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Amit kumar jha
हम उस देश के वासी है,,,,,,,,,,,, जहाँ सच्चाई टके के भाव में बिकती है जहाँ अखबारें झूठ को सच लिखती है जहाँ का हर राजनेता है झूठा और बेईमान जहाँ हर रोज इंसानियत दम तोडती है जहाँ कोर्ट के फैसले पैसों पर बदलता है जहाँ हुकुमत बेईमानों का चलता है जहाँ शहिदों के मौत पर भी सवाल उठता है जहाँ पापियों, अधर्मियों के आगे सबका सर झूकता है जहाँ दिन दहाड़े भारत तेरे टूकरे होंगे का नारा लगाया जाता है जहाँ गरीब को एक रोटी देकर सौ फोटो खिचाया जाता है जहाँ बहन बेटियों की चिखे किसी को भी न सुनाई दे जहाँ सच बोलने वाले को ही गुनहगार बताया जाता है जहाँ कतार लगे रहते लाखों की इंसाफ पाने को जहाँ दफ्तर मे हर काम के लिए रिश्वत लिया जाता है जहाँ अनाज ऊगाने वाला किसान ही बिन खाये सो जाता है बेईमानों की इस नगरी मे हर रोज ईमानदारी खो जाता है जहाँ गुंडे और चोर को MLA, MP की टिकटें मिलती हो जहाँ हर रोज बहन बेटी की इज्ज़त लूटती हो जहाँ मंदिर, मस्जिद मे लाखों का दान होता है और एक गरीब दो रोटी के खातिर रोता है हम उस देश के वासी है, हम उस देश के वासी है जय हिन्द जय भारत Ak. Amit [9507424279] हम उस देश के वासी है,,,,,,,,,,,, जहाँ सच्चाई टके के भाव में बिकती है जहाँ अखबारें झूठ को सच लिखती है जहाँ का हर राजनेता है झूठा और बेईमान जह
Saket Ranjan Shukla
Alone दिलफेंक कवि हूँ या बदनाम शायर हूँ, सच्चा किरदार हूँ या सिर्फ एक कायर हूँ, खुलकर जीता हूँ या हार चुका हूँ सफ़र से, सब समझता हूँ या अनजान हूँ हर खबर से, उलझनों में उलझा हूँ या सुलझना चाहा ही नहीं, सब मिला मुझे या कुछ खास कभी माँगा ही नहीं, उम्मीदों का सूरज हूँ या नाउम्मीदी का अंधियारा हूँ, सँभालता हूँ खुद को या औरों की तरह ही बेचारा हूँ, बर्बादी मंज़िल है मेरी या ख्वाब कोई मुझमें भी जिंदा है, बेड़ियों में जकड़ा हूँ या आज़ाद मेरे अरमानों का परिंदा है, जीता जो भी खुद को हार कर या अब भी खुद से मिलता हूँ, नासूरों से ही दोस्ती हो गई या अब भी अपने ज़ख्म सिलता हूँ, 🙏पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें🙏 (Full piece in the caption) दिलफेंक कवि हूँ या बदनाम शायर हूँ, सच्चा किरदार हूँ या सिर्फ एक कायर हूँ, खुलकर जीता हूँ या हार चुका हूँ सफ़र से, सब समझता हूँ या अनजान हूँ
Anamika Nautiyal
प्रथम दिन की रचना 1:- टीम :- काव्यांजलि (15) 2-कैप्टन का नाम :- अनामिका नौटियाल 3- सदस्यों का नाम i) Roshni Rawat ii) Kamla Rawat iii) naini iv) भाग्य श्री बैरागी v) Sandeep Dabral Sendy 'अकेलेपन' से भी क्या घबराना सुख 'दुःख' का है आना जाना 'ईमानदारी' से गर चलते जाओगे तो खुशियों से जीवन बिताओगे खुशियाँ बसेगी तन-मन में
Sushil Patial
बेईमानों की बस्ती में, रहे ढूंढते ईमानदार कोशिशें की हजार, पर हुई सब बेकार ।। ©Sushil Patial # बेईमानों के शहर में
Siraj Quraishi
सोए हुए को जगाना है हम सब को इक साथ आना है तो जोर से आवाज लगाना है। " बाहर निकलो मकानों से जंग लड़ो बेईमानों से" इक ही आवाज में कहा #बाहर निकलो मकानों से जंग लड़ो बेईमानों से
ratanpal singh
हिफाजत खुद की करनी हो तो ज़रा होशियार रहिएगा, ये ज़माना बेईमानों का है मगर बेईमानी नहीं चलती। ©ratanpal singh हिफाजत खुद की करनी हो तो ज़रा होशियार रहिएगा, ये ज़माना बेईमानों का है मगर बेईमानी नहीं चलती। #RailTrack
shyambabu
इंसानों के लिए इंसान बेईमानों के लिए बेईमान मेरा नाम है श्याम खतरों से खेलना है मेरा काम मौत से मैं डरता नहीं मुर्दों का शिकार करता नहीं
entertainment intertenment&intertenment
ख़्वाब जागता रहा हर रात गुजारते रहे.. बड़े मुद्दतों से लोग अपनी हथेली निहारते रहे! दिसंबर आकर आब ए चश्म से सारे इम्तेहान ले जाती है.. फरवरी जब आयी लोग बदन से कपड़े उतारते रहे! किस्मतों से अपनी बुनियाद कहां तक मजबूत करते.. शहर की इमारतों को देखकर अपने हिस्से सवांरते रहे! "कमली" हो मोहब्बत तो मुकम्मल नहीं होती यहां.. सब शरीफ झूठ बोलकर अपने इश्क को निखारते रहे! _@कमली मोहब्बत में नहीं रही हकिकत सी नज़ाकत.. बेईमानों से दोस्ती अब अदालत सी हो गई!🙏😊 आब ए चश्म: आशू ♥️ #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqt
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि