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HintsOfHeart.
"गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी, लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है"¹ ©HintsOfHeart. #हस्तीमल 'हस्ती' #जन्म_जयंती 1.हस्तीमल 'हस्ती' - हिन्दी ग़ज़ल में एक जाना पहचाना नाम।
Internet Jockey
बिन खुद को जाने ईश्वर को पहचाना नहीं जा सकता ©Internet Jockey #mahashivaratri बिन खुद को जाने ईश्वर को पहचाना नहीं जा सकता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। भूल कहाँ होती मानव से ... पूर्ण कहाँ है ये मानव जो, संपूर्ण बना अब बैठा है । आज विधाता को ठुकराकर , जो ज्ञानी अब बन ऐठा है ।। बता रहा है वो जन-जन को , मुझको पहचाना जायेगा । भूल कहाँ होती मानव से ...। खूबी अपनी बता रहा है , वह घर-घर जाकर लोगों को । पर छुपा रहा वह सबसे अब, बढ़ते दुनिया में रोगों को ।। किए जा रहा नित्य परीक्षण , की ये परचम लहरायेगा । भूल कहाँ होती मानव से ...। संग प्रकृति के संरक्षण को , आहार बनाता जाता है । अपनी सुख सुविधा की खातिर , संसार मिटाया जाता है ।। ऐसे इंसानों को कल तक , शैतान पुकारा जायेगा । भूल कहाँ होती मानव से .... भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। १०/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। भूल कहाँ होती मानव से ... पूर्ण कहाँ है ये म
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
sunset nature गीत :- छोड़ो अब ये रीति पुराना , रोता बच्चा दूध पिलाना । एक मातु की व्यथित कहानी , पर सिस्टम का नया बहाना ।। छोड़ो अब ये रीति पुराना .... जब तक हम संतोष करेंगे , घुट-घुट के हम सुनो जियेंगे । आओ मिलकर बदले सिस्टम , ऐसे न हम आगे बढ़ेंगे ।। ये न दिए अधिकार हमारा , इन सबने है मन में ठाना । छोड़ो अब ये रीति पुराना ... नहीं गुजारा होता सबका, मीलो और कारखानों से । इतना वेतन कभी न आता , उन ऊँचे बने मकानों से ।। जला भुनाकर हमको तोड़ें , रुपया घर में बने ठिकाना । छोड़ो अब ये रीति पुराना ... वही हाल गाँवों में देखा , हमने तो आज किसानों का । खाद बीज तो मँहगे-मँहगे , मिलता न दाम आनाजों का ।। रोता फाँसी खाता रहता , बोलो ये है नया जमाना । छोड़ो अब ये रीति पुराना .... ऊपर से नफ़रत फैलाना , जाति धर्म पर हमें लड़ाना । क्या विकास है क्या विनाश है , क्या ये जनता ने पहचाना ।। आज सियासत की बिसात पर , बनती जनता सुनो निशाना । छोड़ो अब ये रीति पुराना .... छोड़ो अब ये रीति पुराना , रोता बच्चा दूध पिलाना । एक मातु की व्यथित कहानी , पर सिस्टम का नया बहाना ।। ३१/०१ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR छोड़ो अब ये रीति पुराना , रोता बच्चा दूध पिलाना । एक मातु की व्यथित कहानी , पर सिस्टम का नया बहाना ।। छोड़ो अब ये रीति पुराना .... जब तक ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
करमाल छन्द 112 211 221 122 उसका मान करूँ मैं बनवारी । वह जो जीवन देती महतारी ।। जग में वो सबसे सुंदर माता । तुमसे मैं कहता हूँ अब दाता ।। उसका साथ मिला तो पहचाना । यह तो जीवन है एक खजाना ।। हमको मंदिर से क्या अब लेना । घर दुर्गा रहती है कह देना ।। ०३/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR करमाल छन्द 112 211 221 122 उसका मान करूँ मैं बनवारी । वह जो जीवन देती महतारी ।।
अदनासा-
Madhav_Write #स्वामिनी
सुनो.. मैंने आपको पहचाना है अपके शब्दों से मैंने जाना है आपको आपके मन से लोगो को दिखता होगा चांद में दाग पर मैंने चांद को देखा है अमूल्य मोतियों सा चमकते हुवे जो मेरे जीवन की काली रात में उजियारा करने आती है चांद सी हो आप ❤️ ©Madhav_Write #स्वामिनी सुनो.. मैंने आपको पहचाना है अपके शब्दों से मैंने जाना है आपको आपके मन से लोगो को दिखता होगा चांद में दाग पर मैंने चांद को देखा है अमूल्य मो
Prakash writer05
Maa मेरे मुस्कुराते चेहरे पर भी जिस ने मेरी तकलीफो को पहचाना है हाँ वो एक माँ है जिसने मुझसे से बेहतर मुझको जाना है..!! ©Prakash writer05 मेरे मुस्कुराते चेहरे पर भी जिसने मेरी तकलीफो को पहचाना है हाँ वो एक माँ है जिसने मुझसे से बेहतर मुझको जाना है..!!
gaTTubaba
रातों को आसमानों में क्या नजारा दिखता हैं सितारों में एक जाना पहचाना सितारा दिखता हैं ना सोने देता मेहबूब को, खुद भी जागता रहता हैं ऊंचाइयों से अपने इश्क की ऊंचाइयां देखते रहता हैं!! ©gaTTubaba रातों को आसमानों में क्या नजारा दिखता हैं सितारों में एक जाना पहचाना सितारा दिखता हैं ना सोने देता मेहबूब को, खुद भी जागता रहता हैं ऊंचाइयों