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GoluBabu
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
voters day quotes in hindi विषय :- लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान) भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं... देखो लालच में मत पड़ना , सभी लगाये घात । बिजली पानी सड़क खडंजा , लाये हैं सौगात ।। इनमें उलझ-उलझ कर देखो , खोना मत ईमान ।भूल नहीं ... बनके राजा जब बैठेंगे , देंगे पग-पग शूल । मगर नहीं दे सकते तुमको, वे बच्चों का स्कूल ।। अब खोल-खोल स्कूल जगत में, बनते सब धनवान ।भूल नहीं .. अपना मत अपनी इच्छा से , देने का अधिकार । बनो सजग मतदाता जग के , यह जग है परिवार ।। आसमान जब छुए तिरंगा , बढ़े देश का शान ।भूल नहीं... विरला ही भोता है जग में , नेता एक महान । चोर लुटेरे देख आज लो , करते धन को दान ।। इसी लोभ में फँसता देखो , भोला हर इंसान ।भूल नहीं... भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।। २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :- लोकतंत्र का उत्सव ,(मतदान) भूल नहीं माँ बहनो जाओ , करने को मतदान । एक-एक मत से है मिलता , तुमको नेक प्रधान ।।भूल-नहीं... देखो लालच
Ravendra
Devesh Dixit
चूमकर अपने वतन की मिट्टी चूमकर अपने वतन की मिट्टी, हिंद की रक्षा को वह चला। धूल चटा कर शत्रु को उसने, टाली वतन के सर से बला। हमको सुरक्षित रखा है उसने, स्वयं ही दुश्मन से जा लड़ा। उन्हें गोलियों से छलनी करके, नाम कर लिया अपना बड़ा। सभी की आँखों का तारा है, देश का अपना वीर जवान। धरती माता भी इसको चाहे, ऐसा ही देखो ये है धनवान। नई - नई वे तरकीब लगाता, रिपु को दे मुंँह तोड़ जवाब। तिरंगे को देख जोश जगाता, पा जाता फिर वह खिताब। चूमकर अपने वतन की मिट्टी, हिंद की रक्षा को वह चला। हो गया छलनी गोलियों से पर, मुश्किल से नहीं वह टला। लड़ते लड़ते बलिदान दे दिया, ऐसा था वो कर्मठ बलवान। तिरंगा भी उससे लिपटा आया, पाया उसने ऐसा सम्मान। ........................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #चूमकर_अपने_वतन_की_मिट्टी #nojotohindi #nojotohindipoetry चूमकर अपने वतन की मिट्टी चूमकर अपने वतन की मिट्टी, हिंद की रक्षा को वह चला। धू
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द अधारित :- गीत हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से । लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।। हिम्मत हम बच्चों की देखो ..... नन्हें नन्हें कदम हमारे , चूम रहे अंगार को । भारत माँ के हम सपूत हैं , छोड दिए घर द्वार को ।। इसकी रक्षा धर्म हमारा , चाहे जायें जान से । हिम्मत हम बच्चों की देखो .... वीर शिवा के हम बच्चे हैं , सीना है फौलाद का । सीख मिली सुखदेव भगत से , लगा तिलक आजाद का ।। धूल चटाने दुश्मन को हम , आयेंगे शमशान से । हिम्मत हम बच्चों की देखो .... वीर शहीदों की मिट्टी है , अपने हिंदूस्तान की । वक्त पड़े तो जाँ हाजिर है , देखो यहीं जवान की ।। तुम्हें हराने को हम वर भी , लायेंगे भगवान से । हिम्मत हम बच्चों की देखो .... हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से । लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से । लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।। हिम्मत हम बच्चों की देखो ..... नन्हें नन्हे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयें एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा कर देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है । तुम तिरंगा अब उढ़ाकर देख लो ।। हो अगर दुश्मन हमारे सामने । जान की बाजी लगाकर देख लो ।। जान भी कुर्बान हँसकर हम करें । तो अभी गर्दन झुकाकर देख लो ।। मातु अपनी भारती प्यारी मुझे । तुम कभी जादू चला कर देख लो ।। जिस तरह से घात दुश्मन कर रहा । चाल अपनी तुम चलाकर देख लो ।। आज पुलवामा शहीदों का दिवस । फूल चरणों में चढ़ा कर देख लो ।। अश्रु लेकर अब प्रखर लिख लो ग़ज़ल । और महफ़िल में सुनाकर देख लो ।। १५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयें एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा कर देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दुश्मनों के वो ठिकाने हैं कहाँ । धूल उनको फिर चटाने हैं कहाँ ।। शेर हैं जाबांज अपने वीर ये। पूछते घुटने टिकाने हैं कहाँ ।। शान अपनी ये तिरंगा ही रहे । दुश्मनों को फिर झुकाने हैं कहाँ ।। छोड़कर परिवार अपने जो गये । उसको रिश्ते फिर बढ़ाने हैं कहाँ ।। प्रेम को बदनाम जो करते यहाँ । प्रेम के रिश्ते निभाने हैं कहाँ ।। फिर वफ़ा के नाम से अस्मत लुटी । प्रेम की वो अब दुकाने हैं कहाँ ।। मिल रहे है लोग हमसे जिस तरह । पूछ मत तू अब बेगाने हैं कहाँ ।। थक गये उड़ते हुए पक्षी गगन । की जमीं पे अब ठिकाने हैं कहाँ मत प्रखर खोजो वफ़ा की डालियाँ । फूल उनमें अब खिलाने हैं कहाँ ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल दुश्मनों के वो ठिकाने हैं कहाँ । धूल उनको फिर चटाने हैं कहाँ ।। शेर हैं जाबांज अपने वीर ये।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयेंगे एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा के देख लो ।। ये वतन तो आज अपनी शान है । है कफ़न अपना तिरंगा देख लो ।। हो अगर दुश्मन हमारे सामने । जान की बाजी लगाते देख लो ।। जान भी कुर्बान हँसकर हम करें । मातु से है प्रेम इतना देख लो ।। मातु अपनी भारती अपनी यहाँ । भूलता ही मैं नहीं तुम देख लो ।। जिस तरह से घात दुश्मन कर रहा । वार तुम ये आज अपना देख लो ।। आज पुलवामा शहीदों का दिवस । पीठ खंजर है चुभा ये देख लो ।। अश्रु लेकर कर प्रखर करता नमन । वीर वो माँ लाल के हैं देख लो ।। १५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप यादों के जलाकर देख लो । प्यार से हमको बुलाकर देख लो ।। दौड़ आयेंगे एक ही आवाज में । जब करे दिल आजमा के देख लो ।।