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Ajay Kumar

छोटू दादा #कॉमेडी

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JogiRupSon Sant

छोटू #छोटू #Chotu WOD #poem

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Chotu छोटू 

ये छोटू बडा सुन्दर गुनगुनाता है,
रोज़ सुबह चाय की प्यालियां लाते लाते,
बम्बैय्या भाषा मे सुनाता है कहानियां,
ठिठक जाता है वापस जाते जाते, छोटू
#छोटू #chotu #WOD

Dimple Kumar

Sumit Kumar

#छोटू

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छोटू छोटी -छोटी दुकानों और होटलों में जो छोटू होता है ना, 
वो अपने घर का बड़ा होता है.. #छोटू

तृप्ति

छोटू

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छोटू  कुछ तो है उसकी मजबूरी
 वरना इतनी छोटी सी उम्र में
 यूं ही कौन करता है मजदूरी
 जरा सोचो.......
कैसे वह इतने काम करता है
 आखिर  वो भी तो एक बच्चा है |
 ग्राहकों को चाय पिलाना उसका काम है
 सबके लिए छोटु उसका नाम है |
 मुमकिन हो वह कोई  बेसहारा है
 या किसी के लिए एक अकेला सहारा है 
 जो अपने साथ साथ किसी
 और का पेट पालता है |
 बाल मजदूरी गलत है 
ऐसा लोगों का कहना है
  पर क्या करेंगे वह लोग
 आखिर उन्हीं भी तो जीना है |
 ऊंची  उड़ाने  तो वो भी भरना चाहते हैं
 पर पास  उनके पंखों की कीमत नहीं
 पूरी कर दे  उनके ख्वाबों को
 किसी ऐसे का  सर पर है हाथ नहीं | छोटू

Pooja Mehra poetry

छोटू #OpenPoetry

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#OpenPoetry छोटू 
पुकारते है सब मुझे छोटू 
बस यहीं अब मेरी है पहचान 
बनना तो चाहता था बड़ा 
पर कमा ना सका कोई नाम 
पिता ने छुड़वाया किताबें व स्कूल का बस्ता 
कहा "नहीं है ये सब हमारे बस का"
माँ मेरी करती थी घर घर जाकर 
जूठे बर्तन साफ 
पिता पीते थे दिन भर कच्ची शराब 
मुझे दुःख है पिता मेटे ने नहीं दिया हमारा साथ 
करता क्या मैं, नहीं था घर में आटा दाल 
वो वक्त भी देखा मैंने 
जब हम भूखे ही सो जाते थे 
माँ को पापा दिन रात सताते थे 
उस वक्त का ग़म आज भी है 
चाहता हू अब माँ को हर सुख दूँ 
ग़मो की छाया उस पर फटकने ना दूँ 
क्या हुआ जो पढ़ लिख ना सका 
पर माँ कहती है तू तो वो भी पढ़ गया
 जो कभी सीखा ना था 
@पूजा मेहरा छोटू

तृप्ति

छोटू

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छोटू कुछ तो है उसकी मजबूरी
 वरना इतनी छोटी सी उम्र में
 यूं ही कौन करता है मजदूरी
 जरा सोचो.......
कैसे वह इतने काम करता है
 आखिर  वो भी तो एक बच्चा है |
 ग्राहकों को चाय पिलाना उसका काम है
 सबके लिए  उसका नाम है |
 मुमकिन हो वह कोई  बेसहारा है
 या किसी के लिए एक अकेला सहारा है 
 जो अपने साथ साथ किसी
 और का पेट पालता है |
 बाल मजदूरी गलत है 
ऐसा लोगों का कहना है
  पर क्या करेंगे वह लोग
 आखिर उन्हीं भी तो जीना है |
 ऊंची  उड़ाने  तो वो भी भरना चाहते हैं
 पर पास  उनके पंखों की कीमत नहीं
 पूरी कर दे  उनके ख्वाबों को
 किसी ऐसे का  सर पर है हाथ नहीं | छोटू

Dr. PRAMILA TAK

छोटू....

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मै वही छोटू हूं  ..
 जिसने अपने सपनो को,
 चूल्हे पर जला कर तुम्हे चाय पिलाई़...




हां मै वही छोटू हूं..

 जिसने अपने सपनो की चमक
  तुम्हारे गंदे बर्तनो मे लाई....
 छोटू....

Varsha Shrivastava

छोटू #कविता

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बचपन में ही बड़ा हो गया,
नाम रखा है उसका छोटू,
दुबली पतली उसकी काया,
पर फुर्ती है बड़ी गज़ब की,
दौड़ दौड़ कर गाहक सुनता,
बोली मीठी लगे अदब की
बाप पड़ा है धुत्त नशा कर,
हार चढ़ा है माई फोटू,बचपन में ही बड़ा हो गया,
क्या होता है पढ़ना लिखना,
पढ़ लिख कर एक अफसर बनना,
माई होती तो कुछ करती,
उसे नहीं पड़ता यह करना,
छोटी मुनिया रहेगी भूखी,
नहीं कमाने जाये तो तू,बचपन में ही बड़ा हो गया,
चाय जरा सी छलक गयी थी,
एक साहब के कपड़ों पर,
उसे बहुत डर लगने लगता,
ग्राहक मालिक झगड़ों पर,
साहब के संग एक दुलारा,
उस पर एक खिलौना मोटू,बचपन में ही बड़ा हो गया
कानूनन यदि देखा जाये,
पाबंदी है बालक श्रम पर,
लेकिन छोटू चला रहा है,
पूरा घर ही खुद के दम पर,
यह मालिक यदि रखे नहीं तो,
फिर भटकेगा कहीं पे छोटू
वर्षा श्रीवास्तव "अनीद्या"

©Varsha Shrivastava छोटू

Shreyashi Mishra

छोटू

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नन्ही सी कलाई पर जब मैंने राखी बाँधी थी याद हैं मुझे वो उतारने को उतावला हो गया था ,हाथो में उलझी डोरियों को देख वो लड्डू भी नही खाया था ,बड़ी बड़ी उन आंखों में उस दिन आशू भी आया था।

हो गया हैं अब,थोड़ा बड़ा वो ,राखी का इंतज़ार भी करता हैं ,सबसे सुंदर राखी को हफ़्तों संजोये रखता हैं।
अपनी कलाइयों को बार बार वो निहारता हैं, मेरा छोटा  सा भाई अब थोड़ा बड़ा सा लगता हैं।। छोटू
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