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Stories related to एककोशीय परजीवी

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Parasram Arora

परजीवी.....

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हम  दोस्त है (इसलिए)
मुझे  तुमसे
और तुम्हे
मुझ से
कुछ  नहीं  चाहिए
क्योंकि  हम
परजीवि   हैँ 
)

©Parasram Arora परजीवी.....

संजीव निगम अनाम

सारथी परजीवियों के,सोच जिनकी अब बटी
पूंछ जैसे घूमते जो,साथ रथ में वो सटी।
आंख से ओझल नहीं मंज़र हमारी आंख के,
राम जी के धाम में,घटना कभी थी जो घटी।

©संजीव निगम "अनाम" #आंदोलन_वाले_परजीवी
#परजीवी

Aman shrivastava

मित्र या परजीवी #Poetry

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Rajesh rajak

बेटी तो परजीवी है,अमर बेल लता सी

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लिपट गई बो मुझसे,जैसे हो इक बेल लता सी,
नन्हे कोमल हाथों का आलिंगन,मानो करती हो अभिनन्दन,
पर में एक पिता,,इक पल मानो इक युग बीता,,
उसका स्पर्श,बंदन अभिनन्दन,दे गया मुझको हुक जाता सी,
क्या?बो परजीवी है?जो लिपट गले के आंगन में झूल उठी अमर बेल लता सी,
अब जेहन सोचे एक पिता का,,में माली हूं इस बगिया का,
बेटी तो परजीवी है अमर बेल लता सी।। बेटी तो परजीवी है,अमर बेल लता सी

Motivational indar jeet group

#जीवन दर्शन आप जीस दिन परजीवी व स्वावलंबी का अनुसरण कर लेगें उस दिन आपको किसी की सहायता कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी !.i. j #विचार

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जीवन दर्शन 
आप जीस दिन परजीवी व स्वावलंबी का अनुसरण कर लेगें उस दिन आपको किसी की सहायता कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी !.i. j

©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 
आप जीस दिन परजीवी व स्वावलंबी का अनुसरण कर लेगें उस दिन आपको किसी की सहायता कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी !.i. j

Parul Sharma

#hearts ये इश्क़ है जनाब... कहीं भी उग आता है इसे फेंको या सींचो कहीं भी पनप जाता है परजीवी है ना इसे तो बस सतह चाहिये

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ये इश्क़ है जनाब...
कहीं भी उग आता है
इसे फेंको या सींचो
कहीं भी पनप जाता है
परजीवी है ना
इसे तो बस सतह चाहिये
         पारुल शर्मा #hearts

ये इश्क़ है जनाब...
कहीं भी उग आता है
इसे फेंको या सींचो
कहीं भी पनप जाता है
परजीवी है ना
इसे तो बस सतह चाहिये

Shubhro K

#18May2022 अमरबेल (Cuscuta) एक ख़तरनाक परजीवी होता है, जो ख़ुद जीने के लिए, बड़े दरख़्तों से लिपट कर उनकी ज़िन्दगी ही चूस लेती है... मेरे

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drsharmaofficial

ना हमें राम चाहिए ना हमें हनुमान चाहिए ना हमें क़ुरान चाहिए ना हमें पैग़म्बर का ज्ञान चाहिए बस ये घुमती धरती चाहिए उसमें बसी प्रकृति चाहिए चा #Nature #yqbaba #yqtales #yqquotes #collabwithme #प्रवासी #bestyqhindiquotes #yqspecial

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ना हमें राम चाहिए, ना हमें रामायण का ज्ञान चाहिए
ना हमें क़ुरान चाहिए, ना हमें पैग़म्बर का ज्ञान चाहिए
बस ये घुमती धरती चाहिए, उसमें बसी प्रकृति चाहिए
चारों तरफ़ हरियाली - ख़ुशयाली की बौछार चाहिए
जीव-परजीवी के प्रति उदारता चाहिए
मानव में ना बसी वो मानवता चाहिए
  
🌱#GoGreen_SaveTheFuture🌳 
ना हमें राम चाहिए ना हमें हनुमान चाहिए
ना हमें क़ुरान चाहिए ना हमें पैग़म्बर का ज्ञान चाहिए
बस ये घुमती धरती चाहिए उसमें बसी प्रकृति चाहिए
चा

Parul Sharma

वो फूल तोड़कर लाता था वो रोज उसे गुलदस्ते में सजाती थी वो जानती थी कि... एक दिन उसे भी किसी बगिया से तोड़कर लाया गया था इसी तरह। और सजा दिय

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A short story 
वो फूल तोड़कर लाता था
वो रोज उसे गुलदस्ते में सजाती थी
वो जानती थी कि...
एक दिन उसे भी किसी बगिया से 
तोड़कर लाया गया था इसी तरह।
और सजा दिया गया एक सामान की तरह
और शायद जब वो मुरझा जायेगी
तो फेंक दिया जायेगा इन फूलों की तरह
  चार दीवारी के किसी कोने में।
    हाँ वो फूल ही तो है।
फर्क बस इतना है कि वो औरत है।
एक के लिए पराया धन दूसरे घर के लिए परजीवी है।
 फिर भी वे जीव नहीं और न जीवित ही है ।
       बस एक मशीन की तरह 
शायद एक कृत्रिम फूल की तरह।
या कामकाजी घरेलू उपकरण की तरह।
            हाँ वो औरत है
                पारुल शर्मा #NojotoQuote वो फूल तोड़कर लाता था
वो रोज उसे गुलदस्ते में सजाती थी
वो जानती थी कि...
एक दिन उसे भी किसी बगिया से 
तोड़कर लाया गया था इसी तरह।
और सजा दिय

अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता, देश में अब गणतंत्र है। पर प्रश्न है मेरा सबसे क्या सच में हम स्वतंत्र हैं? यहां पहरे हैं आरक्षण के, प्रतिभाओं के #India #yqbaba #yqdidi #yqhindi #patriotism #1071stquote

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बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता,
देश में अब गणतंत्र है।
पर प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
यहां पहरे हैं आरक्षण के,
प्रतिभाओं के कंधों पर।
क्या मजाल कोई रोक लगा दे,
काले गोरखधंधों पर।
अंदर अंदर खोखला करता,
कैसा परजीवी तंत्र है।
प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
जिसका जब भी जी चाहे,
राष्ट्र विरोध कर जाता हैं।
पत्थर बाजों के हाथों,
सैनिक यहां मर जाता है।
मानवता को धिक्कारता,
मानवाधिकार का षड़यंत्र हैं।
प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)..
 बरस बीत गए पाए स्वतंत्रता,
देश में अब गणतंत्र है।
पर प्रश्न है मेरा सबसे
क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?
यहां पहरे हैं आरक्षण के,
प्रतिभाओं के
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