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New सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन Quotes, Status, Photo, Video

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HintsOfHeart.

अज्ञेय   #जन्मजयंती ( 07 March 1911) 1. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' - हिन्दी में अपने समय के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार, #कविता

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Reportar Rajnish Bharti

#प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन प्यासी सेक्टर के भरौली नंबर 1 बूथ पर हनुमान मंदिर पर मनाया गया। उनके जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं के द्वार #न्यूज़

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atrisheartfeelings

बहुत मेहनत के बाद यह चिन्ह तैयार किया हैं अतः आप से निवेदन हैं कि आप इसे हर students से सहभागिता करें...*✍🏻✍🏻✍🏻 1) + = जोड़ #yqbaba #Collab #yqdidi #ananttripathi #atrisheartfeelings

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कुछ महत्वपूर्ण बातें ....

Please read in caption.... बहुत मेहनत के बाद यह चिन्ह तैयार किया हैं अतः आप से निवेदन हैं कि आप इसे हर students से सहभागिता करें...*✍🏻✍🏻✍🏻             
1)  +   =  जोड़

Krish Vj

देह संबन्ध:_ "मोहब्बत" सिर्फ़ रूह की "ख़्वाहिश" हैं यही बस इस "दिल" की "फर्माइश" हैं जिस्मों के खेल को नाम ना दे "इश्क़" #truelove #jism #restzone #rzलेखकसमूह #rztask23

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"मोहब्बत"   सिर्फ़   रूह  की   "ख़्वाहिश" हैं 
यही   बस   इस "दिल"  की  "फर्माइश" हैं 

जिस्मों के खेल  को  नाम ना दे "इश्क़" का 
यह हमारी घृणित    सोच की "नुमाइश" हैं 

"इश्क़"  इबादत  है,उस 'ख़ुदा' की "कृष्णा"
इबादत में यूँ तू  कभी भी मिलावट ना कर 

छू कर तन मोहब्बत में, "रूह" को भी छू तू 
हवस से "इश्क़" का दामन मैला ना कर तू 

क्षणिक "सुख" के लिए ना कर काम  बुरा तू 
खुद   को  "सच्चिदानंद"  से  दूर  ना कर तू  
देह संबन्ध:_

"मोहब्बत"   सिर्फ़   रूह  की   "ख़्वाहिश" हैं 
यही   बस   इस "दिल"  की  "फर्माइश" हैं 

जिस्मों के खेल  को  नाम ना दे "इश्क़"

Pravesh Kumar

श्री हरि-हर मिलन प्रसंग। ध्यानमग्न थे एक बार जब, शंकर जी कैलाश पर। हुआ आगमन नारद जी का, तत्क्षण उनके वास पर। पूछा गंगाधर ने- नारद! कहाँ आजक #हिंदी #कविता #मेरीक़लमसे #साहित्य #पद्य #हरिशंकर

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श्री हरि-हर मिलन प्रसंग।

ध्यानमग्न थे एक बार जब, शंकर जी कैलाश पर।
हुआ आगमन नारद जी का, तत्क्षण उनके वास पर।

पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें।
🙏🙏🙏 श्री हरि-हर मिलन प्रसंग।

ध्यानमग्न थे एक बार जब, शंकर जी कैलाश पर।
हुआ आगमन नारद जी का, तत्क्षण उनके वास पर।
पूछा गंगाधर ने- नारद! कहाँ आजक

AK__Alfaaz..

Dedicating a #testimonial to Supriya Itodia मेरी प्यारी लाडू जीजी सहृदय हार्दिक अनंत शुभमंगल शुभस्य शुभकामनाएं आपको आपके विवाह वर्षगांठ के ल #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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सुंदर सुकोमल सुयोग्य सुनिधि वैदेही,
​मस्तक सिंदूरीत परिणीता श्री राम की,
​
​सुलोचन सुनयना काया सुवर्ण हरिप्रिया,
​सुख समृद्धि धन धान्य सिद्धि दात्री देवी,
​भार्या पालनकर्ता नारायण देव प्रधान की,
​
​चंद्र धवलित सूर्य प्रकाशित पावनी भार्गवी,
​हस्त धन कलश,शंख जलज विराजत,
​वनिता सच्चिदानंद गोविंद पुरुषोत्तम प्राण की,
​
​मेघ दामिनी सम चपल चंचल सिंधुजा नारायणी,
​क्लेश विकार मुक्तिदायनी मोहक मुस्कान धारिणी,
पतिव्रता ​वामा पीताम्बरधारी केशव के नाम की, Dedicating a #testimonial to Supriya Itodia मेरी प्यारी लाडू जीजी सहृदय हार्दिक अनंत शुभमंगल शुभस्य शुभकामनाएं आपको आपके विवाह वर्षगांठ के ल

CK JOHNY

सच्चिदानंद

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सच्चिदानंद =सत्+चित्+आनंद

सत्= ।।यत् अस्ति त्रिकालेषु न बाध्यते तत् सद्।। 

जो सदा वर्तमान है और तीनों कालों के बंधन से मुक्त है वह सत् है। 

चित्= ।।यः चेतयति संज्ञापयति सर्वान् सः चित्।। 

जो समस्त चेतन आत्माओं को सत्य असत्य के लिए हमेशा चेताता रहता है वह चित है। 

आनंद = ।।यः सर्वान् आनंदयति सः आनंदम्।। 
 जो समस्त आत्माओं को आनंद प्रदान करता है वह आनंद है। 

जो सदा सदमार्ग अपनाने के लिए चेताता रहता है उस परमेश्वर को सच्चिदानंद कहते हैं।  सच्चिदानंद

Deepak Kanoujia

प्रेम मुझसे जैसे कस्तूरी कोई किसी मृग की, होता हूँ तुझमें ही और रहूँगा तुझमें ही कहीं... ना मांगो इसे स्वर्ण मृग समझ कोई ना भेजो किस #lovequote #connaughtplace #savelove #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik #loveisblessing #spendlove

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प्रेम सहेजो तुम
जैसे वर्षों से सहेजे गए कंगन किसी नववधू के
जैसे सहेजा गया कोई मोती किसी सीप में
जैसे सहेजी गयी कुछ सेल्फियां और तस्वीरें वर्षों तक... प्रेम मुझसे 
जैसे कस्तूरी कोई 
किसी मृग की,
होता हूँ तुझमें ही
और रहूँगा तुझमें ही कहीं...
ना मांगो इसे स्वर्ण मृग समझ कोई
ना भेजो किस

Binay Kumar Shukla

पुस्तक चर्चा सच्चिदानंद के सानिध्य में,लेखक श्री विजय कुमार तिवारी,प्रकाशक अंजली प्रकाशन। #पौराणिककथा

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AB

ओ मेरे कान्हा बंसी बजैया, साँवरे ओ साँवरे तोसे प्रीत मोहे लागी होती जाऊं मैं बस बावरी -बावरी, सुंदर मुख, छैल छबीले रास रसीले माधव मोरे काल

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कृष्ण मेरे ओ, मुकुंद मुरारी..
( अनुशीर्षक ) 
ओ मेरे कान्हा बंसी बजैया,

साँवरे ओ साँवरे तोसे प्रीत मोहे लागी होती जाऊं मैं बस बावरी -बावरी, सुंदर मुख, छैल छबीले रास रसीले माधव मोरे काल
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