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Anjali Jain
मीठी जुबान हमेशा मीठी नहीं होती शहद लगी कटार भी हो सकती है! कड़वी जुबान हमेशा कड़वी नहीं होती सच्चाई की तीखी धार भी हो सकती है! धोखे और भ्रम में जीना, जीना नहीं होता है सच को निगलकर, सच को उगलना ऐसा हिम्मतवाला बिरला ही होता है!!! ©अंजलि जैन #सच को निगलना#२८.०९.२०
Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
gaTTubaba
दुनिया क्या जानेगी दर्द तेरा मेरा अंदर जाती सांस की तरह हर पल निगलना पड़ता हैं ©gaTTubaba #KiaraSid दुनिया क्या जानेगी दर्द तेरा मेरा अंदर जाती सांस की तरह हर पल निगलना पड़ता हैं
Anant Nag Chandan
पहली को भुलाने के लिए दूसरी औरत लाई जाती है एक ज़हर उगलने के लिए दूसरा ज़हर निगलना पड़ता है ©Anant Nag Chandan पहली को भुलाने के लिए दूसरी औरत लाई जाती है एक ज़हर उगलने के लिए दूसरा ज़हर निगलना पड़ता है #Love
Kumar.vikash18
Girl quotes in Hindi फैला के पंख चिड़िया ने हवा के संग जो आसमान में उड़ना चाहा , इन गोश की भूखी निगाहों ने उस को निगलना चाहा ! देखा उन निगाहों को तो डर के सकुचा के पंख सिकोड़ने लगी , पर न उड़ती तो जीती कैसे यही सोच वो उड़ान भरने लगी !! #NojotoQuote फैला के पंख चिड़िया ने हवा के संग जो आसमान में उड़ना चाहा , इन गोश की भूखी निगाहों ने उस को निगलना चाहा ! देखा उन निगाहों को तो डर के सकुचा
prashant Singh rajput
Call Drop मीनिंग इन हिंदी क्या है कॉल ड्रॉप जानिये हिंदी मे ? पूरा पढ़े नीचे दिए गए लिंक पर तुरंत क्लीक करें 👇👇👇👇👇👇👇 https://techadvicesps0
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat छलावा जो तब्दील हुआ चिल्लाना इश्क़ था या मोहब्बत बरारमत हुआ बदलना रीस्ती रही ज़िन्दगी की बारीक थी जो डोर रिश्ते लगे मतलब से मिलावट के घुट में निगलना देख कर दुनियां की हिमाकत को रिश्तों को देते मिसाल एक बनावट से दिखावा करते रहना #lifequotes #realityoflife #reality #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat छलावा जो तब्दील हुआ चिल्लाना इश्क़ था या मोहब्बत बरा
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त