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Rabiya Nizam
आज फिर अख़बार में विवाद लिखा था, विश्व व्यापी महामारी को "कोरोना जिहाद" लिखा था; वैमनस्य पैदा करने का प्रयास था शायद उन्होंने विष पूर्ण ऐसा संवाद लिखा था।। बेदर्दी से मजदूर का हाल नज़रअंदाज़ कर उन्होंने चंदा देने वाले सितारों का नाम लिखा था; और जिनके योगदान अबतक न आए उन पर राजनीतिक दलों का विचार लिखा था।। आज फिर समस्याओं को नजरंदाज़ करने का स्वागत करने वालों को अक्लमंद लिखकर, प्रश्न करती आवम का "देशद्रोही" नाम लिखा था।। No offence... People are all smart out there. You will understand what I mean. हम लिखते रहेंगे - Day 10 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम।
Rabiya Nizam
क़दर न समझी उसने वफ़ा की रिश्ते को उसने तार-तार किया था। रुसवाई के खंजर से क़त्ल कर मेरे ख्वाबों को उसने ज़ार- ज़ार किया था। तो क्यों कर मेरी अना इसे बर्दाश्त करती उसे कब्रगाह में सुला मैं ने अपना इंतक़ाम सरअंजाम किया था। हम लिखते रहेंगे - Day 9 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
गुज़ारिश इतनी सी है ऐ अजनबी कि यह किस्सा आम न कर।। महफ़िल में गैरों की यूं अपनों को बदनाम न कर।। कि हमें खोने का पछतावा तुम्हें तोड़ देगा तू हमसे दग़ाबाज़ी सरअंजाम न कर।। हम लिखते रहेंगे - Day 6 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
जब फंसा था मैं जिंदगी के मझधार में तब ताकत और मेहनत ने उस वक्त से बाहर निकाला।। उम्मीदें कारगर रहीं हौसला अफज़ाई में और जड़ा था मैंने वक़्त के मुंह पर ताला।। अब जब पीछे देखता हूं तो बस उसकी यादें दिखती हैं।। सफ़र में डटे रहो राही हौसले बुलंद तो सबको मंजिल मिलती है।। हम लिखते रहेंगे - Day 6 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
अहंकार पूर्ण था वो हर स्त्री को तुच्छ समझता था, कर चीरहरण वो स्त्रियों का स्वयं को शूर समझता था।। बस इसी भ्रम में की वो अजेय है उसने एक बालिका का किया बलात्कार, सब देखकर भी न जाने क्यों मूक रहा संसार।। परन्तु फिर आई समाज को स्वयं पर धिक्कार हुआ उन दोनों का विवाह मंडप तैयार।। किन्तु उस बालिका को यह स्वीकार न था उस वहशी को जीवित रहने का कोई अधिकार न था।। बस फिर पहली रात ही कन्या ने उसे दे दिया ज़हर, ले लिया प्रतिशोध हर स्त्री का जिनपर तोड़ा था उसने कहर।। हम लिखते रहेंगे - Day 6 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
गांव की उस कच्ची पगडंडी पर खड़ा, मैं देखता रहा वो मकान, जो कभी घर हुआ करता था अब ढूंढता हूं उसके निशान। कि जीवन के इस अध्याय में उस औरत की अमिट छाप है जब उस आंचल के स्वर्ग तले व्यतीत किया था जीवन; अब सूना पड़ा है वह अहाता; जहां कच्ची कैरी लूटती बालकों की टोली थी। परन्तु जीवन मार्ग कब सरल रहा है..? बस कुछ वैसे ही टूटा एक कहर जब दूषित हुआ यह नहर विलीन कर मनुष्यों को अंधकार की ओर बस छोड़ गया पीछे यह खंडहर।। हम लिखते रहेंगे - Day 5 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
खिड़की के शीशे पर पड़ती बारिश की हर बूंद धोती है धूल उन गर्द पड़ी यादों से।। जब बचपन में छोटी छोटी उंगलियां पकड़ मां ने सिखाया था काग़ज़ की कश्ती बनाना।। जब हर जफ़ाकशी के बावजूद बाबा ने सिखाया था ईमान से हर वादे निभाना।। जब भाई के साथ छुपकर जामुन तोड़े थे।। जब बहनों के साथ मैंने मिट्टी के बर्तन जोड़े थे।। ये बारिश की बूंदें पड़ती है फिर उस सूखी याद पर।। हम लिखते रहेंगे - Day 4 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
यहां मौत भी हमें एक बार याद कर लेती पर तुम तो जि़न्दगी में ही हमें भुला बैठे।। हमने कहा था शमा तुम्हें इल्तजा इतनी सी कि रौशन करो सुरमई शाम पर कुछ यूं बेपरवाही से नज़र की तुमने कि हमें परवाने सा जला बैठे।। और अगर मंज़िल बनाते तुम्हें तो मुश्किल होता तुम्हें पाना इसलिए ऐ जालिम तेरे जुनून को अपनी राह बना बैठे।। हम लिखते रहेंगे - Day 3 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
उड़ा कर वो महफ़िल का सुकून यह समां बना देती है, कि अंधेरी रात को भी वो नूर से सजा देती है।। कि बरसती हैं उसकी निगाहें रहमत की तरह, वह मुर्दा दिलों में भी ख्वाहिश जगा देती है।। और उसके इश्क़ को मान बैठे हैं इबादत हम जनाब, वह वफ़ा को ईमान बना देती है।। हम लिखते रहेंगे - Day 2 सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे।
Rabiya Nizam
कभी देखता हूं उस भीड़ को जहां हर चेहरे पर नक़ाब है तो दहकता है दिल मेरा जलती ज़मीर की आग है।। कि अकेलापन मेरा, मुझपर हंसकर कुछ यूं तंज कस देता है।। जनाब कहां ईमानदारी के सौदे में हो..? यहां जालसाज़ो का मेला है।। पर पलट कर देखता हूं जब भी मैं वह झूठ की इमारत शक्ति नहीं उसकी बुनियाद में कुछ झोंके से हो जाएगी ग़ारत।। और अर्ज़ है कि हमें खुशबू पसंद है अपने गुंचा-ए-हक़ीकत की ये फरेब का जंगल हमें रास नहीं आता।। सभी सदस्यों से निवेदन है की इसी वालपेपर पर अपना collab करें। अपनी रचनाओं में दिए गए पाँचो शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य है। हमारी टीम का हैशटैग होगा #जोश_ए_कलम। कृपया चारों हैशटैग अपनी पोस्ट में रहना निश्चित करें। अपनी रचना Collab करने के पश्चात इसी पोस्ट पर comment में done ज़रुर लिखे। आपके पास रात 10 बजे तक का समय है, कृपया समय सीमा का खास खयाल रखे। Best of luck👍