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अल्पेश सोलकर
शब्द सांडले..मी वेचले मी रचले.. वाक्यात बंद झाले.. चारोळी मध्ये सक्तीने बसवले.. जे मोकाट गेले ..ते कवितेमध्ये सापडले.. शब्द सांडले..मी वेचले मी रचले.. वाक्यात बंद झाले.. चारोळी मध्ये सक्तीने बसवले.. जे मोकाट गेले ..ते कवितेमध्ये सापडले.. © अल्पेश सोलकर #शब्द
Vinod Umratkar
"हेल्मेटची सक्ती वर लिहिलेली ही कविता" "हेल्मेट" प्रिये,तुला मी दिसल्यावरही। मला ओळखायला तू,झाली नसती लेट जर का नसते माझ्या डोक्यात हेल्मेट.।।1।। प्रिये,नजरेचा खेळ खेळताना नयनाने मारले असते,तीर मी थेट जर का नसते माझ्या डोक्यात हेल्मेट.।।2।। प्रिये,तुझ्या मैत्रिणी पुढे माझ्या सुंदर चेह-याचे,पडले असते वेट जर का नसते माझ्या डोक्यात हेल्मेट.।।3।। प्रिये,तुला इम्प्रेस करताना अपघातात डोक्याचे,झाले असते ऑम्लेट जर का नसते माझ्या डोक्यात हेल्मेट.।।4।। @विनोद उमरतकर "हेल्मेटची सक्ती वर लिहिलेली ही कविता" "हेल्मेट" प्रिये,तुला मी दिसल्यावरही। मला ओळखायला तू,झाली नसती लेट
yogesh atmaram ambawale
अगोदर पासून तुला वापरतो आहे, नाकातोंडात धूर,माती जाऊ नये म्हणून सोबत ठेवतो आहे. प्रदूषणापासून बचाव,दुर्गंधी पासून मुक्ती, तुझ्या वापराची इतकीच होती हस्ती. वाटले नव्हते दिवस इतक्या लवकर बदलतील, कोरोना सारखा एकादा आजार येईल नि सर्वच तुला वापरतील. सहजच म्हणून तुझा वापर व्हायचा आता मात्र सक्ती झाली, तू नसशील तोंडावर तर दंड,सरकारनी छान युक्ती केली. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों दैनंदिन जीवनाचा भाग होत चाललेल्या या मास्क ला तुम्ही काय सांगु इच्छिता. चला तर मग सांगुया. #प्रियमास्क #colla
Gayatri Pokhriyal
पत्नी में वो सक्ती हैं जिसके घूरने से ही लौकी की सब्जी में पनीर का स्वाद, आने लगता है ©Gayatri Pokhriyal पत्नी की सक्ती
sûmìt upãdhyåy(løvë flūtê)
🙏ब्रह्माण्ड की🙏 "*सभी सार्थक सक्तियां*" तभी तुम्हारे* साथ हो* सकती है *जब *तुम* *मन, दिल और वचन से * स्वच्छ हों 🙏🙏 ©Sùmìt Upadhyay ब्रह्माण्ड की सक्ती और इंसानियत 🙏🙏🙏 #शायरी #Nojoto
mahi Jangir
मन की आखों से देखों क्योंकि मन की सक्ती सबसे बड़ी सक्ती है आप मन के उपर भारी हो जाओ अगर मन आप पे भारी हो गया तो आप एक कतपुतली हो । ©mahi Jangir मन की सक्ती 💪💪#power #mankishakt #selfconfidence #AdhureVakya
बी.सोनवणे
तूच आहेस सर्वस्वं कर्ता करविता, जीवन घडविता स्वत: ।। अरे गड्या कधी कळेल अर्थ, अपवाद व्यर्थ बिनकामाचे।। कसली सक्ती अशी मनात बाळगतो, जोहरीच पारखतो हिरा ।। कैकदा कुणाचे असे काहीतरी अडले, विपरीतच घडले परिस्थितीतून।। एकच ध्येय मनात सदैव सकारात्मक, नकोय नकारात्मक वैचारिकता।। महाराष्ट्राचा कवी बी. सोनवणे ©बी.सोनवणे तूच आहेस सर्वस्वं कर्ता करविता, जीवन घडविता स्वत: ।। अरे गड्या कधी कळेल अर्थ, अपवाद व्यर्थ
हिTeश KuमाR
तुम्हें अलविदा कहने में इतना दर्द क्यों हैं गर्मी के मौसम में हवा इतनी सर्द क्यों हैं इन दोनों सवालों के जवाब में तेरा ही नाम क्यों हैं तू साकी मैं पैमाना इतने नजदीक होने के बावजूद ये दिल अधूरा जाम क्यों हैं तुम्हें अलविदा कहने में इतना दर्द क्यों हैं मालूम हैं ...मालूम हैं... कि दूरियां भी है जरूरी,सहनी पड़ेगी ये मजबूरी ताकि कल जब वापस वही सुबह आए तो, मैं और तुम करेंगे यह अधूरी बात पूरी मालूम हैं पर यह नजदीक लाने के लिए, हमारे बीच अंतरों का हिसाब क्यों हैं जिस मुकाबले का मैं हिस्सा तक नहीं, उसी का मिलता यह खिताब क्यों हैं तुम्हें अलविदा कहने में इतना दर्द क्यों है माना कि मांझी के घाव भरने में वक्त लगता हैं, आगे बढ़ाया हुआ हर वो कदम सख्त लगता हैं आंखों से निकलते हुए आंसू जलता हुआ रक्त लगता हैं और किसीका इतना जल्दी जिंदगी में अपना बन जाना बड़ा बेवक्त लगता हैं माना... माना लेकिन खुदा सुनने में देर ही लगाता हैं इस बात का तुम्हें भर्म क्यों हैं किसी और के नापाक इरादों की सजा भरता मेरा ये कर्म क्यों हैं हर हालात में सक्ती रखते ये हाथ आज नर्म क्यों हैं और वापस से ईश्क हुआ तो इस बात को मानने में इतनी शर्म क्यों हैं तुम्हें अलविदा कहने में इतना दर्द क्यों हैं गर्मी के मौसम में हवा इतनी सर्द क्यों हैं इन दोनों सवालों के जवाब में तेरा ही नाम क्यों हैं तू साकी मैं पैमाना इतने नजदीक होने के बावजूद ये दिल अधूरा जाम क्यों हैं तुम प्यार के काबिल थीं और रहोगी पहले शायद मेरी नहीं थीं पर अब हमेशा रहोगी ! हिteश कुmaर तुम्हें अलविदा कहने में इतना दर्द क्यों हैं गर्मी के मौसम में हवा इतनी सर्द क्यों हैं इन दोनों सवालों के जवाब में तेरा ही नाम क्यों हैं तू