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Jyotsna Joshi

Nilam Agarwalla

#स्त्री_सम्मान सीमा शर्मा सृजिता

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Hriday_Creates

स्त्री

एक शब्द में ही सम्पूर्ण संसार बसा है।
ममता,प्यार,दुलार,आशीर्वाद,दया
 और करुणा सब कुछ समेटे हुए है।
उसके आगे कुछ भी नहीं हैं।
और उसके पीछे है ये सम्पूर्ण जगत,

जीवन दायिनी है प्रकृति की तरह,
स्नेह लुटाती है एक पिता की तरह,
प्यार करती है एक दोस्त की तरह,
देखभाल करती है एक मां की तरह,
कितनी भूमिकाएं और कितना संक्षिप्त
होती है वो कि पढ़ी ही नहीं जा सकती।
जो दिमाग से पढ़ना चाहे तो।
सच में स्त्री एक अनूठी उपहार है।
जिसे स्वीकार करने में हमको
 धन्य महसूस करना चाहिए।

©Chanchal Hriday Pathak #स्त्री_सम्मान

RiChA SiNgH SoMvAnShI

स्त्री का "सौंदर्य", उसकी देह नहीं, 
उसकी भावना, उसका प्रेम, वात्सल्य,
इतराना, इठलाना, रूठना, मनाना, जताना,
ये सब उसके "सौंदर्य की पंखुड़ियाँ" हैं। "स्त्री का सौंदर्य"💓💓
#yqbaba #yqdidi 
#स्त्री_सम्मान 
#स्त्री_का_सौंदर्य
#सीरत_से_मोहब्बत

Richa Mishra

प्रलय के पश्चात 
जब हुआ निर्माण 
सृष्टि का ____
तब ईश्वर ने 
सक्षम बनाया 
स्त्री को ____
उसमें भरी नैतिकता ;
और प्रदान किया
समस्याओं से 
निपटाने की 
सहनशीलता !

ईश्वर ने रचा 
पुरुष और स्त्री को 
समान रूप से ;
पूर्ण रूप से 
बनाया सहनशील 
स्त्री को 
ताकि कभी भी
उदय हो पितृसत्ता का
स्त्री उसे सहन कर सकें !!


— % & #स्त्रीअस्तित्व 
#स्त्रीत्व 
#स्त्री_सम्मान 
#स्त्रीजन्म

Richa Mishra

प्रलय के पश्चात 
जब हुआ निर्माण 
सृष्टि का ____
तब ईश्वर ने 
सक्षम बनाया 
स्त्री को ____
उसमें भरी नैतिकता ;
और प्रदान किया
समस्याओं से 
निपटाने की 
सहनशीलता !

ईश्वर ने रचा 
पुरुष और स्त्री को 
समान रूप से ;
पूर्ण रूप से 
बनाया सहनशील 
स्त्री को 
ताकि कभी भी
उदय हो पितृसत्ता का
स्त्री उसे सहन कर सकें !!


— % & #स्त्रीअस्तित्व 
#स्त्रीत्व 
#स्त्री_सम्मान 
#स्त्रीजन्म

Varsha Sharma

समझ नहीं आ रहा की आज शुरु कहां से करूं लिखना... विचारों ने आज दिमाग पर इतना घर कर लिया की ये मुझे इस बढ़ती रात के हर पल में परेशानी के सिवाय कुछ और नहीं दे रहे.... प्रेम... आख़िर क्या होता है एक पुरुष के लिए...? आख़िर पुरुष कैसे करता है प्रेम...? अकसर देखा है... तीन शब्द I love you.... इन्हें बोलने के चार दिन बाद ही people start taking & asking about the sex....! But why...? अब मैं पूछना चाहूंगी की क्या यहां ये प्रेम ने चाहा होगा...? जी नहीं... प्रेम तो रूह का होता है न... और sex ज़रूरत है तुम्

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स्त्रियों को छूने से पहले, तुम छुओ उनका मन....!

(Today i want everyone to read it & please also share your thoughts) समझ नहीं आ रहा की आज शुरु कहां से करूं लिखना... विचारों ने आज दिमाग पर इतना घर कर लिया की ये मुझे इस बढ़ती रात के हर पल में परेशानी के सिवाय कुछ और नहीं दे रहे....

प्रेम... आख़िर क्या होता है एक पुरुष के लिए...? आख़िर पुरुष कैसे करता है प्रेम...?
अकसर देखा है... तीन शब्द I love you.... इन्हें बोलने के चार दिन बाद ही people start taking & asking about the sex....! But why...? अब मैं पूछना चाहूंगी की क्या यहां ये प्रेम ने चाहा होगा...? जी नहीं... प्रेम तो रूह का होता है न... और sex ज़रूरत है तुम्

Prashant Shakun "कातिब"

और हर दिन दोनों पर बोझ बस बढ़ता ही जाता है और हम इन सबसे बेखबर, उन पर पड़े गड्ढों को, नज़रअंदाज़ कर बस बढ़ते ही रहते हैं अपनी मंज़िलों की तरफ, इस अपेक्षा में कि सरकार सड़क की मरम्मत कर देगी क्यूँकि सड़क तो सरकार ने ही बनाई है, लेकिन हम जो सड़क का प्रयोग कर रहे हैं, क्या हमारी उसके प्रति कोई ज़िम्मेदारी नहीं…? आखिर कौन होती है सड़क की सरकार…? आपके विचारों/उत्तरों का स्वागत है। #सड़क_और_स्त्री #diary #ज़िम्मेदारियाँ #स्त्रीअस्तित्व #स्त्री_सम्मान #pshakunquotes

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Prashant Shakun "कातिब"

और हर दिन दोनों पर बोझ बस बढ़ता ही जाता है और हम इन सबसे बेखबर, उन पर पड़े गड्ढों को नज़रअंदाज़ कर बस बढ़ते ही रहते हैं अपनी मंज़िलों की तरफ इस अपेक्षा में कि सरकार मरम्मत कर देगी सड़क की क्यूँकि सड़क तो सरकार ने ही बनाई है लेकिन हम जो सड़क का प्रयोग कर रहे हैं क्या हमारी उसके प्रति कोई ज़िम्मेदार नहीं…?

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सड़क के बीचों बीच 
सड़क को बाँटती वो पीली सफेद पट्टी
संभाले रखती है उस ट्रैफिक को 
जो इस तरफ आ रहा है और 
उस तरफ को जा रहा है 

एक स्त्री भी 
जब मांग भरती है तो 
दो परिवार रूपी ट्रैफिक के 
वाद-विवादों को अलग अलग 
रखती है और 
समानता बनाये रखती है कि 
दोनों तरफ का ट्रैफिक 
एक ही धरातल पर 
बिना टकराये चलता रहे 
भले ही दोनों की मंज़िलें अलग अलग हों

©Prashant Shakun "कातिब" और हर दिन दोनों पर बोझ बस बढ़ता ही जाता है
और हम इन सबसे बेखबर, उन पर पड़े गड्ढों को 
नज़रअंदाज़ कर बस बढ़ते ही रहते हैं अपनी
मंज़िलों की तरफ इस अपेक्षा में कि सरकार
मरम्मत कर देगी सड़क की क्यूँकि 
सड़क तो सरकार ने ही बनाई है
लेकिन हम जो सड़क का प्रयोग कर रहे हैं
क्या हमारी उसके प्रति कोई ज़िम्मेदार नहीं…?

निखिल कुमार अंजान

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