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Divyanshu Pathak

गृहस्थ जीवन को शारीरिक दृष्टि से मौज-मस्ती और भौतिक सुखों की चकाचौंध भी कहा जा सकता है। व्यक्ति का कर्ताभाव परिवार को नरक बना देगा। इसी को आ

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दाम्पत्य भाव जीवन का सबसे बड़ा क्लास रूम है।
सबसे बड़ा परीक्षा केन्द्र है।
ईश्वर कुछ भी देने से पूर्व पात्रता की परीक्षा लेता ही रहता है।
घर बसाने और चलाने के लिए कैसे
कैसे पापड़ नहीं बेलने पड़ते।
पति-पत्नी दोनों प्रात:
जल्दी उठकर काम में लग जाते हैं। गृहस्थ जीवन को शारीरिक दृष्टि से मौज-मस्ती और भौतिक सुखों की चकाचौंध भी कहा जा सकता है। व्यक्ति का कर्ताभाव परिवार को नरक बना देगा। इसी को आ

Divyanshu Pathak

भ्रमण कर-करके भू-मण्डल पर जल और नभ में, और इस बीच सृजित करोगे नित नए कर्म भी भोगते रहने को भविष्य में भी। करती है सारे खेल माया महामाया प्रक #shweta #Priya #komal

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जानता है तू क्यों आया है
इस नर देह में काटने को
कर्म-फल पिछले जन्मों के।
जनम भी कितने चौरासी लाख!
कैसे काटेगा ?.......☺ भ्रमण कर-करके भू-मण्डल पर जल और नभ में,
और इस बीच सृजित करोगे
नित नए कर्म भी भोगते रहने को भविष्य में भी।
करती है सारे खेल माया महामाया प्रक

Divyanshu Pathak

☕😊🌼🍫☕🌼🍫☕ : आँखे बंद की काला काला दिखाई दिया कुछ देर बाद स्वेत झिलमिल होता दूध सा अब इसे स्थिर करना है दही सा और फिर प्रमथन कर मक्खन निकलना ह #Good #सुबह #पंछी #कैप्शन #पाठक #हरे

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🙏🌼🍫🍫☕☕☕🙏
#Good morning 
😊🌼🌼🍫🍫☕
#कैप्शन में जो है कर के देखिए
☕☕☕☕🙏🙏☕☕🙏☕☕☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍫🍫 ☕😊🌼🍫☕🌼🍫☕
:
आँखे बंद की काला काला दिखाई दिया
कुछ देर बाद स्वेत झिलमिल होता दूध सा
अब इसे स्थिर करना है दही सा
और फिर प्रमथन कर मक्खन निकलना ह

Divyanshu Pathak

😊💕सुप्रभातम💕😊🌷 आप सभी को मकरसंक्रांति एवं लोहणी पर्व की शुभकामनाएं ईश्वर आपको मंगलकारी वातारण दे । आप उम्र भर हँसते रहें । कृष्ण की तरह --- #बंशी #पंछी #पाठक #हरे

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यह मुस्कान किसी चेहरे पर
आसानी से नहीं आ सकती।
इसके लिए मन बहुत पवित्र चाहिए।
अहंकार मुक्त होना चाहिए।
मन में कुछ दूसरों के लिए
करने का भाव होना चाहिए।
वापिस कुछ मांगे बिना,
बिना अपेक्षा भाव के।
आज इस मुस्कान का स्थान
गंभीरता ने, अहंकार ने,
अकेलेपन या व्यष्टि भाव ने ले लिया है।
हर कोई गंभीर चिन्तक नजर आना चाहता है।
हंसना-गाना तो बच्चों से भी
छीना जा रहा है।
मां-बाप स्वयं साक्षी बनते हैं। 😊💕#सुप्रभातम💕😊🌷
आप सभी को मकरसंक्रांति एवं लोहणी पर्व की शुभकामनाएं ईश्वर आपको मंगलकारी वातारण दे ।
आप उम्र भर हँसते रहें ।
कृष्ण की तरह ---

Divyanshu Pathak

🌹💐पंछी😊🌻पाठक🏵🔯🕉🔯🕉🔯🌷कन्या🤗🏵😃संस्कृति🌻💠😊संस्कार🌹शब्द🌹🕉🔯🤗शक्ति🔯🕉🔯🕉🔯 कन्या का एक नाम षोडशी है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सोलह साल की है

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सारे पुराणों को,उनके कथानकों को
विज्ञान के फार्मूलों की तरह खोलना होगा।
तब पहली बात तो यह स्पष्ट 
होजाएगी कि ब्रह्म शक्तिमान तो है,
किन्तु क्रिया भाव नहीं है। 
जिसका पौरूष भाव बढ़ता चला जाएगा,
उसका क्रिया भाव घटता जाएगा।
रावण की तरह उग्र और
उष्ण होता चला जाएगा।
उसका गतिमान तत्व घटता चला जाएगा।
तब उपासना से
श्रद्धा और समर्पण अर्जित करके स्त्रैण बनना ही पडेगा।
सृष्टि ब्रह्म का विवर्त तो है, दिखाई माया देती है
ब्रह्म को अपने भीतर बन्द रखती है।
प्रकृति में नर-मादा नहीं होते।
दोनों पर सभी सिद्धान्त समान रूप से लागू होते हैं
स्वरूप भिन्नता का नाम ही सृष्टि है।
उनमें समानता देखना ही दृष्टि है। 🌹💐#पंछी😊🌻#पाठक🏵🔯🕉🔯🕉🔯🌷#कन्या🤗🏵😃#संस्कृति🌻💠😊#संस्कार🌹#शब्द🌹🕉🔯🤗#शक्ति🔯🕉🔯🕉🔯
कन्या का एक नाम षोडशी है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सोलह साल की है

रजनीश "स्वच्छंद"

समास।। मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ, एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ। मध्य पदों को छोड़ कर, मैं समस्त पद बना। पहले लगा जो पूर्वपद, अंत मे उत्तरपद जना। #Poetry #Quotes #Knowledge #kavita

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समास।।

मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ,
एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ।
मध्य पदों को छोड़ कर,
मैं समस्त पद बना।
पहले लगा जो पूर्वपद,
अंत मे उत्तरपद जना।
नकचढ़ी या हथकड़ी,
मैं हूँ शब्दों की लड़ी।
एक वाक्य को समा लिया,
किया लघु तेरी घड़ी।
तेरे मुख चढ़ा रहा,
मैं भक्तियों का लोप कर।
कभी बदल दूँ अर्थ तो,
न दुख मना न क्षोभ कर।
भेद मेरे जान ले,
सिमटता हूँ छः प्रकार में।
काव्य गीत लेख कथा,
गूंजता हूँ अलंकार में।
अव्यय जो आगे चल रहा,
अव्ययीभाव मुझको बोलते।
प्रथमपद प्रधान है,
जो वाणी-तुला ले तोलते।
प्रतिदिन, प्रतिपल,
यथाशीघ्र यथाशक्ति हो।
आमरण निर्विकार भी,
अनुरूप यथाभक्ति हो।
प्रधान हुआ जो दूसरा,
मैं तत्पुरुष बन जाता हूँ।
कारकों का लोप कर,
नवशब्द हो तन जाता हूँ।
तुलसीदासकृत धर्मग्रंथ,
राजपुत्र रचनाकार हूँ।
देशभक्ति राजकुमार,
मनुजहित गीतासार हूँ।
कर्मधारय मैं हुआ,
उत्तरपद ही प्रधान है।
विशेष्य संग विशेषण,
उपमेय संग उपमान है।
प्राणप्रिये चंद्रमुखी,
श्यामसुंदर नीलकमल।
अधमरा देहलता,
परमानन्द चरणकमल।
उत्तरपद और पूर्वपद का,
सामंजस्य खास है।
आगे अंक या पीछे अंक,
यही द्विगु समास है।
पंचतंत्र या नवग्रह,
ये त्रिलोक त्रिवेणी है।
चौमासा नवरात्र कहो,
ये पंचप्रमान अठन्नी है।
पद न कोई गौण हो पाए,
दोनों रहें प्रधान ही।
द्वंद्व समास कहायें ये,
रखते दोनों का ध्यान भी।
नर-नारी और पाप-पुण्य,
सुख-दुख ऊपर-नीचे है।
अपना-पराया देश-विदेश,
गुण-दोष आगे-पीछे है।
मैं छीनू परधानी सबकी,
पद मैं तीजा बनाता हूँ।
अपना मतलब रहूँ छुपाये,
बहुब्रीहि कहलाता हूँ।
वीणापाणि और दशानन,
लंबोदर पीताम्बर हूँ।
चक्रधर और गजानन,
मैं घनश्याम श्वेताम्बर हूँ।
मेरी बातों को गांठ बांध लो,
काम तेरे मैं आऊंगा।
ले रहा जो छोटा विराम अभी,
फिर आ मैं भरमाउंगा।

©रजनीश "स्वछंद" समास।।

मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ,
एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ।
मध्य पदों को छोड़ कर,
मैं समस्त पद बना।
पहले लगा जो पूर्वपद,
अंत मे उत्तरपद जना।

Divyanshu Pathak

#komal sharma #shweta mishra : अत: वह इसकी पूर्णता के लिए बाहर की नारी की ओर लपकता है। नारी सशक्तीकरण की शुरूआत तो यहां से होनी चाहिए। पुरूष

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सत्य और असत्य को
अर्धनारीश्वर के सिद्धान्त के साथ
समझा जा सकता है।
नर भी आधा नारी है, और नारी भी आधी नारी है।
जीवन व्यवहार में क्या नर को नारी के भाव में देखा जाता है।
वह तो इस भाव में जीने को कायरता, अपमान सूचक मानता है।
उसके अहंकार को तो इस सोच से ही ठेस लग जाती है।
वह तो शत-प्रतिशत पुरूष रूप में जीना चाहता है।
आक्रामकता, अहंकार और भुज बल के साथ।
उसे कहां मालूम पड़ता है कि ये तो मूलत: पशु भाव है।
अज्ञान के परिचायक भाव हैं।
भीतर भी जो प्रेम-करूणा-माधुर्य की दौलत होनी चाहिए, वह अल्प मात्रा में रह गई है। #komal sharma #shweta mishra
:
अत: वह इसकी पूर्णता के लिए बाहर की नारी की ओर लपकता है। नारी सशक्तीकरण की शुरूआत तो यहां से होनी चाहिए। पुरूष

Shrikant Agrahari

माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप #yqbaba #yqdidi #yqmotivation #hkkhindipoetry #yqinspiration #श्रीsnsa

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यदि महेश्वर सूत्र न होता,,
यदि महर्षि पाणिनि न होते ,,
तो व्याकरण का मूल न होता।
शब्दों का कोई समूह न होता।।
लिपि के माध्यम से भावनाओ को 
व्यक्त करने की हमारी,सामर्थ्यता न होती।
अक्षर का मेल न होता,भाषाओ का खेल न होता।

    ©श्रीकान्त अग्रहरि
 Caption me bhi padhe माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप

Shrikant Agrahari

माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #hkkhindipoetry #श्रीsnsa

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हिंदी काव्य कोश संगठन का,
सहृदय कोटि कोटि आभार🙏🙏 माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप

Divyanshu Pathak

:💕👨🍀🌱☕☕☕🙋🙋🍫💕💕🍧🍨🍨🍨☕☕☕☕ Good morning ji ! : बन दीया मैं अंधेरा निगल जाऊंगा यू मुझे तू चाहत की शमां न बना ! मैं मोहब्बत की रोशनी को शाथ लिए चलत

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अपनी अदाओं के तिलिस्म को समेट ले यारा
अपने हुश्न ओ शबाब की जादूगरी तू मुझपे न चला !
तू मुझे बर्फ़ सी ठंडी आग लगती है पिघल जाएगी
मुझे शबनम ही बना रहने दे हवाएं देकर इसे शोला न बना ! :💕👨🍀🌱☕☕☕🙋🙋🍫💕💕🍧🍨🍨🍨☕☕☕☕
Good morning ji !
:
बन दीया मैं अंधेरा निगल जाऊंगा यू मुझे तू चाहत की शमां न बना !
मैं मोहब्बत की रोशनी को शाथ लिए चलत
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