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Sanoj
उन्होंने अब्रू से इशारा किया कैसे हो, इधर अब्सारों से अश्क़ बह निकले। अब्रू-भौंह,अब्सारों-आँखों,अश्क़-आँसू #dklkikalamse #nojotonews #nojoto
Nilesh kushwaha
इंद्र-धनुष सी भौंह के नीचे,झील सी तेरी आँख है दो लहरों सी होंठ के ऊपर,लंबी तेरी नाक। आँख के नीचे तिल और तेरे, हिप्पी जैसी बाल मैं एक साथ सब देखुं तो जाता हूँ बेहाल। #NojotoQuote #इंद्र-धनुष सी भौंह के नीचे,झील सी तेरी आँख
patel prakhar
तुम्हारे लिए माँग कर दुनिया की सब खुशियाँ मन्नतों में... मैंने दाईं कलाई पर मोली का लाल धागा बाँधा है...
Rajnish Upadhyay Bholu
SURAJ आफताबी
चुभते खारों की रक्त रंजित नुकीली धार सा बना दो या महीनों से लहू जिसकी जीह्वा से रहा दूर उस त्रसित नार सा बना दो बहुत से निरीह आखरो को हृदय का भोज बनाया है मैने "मौला" जिसके दरबार से हुआ निष्कासित उस नृपति का खास काव्यकार सा बना दो! इन कविताओं की सूरत में मैने ब्रह्मांड अनन्त देखे है इनकी भौंह की मस्तूरी में मेरे कई स्वप्नो ने नन्हें कदम अपने रखे है अब इनकी भावनाओं के उदभ्रांत में मेरा कोई अपराध हो तो बता दो कलुष भी चंदन तिलक जैसा स्वीकार मुझे माथे,मगर काव्य में मेरा कोई उध्दार बता दो! क्या लिखे अब यहाँ.... नार- शेर निरीह- innocent, निरपराध नृपति- king, राजा मस्तूरी- छिपाव भौंह - पलक उदभ्रांत- भ्रम मे पडा हुआ
ALOK Sharma
कलम से कलम लड़ गई, कागज़ राह तकता रहा। आपस में बात अड़ गई, मुद्दा बीच मे लटका रहा। न दलीलें हुईं न ही बयान, असत शब्द भटका रहा। तारीख़ पे तारीख़ चढ़ गई, मामला बस, अटका रहा। आँख से आँख भिड़ गई, मनस उँगली चटका रहा। न दुआ हुई न ही सलाम, तमस खड़ा मटका रहा। न हवा चली और न आँधी, चर धूल फांकता रहा। भौंह से भौंह अस चिढ़ गई, सत खेद छानता रहा। माथे चटक लकीरें मढ गई, सांसे बख़त दर खींचता रहा। सुईं के आगे सुईं बढ़ गईं, फ़ैसला दरीचे झांकता रहा। ©ALOK Sharma...✍️ फ़ैसला दरीचे झांकता रहा। कलम से #कलम लड़ गई, कागज़ राह तकता रहा। आपस में बात अड़ गई, मुद्दा बीच मे लटका रहा। न दलीलें हुईं न ही बय
विवेक त्रिवेदी
चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह, नासिका बांसुरी, छबि बहुत ही है न्यारी कितना भी उपमित कर दू, या आकृति बना दू या लिख दूं तुझपे कोई लेख पर खुद में तेरी सुंदरता है उत्तम अनुपम और अलेख चंद्र सदृश मुख ,लटे लटकती जैसे लता सांसों में पुस्पित सुंगंध,काया में कुसुम सी कोमलता भीना झीना सा अंचल है , आंखे है कारी कजरारी धनुष भौंह,
Kamaal Husain
प्यार कय धागा तोड़ न पैबा// लौट करेजा एक दिन अयैबा//१ का होवेला दिल तोड़य से// जनिहा तू जब धोखा खैबा//२ याद रखा हे मोर करेजा// छोड़के हमका तू पछतैबा//३ प्रेम करेलू तू हम जानिला// एक दाईं कहिदा केतना छुपैबा//४ हम त ई सोचिके खुश हैं ये रानी// जाई से पहले तू गले लगैबा//५ सुनला कमाल तू ई डंके चोट प// कहत तू बाबू सोना हमके अयैबा//६ राम राम जी रउआ सभे जन के। आज कय #collab बाटे #प्यारकयधागा #आपनभोजपुरी #yqbabuaa #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Babuaa प्या
subodh kumar
सिगरेट सी सुलग रही है जिंदगी🚬🚬🚬🚬🚬 सिगरेट सी सुलग रही है जिंदगी पल पल बीत रही है जिंदगी कैसे ख्वाब से नजरें चुराओगे, गर रह गया सपना अधूरा तुम धुँआ हो जाओगे । कोई इश्क, मुह
Pnkj Dixit
🌷👰💓💝😍 साँझ ढले सज - धज कर कै गोबर का तसला लेकर आणा चुन्नी का ओल्हा कर कै फिर तेरा शरमा जाणा याद मुझे आता है अब तक भौंह चढ़ा कै मुस्का कै जाणा मनै एक बार फैर त तू अपणा वही हाल दिखा दै प्यारी कमल बेधड़क तेरा दिवान्ना सब हसरत तेरी पूरी कर दूँ सारी यू जीवण तेरे नाम कर राख्या मैं मौत भी तेरे नाम कर दूँ प्यारी ११/०३/२०१८ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' ©Pnkj Dixit 🌷👰💓💝😍 साँझ ढले सज - धज कर कै गोबर का तसला लेकर आणा चुन्नी का ओल्हा कर कै फिर तेरा शरमा जाणा याद मुझे आता है अब तक भ