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DrGovinda Dhurve
मैं जो शहर चला आया बहुत याद मुझे घर का रास्ता याद आया कुछ सुकुं ना मिला मुझे हर बार मुझे मेरा गांव याद आया। #घर_का_रास्ता #Nojoto #NojotoHindi #Thought #Love #गांव
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read moreSeema Sharma
गांव की छत से जो खुला आसमान दिखता है वो शहरों में कही मिल जाए तो बताना हमें भी, तलाश है सुकून की कई अरशों से कही कुएं का पानी मिल जाए तो बताना हमें भी, और ना मिले तो भी कहना चलेंगे उन्ही पगडंडियों से उन्ही संकरे रास्तों पर कही न कही मेरे गांव में आज भी एक कुआं होगा जो प्यास सबकी बुझाता होगा, कोई न कोई आज भी कुलदेव की पूजा नियम से रोज करने मंदिर पर आता होगा, किसी न किसी के घर पर आज भी माटी का चूल्हा होगा जिसपर आज भी कोई खाना पकाता होगा, और जाने या ना जाने तुम्हें तुम अगर वहां पहुंच जाओगे न तो वो तुम्हें प्यार से पायदान लगाकर बिठाएगा, सुखी रोटी होगी ना घर में तो भी वो जो खायेगा वही तुम्हें खिलेगा... ये गांव शहरों में कही मिल पाएगा तो बताना, घुटन होती है कभी कभी शहर की भीड़ में अकेले रहकर वहां बैठेंगे अकेले भी ना तो पूरा गांव हाल पूछने तुरंत चला आएगा...🙂 मेरा गांव... #mywritingmywords #mywritingmythoughts #गांव #याद #love
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read moreudyan raj dev
तू सवंरती हुई कुछ शहर सी, मैं सीधा सादा सा गांव हूँ, तू इठलाती हुई हिरनी जैसी, मैं थका हारा सा पांव हूँ, तू हर रोज एक नई सुबह सी, मैं वही डूबती हुई शाम हूँ, चहकती हुई तू कोयल जैसी, और मैं इन फ़िज़ाओं में गुमनाम हूँ हाँ, मैं सीधा सादा सा गांव हूँ।। -उदयन राज देव गांव#nojoto#sham#love#
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read moreUnique Boy NKD
शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में, सुकून का जीवन बिताना है तो आ जाओ गाँव में. ©Unique Boy NKD गांव #LongRoad #Nojoto #sukun #Love
Ashwani Srivastava
 गांव में पक्की सड़कें मिली पर कच्चे रास्ते गायब थे, ऊंचे,पक्के मकान तो मिले पर पुराने छप्पर गायब थे सावन की कजरी भी गयी और झूले भी गायब थे परम्परा,खेल,त्यौहार नही पहनावे,मेले भी गायब थे स्वार्थी चलन था जोगी,फकीरों के पांव गायब थे आम के बगीचे सूने, पीपल की छांव गायब थे एकाकी परिवार दिखे पर उनमें परिवार गायब थे बच्चे तो बड़े हो गये पर उनमें संस्कार गायब थे खो गयी बड़की बुआ, चाचा,ताऊ भी गायब थे गांव भर को रिश्तों में बांधे वो लोग भी गायब थे हमे गोद उठाने वाले पड़ोसी के मन गायब थे गाँव की सूनी गलियों में मेरे बचपन गायब थे पश्चिमी किचन तो थे पर रसोईघर गायब थे सबमे प्यार,सौहार्द दिखे वो घर भी गायब थे महिलाओं में संस्कारों के परिधान भी गायब थे माता- पिता , बुजुर्गों के सम्मान भी गायब थे अपने हक की चाह में भाई के प्यार गायब थे संपत्ति की चाह में पिता के दुलार गायब थे घरों में ऊंचे गेट थे पर चौखट के चलन गायब थे कमरों में सजावट थी पर घर के आंगन गायब थे मकानों की पट्टियों पर पिता के नाम गायब थे बुजुर्ग पास बैठे वो चौपालों के शाम गायब थे अपने घर तो थे पर बुजुर्गों के मकान गायब थे शहर बनने की चाह में गांवों की पहचान गायब थे ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ हमारी रचना पढ़ने के लिये शुक्रिया कमेंट करके बताइये रचना कैसी लगी ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● By -अश्वनी श्रीवास्तव ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● © Ashwani Srivastava #गांव #मेरा #Love #जिंदगी #MereKhayaal
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