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writer abhay
आहिस्ता आहिस्ता मुझे तोड़ता है वो, दश्त-ए-ग़म मे अकेला छोड़ता है वो. ये ज़िन्दगी बहुत ही लंबी है कहकर, रोज़ मुझे एक कतरे मे निचोड़ता है वो. सालों तक तो वो मेरा अपना ही था, चंद दिनों से मेरी कब्र कोड़ता है वो. कहीं टुकड़े मे बिखरा हुआ था मैं भी, फिर से तोड़ने के लिए बटोरता है वो. गले से लगा के रखा था तुमने कभी, हर तरफ से मुझसे मुंह मोड़ता है वो. आहिस्ता आहिस्ता मुझे तोड़ता है वो, दश्त-ए-ग़म मे अकेला छोड़ता है वो. अर्थ :- दश्त-ए-ग़म - ग़म का जंगल
Sweta
एक अजीब सी कश्मकश जिन्द़गी सवाल कई जवाब नहीं जिन्द़गी दर्द ही दर्द का एहसास जिन्द़गी टुकड़ो में बटी हुई अल्फ़ाज़ जिन्द़गी खुशियों की बूँद-बूँद को तरसती जिन्द़गी हर इक चीज के लिए तड़पती जिन्द़गी हर पल शोर ही शोर चारों ओर जिन्द़गी तो कभी खामोशियों का आलाम जिन्द़गी तसलसुल वक्त के साथ ढ़लती जिन्द़गी तो कभी वक्त के साथ खेलती जिन्द़गी रेग्ज़ार-ए-आरज़ू में तपती जिन्द़गी तो बे-दस्त-ओ-पा बनी सिसकती जिन्द़गी हाँ,,Queen" शाम-ए-यास ये जिन्द़गी हर- सू अस्कों की बरसात जिन्द़गी ।।। तसलसुल-निरंतरता बे-दस्त-ओ-पा =असमर्थ/लाचार रेग्ज़ार-ए-आरज़ू = इच्छाओं के रेगिस्तान शाम-ए-यास =ना उम्मीदी की शाम हर-सू =हर तरफ़ #तसलसुल #कोराक
Aliem U. Khan
Aliem U. Khan
दिल को बहलाने की तरकीब निकाली जाए! दूर सय्यारों पे दुनिया नयी देखी जाए। ख़्वाब रातों से छुपाकर कहीं रख दूं अपने, नींद आंखों की किसी और को बेंची जाए! अब चलो यूं भी करें एक तिजारत रब से, किसी मज़लूम को अपनी ख़ुशी दे दी जाए! जाने कब होगी सहर, होगा उजाला फिर से! रोशनी अपने ख़यालों से ही कर ली जाए! मैं सर-ए-दश्त फिरूं और पस-ए-पर्दा है वो! है कोई राह जो उसकी तरफ़ सीधी जाए? ये हुआ वो न हुआ, काश ये हो जाता अगर! ज़िन्दगी बस युंही पछतावे में बीती जाए। #Yqaliem #khwaab #nind #saher #Sar_e_dasht #pas_e_parda #Kaash #Yehua_wonahua_zindgi सर-ए-दश्त - In Forest पस-ए-पर्दा - behind the veil
Bhawna Vaishnav
When I see your eyes दाग़-ए-नारसायी,शाम-ए-यास,कर्ब-ए-तिश्नगी देखा कितना असर है तेरी नामौजूदगी का... ख्वार मैं गुजारते हैं उम्र-ए-गुरेजा तू मुझे मुब्तिला कर गई ये भी कमाल है एक नजर का... भावना वैष्णव #दाग-ए-नारसायी = ना मिलने का दुख #शाम-ए-यास = ना उम्मीदी की शाम #कर्ब-ए-तिश्नगी = प्यास की बेचैनी #ख्वार = बदहाली #उम्र-ए-गुरेजा = भागती हुई
vishal
उनकी आँखों का सुकून तो देखो, तड़पता देखते हैं तो और इतराते हैं आज तो सलीके से आदाब कीजिये, सुना है ईद पर सब गले से लगाते हैं आजमाना मेरी कोई ख़्वाहिश मेरा शौक नहीं, पर सुना है जो भरोसा करते हैं वही धोखा खाते हैं अब की मिलना तो खल्वत में मिलना हमसे, मेरे दो चार गम हैं जो हमसे मिलने रोज़ आते हैं अब मेरा साकी भी मुझे पहचान लेता है, कहता हैं मियां क्या गम हैं अब तो आप रोज़ आते हैं उस से बोलना अब दवा की नहीं दुआ की जरुरत है, ये मेरे गम ए आंसू मुझे अब डुबोकर कर मारना चाहते हैं मेरे दश्त ए तसव्वुर मे कोई दरिया भी तो नहीं "विशाल", फिर ये इश्क़ ए तिश्नगी के मारे क्यों चले आते हैं #दर्द #मुहब्बत #गज़ल #नज़म ✒ #विशाल_रस्तोगी (दश्त ए तसव्वुर= कल्पना का रेगिस्तान) (इश्क़ ए तिश्नगी= इश्क़ की प्यास) (खल्वत = जल्दबाजी)
Abhilekh
यार पहलू में है तन्हाई है कह दो निकले आज क्यूँ दिल में छुपी बैठी है हसरत मेरी - अमीर मीनाई #NojotoQuote दश्त ए तन्हाई। #hindishayari #hindiwriting #shayarilovers #shayari #poets #writers #authors #poetic #writing #NojotoHindi
entertainment intertenment&intertenment
ख़ामोश है सर-ए-दश्त.. इक शोर मचा है बस्ती में।। कौन रैली लगा बैठे है.. नया चोर घुसा है बस्ती में।। सर - ए - दश्त:- जंगल में😊🙏 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqthoughts #yqshayari #yqpoetry
THE EVENT IN EVERY STREET (R K C)
मनवा रे ए ए ए मनवा रे ओ ओ ए ओ मेरे मनवा तू कँहा छोड़ आयी अपनी चंचलवा सुन रे। सुन रे सुन रे सुन रे बावरी कोई है जो सो गया , गहराई में खो गया तू आई न वो छोड़ गया, ©R K Choudhary(T.E.I.E.S) मनवा रे ए ए
yogitaupadhyay45gmailcom
#MessageOfTheDay ए सखी सुन तो सखी तेरे बिन हम अधूरे हे जीवन में आज भी अकेले हे यूँ न समझ हम भूल गए हे कुछ मजबूरियों में धूल गई हैं सुन सखी हम तेरे बिन अधूरे हे बचपन की यादें जवानी की यादें कुछ ओर ही आलम था कुछ ओर ही मस्ती थी बस अब यादों का भवर हे सुन सखी हम तेरे बिन अधूरे हे वो रातो को तारे गिनना फिर मिलने का वादा करना वो चिल्ला ना व चीखना सब कुछ बदला सा हे सुन तो सखी हम तेरे बिन अधूरे हे वो सावन की फुहार वो मस्ती की बहार वो अठखेलिया तेरा रूठना मेरा मनाना सब कुछ याद हे मुझें सुन सखी हम तेरे बिन अधूरे हे ©yogitaupadhyay45gmailcom #ए सखी #@ए सहेली