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Raaj Music
प्यार तो सभी करते है लेकिन, मिलता उन्ही को है जिनके पास मन से बड़ा धन हों! ©Sunil Maykar मन से बड़ा धन है क्या?
Nojoto Comedy
एक स्त्री क्या क्या कर सकती है? #NojotoComedy #Meme #FunnyHindiQuoteStatic
Pragya Saraf
स्त्री तो स्त्री है... स्त्री तो स्त्री है, मनुष्य कहाँ बन पाती है? कोई मानव अधिकार -स्त्री का अधिकार कहाँ? फ़र्ज निभाना बस फर्ज निभाना स्त्री के लिए तो बस एक यही है राह यहाँ... स्त्री तो स्त्री है, मनुष्य नहीं बन पाती है? चाहे रौंद दो भावनाओं को, मिटा दो किस्मत की रेखाओं को, बुझा दो सारी आशाओं को, तोड़ दो सारे सपनों को, फिर भी छोड़ के सारे अपनों को.... एक नए घोंसले की खातिर, तिनका -तिनका जुटाती है। स्त्री तो स्त्री है.... टूटने और बिखरने पर भी खुद ही सिमट जाती है, वो रूठे और कोई मनाएँ, उम्मीद कहाँ लगाती है... स्त्री तो स्त्री है, मनुष्य कहाँ बन पाती है.... स्त्री तो स्त्री है....
MUNNA KUMAR GANDHI
उस धन का क्या जो मन को खुशी ना दे उस मन का क्या जो अपनों का साथ ना दे ©MUNNA KUMAR उस धन का क्या
Manish Khatri
#स्त्री आपको क्या बनना है ये आपके हाथ में है😊
Sanjana Surbhi
"स्त्री" अपने स्त्री होने का प्रमाण देती है, जब वो अपनी इच्छाओं को त्याग कर एक शिशु को जन्म देती है।। वो चाहती है, अपनें पैरों की बेड़ियां तोड़ भागना और सिर्फ भागना, ख़ुद के पीछे जब तक वो खुद को "तराश" ना ले, वो भागते रहना चाहती है।। पर वो है सहनशीलता से भरी पड़ी एक स्त्री, वो जानती है, उस चहारदिवारी के बीच के लोग उसे भागने नहीं देगें, और वो अपने पैरों को मोड़ खुद में सिमट कर रह जाती है।। क्या जन्म देना ही सिर्फ स्त्री होनें का प्रमाण है!.. ©Sanjana Surbhi #girl क्या जन्म देना ही स्त्री होनें का प्रमाण है!..
खामोशी और दस्तक
पुरुष की आकाँक्षा काम की है । सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है धन—पद की जरूरत है भोगने के लिए । बिना धन के भोगेंगे कैसे ? बिना धन के अच्छी स्त्री भी न पा सकेंगे । बिलकुल निर्धन हुए तो स्त्री भी न पा सकेंगे । स्त्रियाँ आमतौर से धन में उत्सुक होती हैं । यह हमने खयाल किया । धनी को सुन्दरतम स्त्री मिल जाती है । चाहे धनी सुन्दर न हो । ना भी हो धनी, तो भी युवा स्त्री मिल जाती है । ओनासिस को जैकी मिल जाती है । धन हो ! तो थोड़ा सोचने जैसा है कि स्त्री को धन में इतनी उत्सुकता क्या है ? स्त्री काम है । धन के बिना काम के खिलने की सुविधा नहीं । धन तो ऐसे ही है जैसे पौधे में पड़ी खाद है । बिना खाद के फूल न खिल सकेगा । इसलिए स्त्री की सहज आकाँक्षा धन की है । वह बलशाली आदमी को खोजती है । महत्वाकाँक्षी को खोजती है । धनी को खोजती है । पद वाले को खोजती है । स्त्री सीधे—सीधे चेहरे पर नहीं जाती । चेहरे—मोहरे से स्त्री बहुत हिसाब नहीं रखती । इसलिए कभी—कभी आश्चर्य होता है, सुन्दरतम स्त्री कुरूप आदमी को खोज लेती है । मगर उसकी जेबें भरी होंगी । वह बड़े पद पर होगा । राष्ट्रपति होगा । प्रधान मन्त्री होगा । सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है । क्योंकि वह जानती है अगर अर्थ होगा, तो ही वह खिल पायेगी, तो ही उसका सौन्दर्य निखर पायेगा । धन सुविधा है । पुरुष की आकाँक्षा काम की है । पुरुष अर्थ है । इसे हम समझें । पुरुष महत्वाकाँक्षा है, वह अर्थ है । वह धन तो कमा सकता है । धन तो उसकी मुट्ठी की बात है । हाथ का मैल है । लेकिन सुन्दर स्त्री को कैसे कमायेगा ? सुन्दर स्त्री तो हो तो हो, न हो तो सौन्दर्य को पुरुष पैदा नहीं कर सकता । इसलिए उसकी नजर सौन्दर्य पर है । सुन्दर स्त्री हो, तो वह और तेजी से दौड़ कर कमायेगा । आचार्य रजनीश एस धम्मो सनन्तनो–भाग–6 फोटो ओल्ड वुमन ब्यूटीफुल से ली गई है ©खामोशी और दस्तक #Likho पुरुष की आकाँक्षा काम की है । सुन्दर स्त्री की आकाँक्षा बड़े गहरे में अर्थ की है धन—पद की जरूरत है भोगने के लिए । बिना धन के भोगेंगे