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राजीव पटेल 'राहिल'
उस रोज फिर महसूस होगी उनके लबों की आहट, मर्सिया मेरी मय्यत पर मेरे चाँद का होगा। ......✒️राहिल #मर्सिया #मर्सिया #मय्यत
AK__Alfaaz..
अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से छुपाये न गए.., ये वो माँ बाप हैं जो अपने ही घर से निकाले गए.., #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी ..होता है अक्सर.. जब माँ बाप खुद के घर से ही बेघर कर दिये जाते हैं... **अश्क-ए-ग़म-- tear of sorrow **दीदा-ए-पुर-नम-
Dr Upama Singh
ना करना मर्सिया मेरे रूख़सती पर यारों। निकले जब जनाज़ा मेरा खुशी खुशी अलविदा करना यारों।— % & ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मर्सिया" "marsiya" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है विलाप, शोक गीत एवं अंग्रेजी में अ
Dr Jayanti Pandey
समुन्दर है तो लहरों का मचलना भी ज़रूरी है अथाह गहराई हैतो क्या छलकना भी ज़रूरी है मन में छुपी हों लाखों भावनाएं किसी के लिए तुम्हारे लहजे में, बातों में खनकना भी ज़रुरी है प्रेम जताने में भी उदार रहो हर बार आंखें पढ़ना मुश्किल रहता है लहज़े में अपने खुशगवार रहो मर्सिया पढ़ने को जमाना कब से बैठा है #jayakikalam
Sita Prasad
यूं ही मर्सिया मनाते रहे वो, खुशनसीबी के आलम में, प्यार होना ही पाक है, तमन्नाओं की कतार तो जालिम है।।— % & ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मर्सिया" "marsiya" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है विलाप, शोक गीत एवं अंग्रेजी में अ
Vedantika
मर्सिया में डूबे है लोग जिसे ख़ुश देखकर, उससे ज्यादा गमज़दा दुनिया में कोई नहीं।— % & ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मर्सिया" "marsiya" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है विलाप, शोक गीत एवं अंग्रेजी में अ
samandar Speaks
जिक्र ए मेहर ओ वफा ना करो चश्म ए मस्त से रुसवा ना करो बचा के रखो मान दहलीज़ का ना सरे राह इसको उछाला करो दरख्तों पे पसरा मातमी सन्नाटा शब्ज ओ बाग ए फजा ना भरो हर चेहरे पे है बस पर्दा ए रवायत अब सलिका हमे ना सिखाया करो हिज्र मे कब यहाँ मरता है कोई बेवजह बावफा का दम ना भरो दीद ए पानी से है चेहरे कि सुरत बेनजर अब नजर को तुम ना करो ✍राजीव✍ जिक्र ए मेहर ओ वफा ना करो चश्म ए मस्त से रुसवा ना करो बचा के रखो मान दहलीज़ का ना सरे राह इसको उछाला करो दरख्तों पे पसरा मातमी सन्नाटा शब्ज
arun dhuwadiya
मजहबी पखण्ड का उपचार हो। और जिहादी सोच पर भी वार हो। ये नहीं चाहा कभी आवाम ने। कौम से इंसानियत की हार हो। नफरती लोगों को समझाओ जरा। प्रेम की इस धरती पे बस प्यार हो। मज़हबी उन्माद वाली कोढ़ का। प्यार ही उपचार का आधार हो। सारी दुनियाँ को मिटाने की सनक। तुम तो योद्धा हो नहीं, बीमार हो। मातमी चीखों पे अठ्ठाहस हुई। सोचों तुम, इंसाँ नहीं आज़ार हो । तुमसे अब उम्मीद *आशू* क्या करे। दुश्मन-ए- इंसानियत खूँखार* हो। (खून पीने वाले) आशू रतलाम मजहबी पखण्ड का उपचार हो। और जिहादी सोच पर भी वार हो। ये नहीं चाहा कभी आवाम ने। कौम से इंसानियत की हार हो। नफरती लोगों को समझाओ जरा। प्रेम
Rajesh Raana
अब हम कुछ नही करते , सब तकनीक करती है , किसी का जन्मदिन , किसी का खास दिन, किसी का उदास दिन , कोई सालगिरह , कोई जिरह , सब तकनीक याद रखती है ! तकनीक याद करती है , तकनीक याद रखती है , तकनीक याद दिलाती है , मेरी शुभकामना , मैं नही पहुँचाता किसी को तकनीक पहुँचाती है । मैं मेरी वो पुरानी डायरी अब नही खोजता , वो कही चीढ़ कर दुबकी रहती है , अलमारी के किसी कोने में , शायद आँसु बहाती होगी , खुद के वज़ूद के खात्मे का। और तकनीक के जन्म का मर्सिया पढ़ती होगी । मेरी वो डायरी। अब हम कुछ नही करते , सब #तकनीक करती है , किसी का जन्मदिन , किसी का #खास #दिन, किसी का #उदास दिन , कोई #सालगिरह , कोई #जिरह , सब तकनीक याद रख