविष्य में नोजोटो द्वारा जो नया इतिहास रचा जायेगा, उस महत्वपूर्ण घटना के लिए अग्रिम सप्रेम हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। कभी-कभी भावुकता वश, हिंदी के प्रती उदासीन रह रहे मानसिकता को रेखांकित करता हूं तो मेरे मन में भी आलोचना का भाव आता है, परंतु जब..... क्रमशः लेख कृपया कैप्शन में पढ़ें🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा- #NojotoTurns5 ...भी माननीय मंच नोजोटो के अतिरिक्त अन्य कवि सम्मेलन या मुशायरे में जाता हूं तो लगता है, मैं भारत में हूं मैं भारतीय हूं, और