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pratibha Singh thakur
।।राजपूतानी।। मतलब राजपूत की बेटी। मत लेना पंगा वरना पड़ेगी मुहँ की खानी।। ©pratibha Singh thakur राजपूतों की शान #Mic
Jitendra Singh
Nitin Rajput
राजपूतों की रगों में वो खून 🔥 दौड़ता है, जिसकी एक बूंद 💧 यदि तेजाब पे गिर जाये, तो तेजाब जल 🔥 जाये…😏🙂 Jai Rajput
Hindi Shayari Mala
Rajputana Status and Quotes in Hindi Rajputana Status and Quotes in Hindi - राजपूतों की इतिहास बहुत शानदार है, वीरता और शौर्य उनकी कहानियों
Divyanshu Pathak
जातियाँ ( समय के गर्त में और गर्भ में ) 1. राजपूत 🗡🏹 वेद,उपनिषद,स्मृति और हमारे प्राचीन ग्रंथों में 'जाति' को प्राथमिकता नहीं दी गई थी।'राजपूत' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'राजपुत्र' से हुई है।जब चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया तो उसने भी यहाँ के राजाओं को 'क्षत्रिय' लिखा और कहीं कहीं राजपूत कहा।श्री जगदीश सिंह गहलोत ने लिखा है कि- "मुसलमानों के आक्रमण से पहले यहाँ के राजा 'क्षत्रिय' कहलाते थे।बाद में इनका बल टूट गया तो स्वतंत्र राजा के स्थान पर सामन्त, नरेश बनकर रह गए।इसी समय में ही शासक राजाओं के लिए 'राजपूत' या 'रजपूत' शब्द सम्बोधन के लिए प्रयोग में लिया जाने लगा।आठवी शताब्दी तक इस शब्द का प्रयोग कुलीन क्षत्रियों के लिए किया जाता था।चाणक्य,कालिदास और बाणभट्ट के 'राजपुत्र' मुसलमानों के समय अपने राज्य खो कर 'राजपूत'बन गए। राजपूतों की उत्पत्ति का प्रश्न वैसे तो अभी तक विवादास्पद बना हुआ है फिर भी वे स्वयं को वैदिक आर्यों से जोड़कर सूर्य और चंद्रवंशी बताते हैं।कह
Divyanshu Pathak
"राजपूत" ( अतीत के झरोखे से ) 'राजपूत' अश्व और अस्त्र की पूजा करते हैं। मुसलमानों से युद्ध करते समय उन्होंने महाभारत काल के क्षत्रियों के सिद्धांत व नैतिक आचरण अपनाए।वैदिक सभ्यता को बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाते रहे।श्री सी.एम वैद्य व श्री ओझा जी ने राजपूतों को वैदिक आर्यों की सन्तान और भारतीय माना है। 'पृथ्वीराज रासो' में कवि चन्द्रवरदाई ने लिखा है कि विश्वामित्र, गौतम,अगस्त्य तथा अन्य ऋषिगण आबू पर्वत पर एक धार्मिक अनुष्ठान कर रहे थे तो दैत्य आकर उनकी यज्ञ में विघ्न डालने लगे।उन दैत्यों को ख़त्म करने के लिए वशिष्ठ मुनि ने यज्ञ से तीन योद्धा उत्पन्न किये - 1.परमार 2. चालुक्य 3. प्रतिहार। किन्तु जब तीनों का बल कम पड़ा तो चौथा योद्धा 'चौहान' उत्पन्न किया गया तब उसने आशापुरी को अपनी देवी मानकर दैत्यों को मार भगाया। परवर्ती चारण और भाटों ने तो इस उत्पत्ति को सत्य मानकर अपने ग्रंथों में दुहराया है किन्तु इतिहास का कोई भी विद्यार्थी यह मानने को तैयार नहीं
Divyanshu Pathak
तेरे बर्फ़ीले एहसासों की बानगी काजू की बर्फ़ी है ! सूखी शख़्त भुरभुरी पर मीठी बहुत मीठी ! तेरी बातों की तरी को मैंने चख कर देखा ओहो ! गुड़ शहद गुलकंद मकरंद से भी मीठी बहुत मीठी ! :💕🍨🍧💕👨🙋☕☕☕☕☕☕☕🙋💕🐒😊🍉🍉🍧🍨🍨 Good evening ji .... तेरी तलाश की है मैंने मन्दिर मैदान पहाड़ो में ढूढ रहा था तुझको यारा मैं खण्डर और खदानों में ! चा
Premsukh
शेखावतों का इतिहास शेखावत कछवाहा राजपूतों का एक उप-कबीला है जो मुख्य रूप से भारत के राजस्थान में पाया जाता है। शेखावत वंश महान राजपूत योद्धा महाराव शेखा जी के वंशज होने का दावा करता है। राजस्थान में जयपुर के कछवाहा के सभी उपकुलों में शेखावत सबसे प्रमुख थे । शेखावत शेखावाटी के शासक थे। शेखावत राजपूतों ने शेखावाटी क्षेत्र पर 500 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया। जयपुर के कछवाहा राजवंश के सभी उप-कुलों में शेखावत सबसे प्रमुख हैं । सर यदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक फॉल ऑफ द मुगल एम्पायर में लिखा है कि शेखावत जयपुर के कछवाहा राजवंश के उप-कुलों में सबसे बहादुर थे। निम्नलिखित शेखावत वंश की एक संक्षिप्त ऐतिहासिक और वंशावली रूपरेखा है, जो जयपुर के कछवा शासक वंश की 65 शाखाओं में से एक है, और सभी कछवाओं में सबसे प्रमुख है, और महान राजपूत योद्धा, राव शेखाजी के वंशज हैं। प्रारंभिक शासकों ने अपने अधिपतियों, आमेर के शासकों के प्रति निष्ठा व्यक्त की, लेकिन राव शेखाजी ने 1471 में खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया और अपने वंशजों के लिए एक अलग रियासत की स्थापना की। शेखावतों ने 500 वर्षों से अधिक समय तक शेखावाटी क्षेत्र पर शासन किया और उन्हें "ताज़ीमी सरदार" की वंशानुगत उपाधि से सम्मानित किया जाता है, जिसे जयपुर के महाराजा महाराजा अपनी सीट से उठकर प्राप्त करते हैं। शेखावत शासकों ने शेखावाटी क्षेत्र [शेखावत शासकों की भूमि] पर अपने शासन के दौरान 50 से अधिक किले और महल बनवाए, जो सबसे बड़ा निज़ामत था।जयपुर राज्य के अंतर्गत [जिला], जिसके लगभग पूरे हिस्से पर शेखावतों का कब्जा है, कर्नल जेसी ब्रुक ने अपनी पुस्तक, पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ इंडिया में लिखा है कि "अश्व-सेना की भर्ती के लिए भारत में शेखावाटी के बराबर कोई क्षेत्र नहीं है।" ।” शेखावत भारतीय सेना में एक बहुत ही सामान्य उपनाम है। कबीले के कई सदस्यों ने वीरता पुरस्कार जीते हैं जिनमें परमवीर चक्र (युद्ध के समय बहादुरी के लिए सर्वोच्च भारतीय पुरस्कार), महावीर चक्र आदि शामिल हैं। शेखावतों के उपकुल भोजराज जी का झाझर की स्थापना राजा टोडरमल के बड़े पुत्र कुँवर पुरूषोत्तमदास ने की थी। गुढ़ागौड़जी, ठाकुर झुंझार सिंह द्वारा स्थापित। चिराना, एक शानदार महल का स्थल। ( ठाकुर सलेहदी सिंह के वंशज 1687-1767 ): केध, जिसकी स्थापना ठाकुर जगराम सिंह के पुत्र कुँवर गोपाल सिंह ने की थी। नंगली की स्थापना ठाकुर सलेधी सिंह ने की थी। खिरोड की स्थापना सलेहदी सिंह के पुत्रों कुँवर अमर सिंह और कुँवर राम सिंह ने की थी, उन्होंने संवत 1825 में एक महल बनवाया था । मूनवारी [मोहनवारी], जिसकी स्थापना ठाकुर सलेधी सिंह ने की थी। जाखल चापोली गुरा पौंख आदि। वंश: सूर्यवंशी से उतरा: ढूंढाड़, आमेर/जयपुर का उप-कबीला: कछवाहा/कछवाहा/कुशवाहा। शाखाएँ: भोजराज जी का, गिरधर जी का, जगमाल जी का, अचलदास जी का, राव जी का, लाडखानी, भैरो जी का, टकनेत, रत्नावत, खेजडोलिया, मिलकपुरिया, तेजसी का, जगमालजी का, सहसमलजी का, लूणकरणजी का, उग्रसेनजी का, सांवंलदासजी का, गोपालजी का, चंदापोता, परसुरामजी का, ताजखानी, हरिरामजी का आदि। में शासन किया: शेखावाटी रियासतें: शाहपुरा (शेखावतों की प्रधान सीट) खेतड़ी डूंडलोद नवलगढ़ मुकंदगढ़ मंडावा (पाना-1), (पाना-2) महनसर बिसाऊ अलसीसर (पाना-1), (पाना-2) मलसीसर मंड्रेला चौकरी हीरवा और सिगरा सूरजगढ़ उदयपुरवाटी परसुरामपुरा ताेन सीकर कासली श्यामगढ़ जाहोता खंडेला-बारा पाना और छोटा पाना दांता खुड़ खाचरियावास खाटू पचार मुंडरू सैंसवास चिरा #article #history #Rajputana #histst #viral #page #writer #historyfacts #शेखावत #कछवाहा #राजपूतों #Rajput ©Premsukh #Chhuan 💪❤️💕 शेखावत राजपूतों का इतिहास,🌷💐
bhagirath singh
जंग के मैदान में राजपूतों के उत्तर जाने के बाद राजपूतों को रोकना शहर के मुंह में हाथ डालने जैसा होता है जय जय राजपूताना जय मां भवानी