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Ajay Keshari
सावन में #श्रृंगार सजन कर, तुझको खूब रिझाऊं, धानी चुनर पहनकर, मेहंदी पुरी हाथ लगाऊं, हरे रंग की चुड़ी पहनूं, खन-खन मै खनकाऊं, बालों में गजरा लगाऊं, अंखियों में कजरा, नयन चलाऊं तिरछी तुझपे, घायल करदूं आज, पांवों में पाज़ेब मै पहनूं छम-छम नाचूँ आज, अंग से अंग लगाऊं तुझको, बरसों भरी-भरी आज.!! #अजय57 सावन का श्रृंगार
सावन का श्रृंगार #अजय57
read moreMona Singh
✍️✍️ श्रृंगार और संघर्ष दोनों में तुलना.. 👉मुझे ये दोनों शब्द सापेक्ष ज्यादा लगते हैं.. विरोधाभास नजर नहीं आता। ♥️स्त्री का श्रृंगार हमेशा उसके अस्तित्व को निखारने के संघर्ष में ही खिल कर आता है.. 💝एक कन्या की चंचलता श्रृंगार है.. एक कन्या का चंचलता के साथ अपने परंपरा को बांध कर रखने का "संघर्ष ही श्रृंगार" है.. 💝एक पत्नी में मर्यादा ही श्रृंगार है एक पत्नी का मर्यादा में रहकर प्रेयसी बन जाने का "संघर्ष ही श्रृंगार" है.. 💝एक माता की ममता श्रृंगार है एक ममतामई माता को बालक के प्रोन्नति के लिए सही दिशा निर्देश देने में ममता से की गई "संघर्ष ही श्रृंगार" है ... 💥एक गृहिणी चाहे किसी भी उम्र में हो सुबह से शाम तक सबके जीवन को आसान बनाना और इन सबके बीच घर को दुनिया मानकर मुस्कुराहट बनाएं रखना किसी संघर्ष से कम नहीं है . और मेरी नज़र में ये "संघर्ष ही श्रृंगार" है.. 💥कामकाजी महिला जो घर के बाहर निकलती है चाहे किसी भी क्षेत्र में हैं... उनके लिए काम के साथ अपने स्त्रीत्व की ज़िम्मेदारियों को उठाने का "संघर्ष ही श्रृंगार" है.. ✍️कौन सी स्त्री संघर्ष नहीं करती है!! ♥️स्त्रियों का श्रृंगार किसी भी घर के खुशहाली का प्रतीक है... 💝स्त्रियों का श्रृंगार उनको प्रदत्त कार्य के अनुरूप ही होता है... ✍️एक कलाकार का श्रृंगार और एक सेना के नेतृत्व करने वाली स्त्री का श्रृंगार की कैसे तुलना की जा सकती है। 💥एक मंदिर में बैठी महिला का श्रृंगार और एक नृत्यशाला की नर्तकी की श्रृंगार की तुलना मुर्खतापूर्ण है। 😊बस मुझे लगता है पंक्ति ने श्रृंगार को बहुत हल्का बना दिया जबकि मेरे लिए श्रृंगार बहुत ही सकारात्मक है। ⚡कृपया इसकी तुलना लीपा-पोती से मत कीजिए.. और हां स्त्रियों का लीपा-पोती भी अपने को किसी ना किसी सामने वाले के नज़र में बनाए रखने के लिए ही होता है.. 🔥आप मानेंगे नहीं पर लीपापोती तो आप भी पसंद करते हैं मोना सिंह ©Mona Singh #श्रृंगार और #संघर्ष
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
ये सावन जैसे गीतौ का मेला। ये सुहानी मौसम और ये शाम की चंचल वेला।। ये मीठी भीनी भीनी मिट्टी की सुगंध। जैसे प्रियवर से मिलने को प्रतिबंध।। फुलो का खिलना विहगो का चहचहाना। मानो प्रियवर का रुठना और प्रियतम का मनाना।। ये झींगुर की झुनझुनाहट ये बादल की गड़गड़ाहट। जैसे प्रियवर के आने की आहट।। सावन में चहुँ और बिखरी हरियाली। जैसे प्रियवर से मिलने को प्रियतमा के मुख में छाइ हो लाली।। ये सावन जैसे गीतौ का मेला। ये सुहानी मौसम और ये शाम की चंचल वेला।। #सावन और प्रियतम
सावन और प्रियतम
read moreHukam Prajapat
बचपन और मेला प्लेन उडाए कागज से मैं कस्ती बना कर खेला वो बारिश कि गिरती बूंदो में सावन का झूला बडा सुहाना था वो बचपन का मेला ##सावन और बचपन###
##सावन और बचपन###
read moreHitler Vani Dubey
🙏💐 सर्वप्रथम आप सभी को श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं ! 💐🙏 महादेव🙏 हम सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें और देश के विकास में हम सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। मैं आप सभी से निवेदन 🙏🙏करना चाहूंगी, कि इस समय आप अपने घर से बाहर निकल कर मंदिरों🛕🛕 में भीड़ लगाकर व्यर्थ ही कोरोना को अपनें परिवार तक ना पहुंचाए।☝️☝️ कृपया आप सभी घर पर ही पूजा-अर्चना करें और ईश्वर का ध्यान करें।💁👇👇 साथ ही यदि 👉👉आप किसी अत्यावश्यक कार्य हेतु बाहर जाएं तो संक्रमण से बचाव के सभी नियमों जैसे- मास्क पहनना, हाथों की सफाई और 2 मीटर की शारीरिक दूरी बनाए रखने सहित अन्य नियमों का पालन जरूर करें।।🤟 यह कोरोना का महसंकट काल चल रहा है। ☝️अतएव अपनी और अपनें परिवार की सुरक्षा का ध्यान खुद रखें। जिम्मेदार नागरिक बनें। 🙏!धन्यवाद!🙏 🌺🌼हर हर महादेव!🌼🌺 शिवानी दूबे स्वयं सेविका, चक्के #सावन और कोरोना
#सावन और कोरोना
read moreRupesh Shah
बस तू सावन बन जा, बादल बन मै बरसा करूंगा । सावन , बादल और तुम #hindipoetry
सावन , बादल और तुम #hindipoetry
read moreकमलेश मिश्र
💐💐💐💐💐💐🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹 कुछ दिन ही अब शेष है, शिव सावन का संग । प्रकृति दिखाती भी रही, विविध रूप बहु रंग ।। विविध रूप बहुरंग, धूप तो छाया भी थी । सूखा बरखा बाढ़ , शम्भु की माया ही थी ।। कर लेंगे प्रस्थान, रहेंगे कैसे शिव बिन । रख विश्वास भरोस, बिता लेंगे हम कुछ दिन ।। 🌹🌹🌹🌹🌹♻️♻️🌹🌹 ©कमलेश मिश्र शिव और सावन का संग...
शिव और सावन का संग... #कविता
read moreNEERAJ SIINGH
इक दिन बैठेंगे और तुम्हें फुरसत से पढ़ेंगे तुम बस यूंही पास बैठे रहना और चाय और पकोड़े हम तलेंगे , होगी बारिश भीनी भीनी सी , और तमाम उन बीते सालो की इंतजार की घड़ियां बाहों मे बाहें डाले हम लिखेंगे रहेगा वही प्रेम का कागज और इश्क की स्याही से हम जचेंगे लिखते लिखते एक दूजे के प्रेम को कब बीत जाएगा वक्त फिर कुछ हंसी ठिठोली हम मस्तियों में करेंगे , इतने सालो की थकन यूं तो ना निकल पाएगी जल्दी फुरसत तुम भी लेकर आना फुरसत मैं लेकर आऊंगा इस सावन हम जरूर मिलेंगे.. #neerajwrites सावन तुम और मैं और ये चाय
#neerajwrites सावन तुम और मैं और ये चाय
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