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yogesh atmaram ambawale
स्त्री पुरुष समानता फक्त नावकरताच आहे, अजूनही बऱ्याच ठिकाणी स्त्रीला दुय्यम दर्जाचं आहे. कितीही शिकली तरी माहेरी काय किंवा सासरी काय ऐकावच लागत, हे काय केलं,असं काय केलं हेच बोल सहन करावं लागतं. हुशार ती स्त्री तरीही तिला डांबलेच जाते, तुझी हुशारी चुली पुरताच ठेव हे ऐकविले जाते. आजही तिचे मोबाईल तपासले जातात, आणि कपड्यांवरही टोमणे मारले जातात. पाहता हे दृश्य मनात हेच विचार येत असते, स्त्री पुरुष समानता काय फक्त लिहिण्या वाचण्या पुरताच असते.? शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे समानता.. #समानता1 चला तर मग लिहुया. #collab #yqtaai लिहीत राहा. #YourQuoteAndMine Collaborating with Your
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस कलयुग में सब कुछ झूठ हो सकता है मगर एकांत में आँखों से बहे आंसू नहीं ..., जीवन चक्र में आज तक समझ नहीं आया की स्त्रियों की अपेक्षा वस्त्र तो जल्दी पुरुष त्यागते हैं ,लेकिन इतिहास गवाह है की चरित्रहीन -कुलटा -बेशरम -बेहया स्त्रियाँ ही कहलाती हैं ,आज भी जब किसी बहन बेटी बहु के साथ गलत होता है तो भी समाज उन्हीं को अलग दृष्टि से देखता और आंकता है ,क्या वाकई स्त्री पुरुष समानता के धरातल पर खड़े हैं ....? जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ना जाने क्यों ये दुनिया मौन को सामने वाले की कमजोरी समझती है ,दुनिया क्यों नहीं समझती की जिसको लोगों की बातों को पीना आ गया ख़ास कर अपनों की उससे बड़ा ताक़तवर कोई नहीं ,सोच कर देखिये जो सह सकता है क्या वो कह नहीं सकता पर कहता इसलिए नहीं की सामने वाले से सच बर्दाश्त नहीं होगा और फिर इसके ऊपर सदैव की भांति एक नया इलज़ाम लग जायेगा ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की गर्दिश ए हालात के दौर में हर अपना पराया समझ आ जाता है ,कई बार सब कुछ जानते बूझते साथ इसलिए देना पड़ता है की उस परमपिता की दी हुई जिंदगी में कुछ कर्ज चुकाने अभी बाकी होते हैं ...! Affirmations: 96-मेरे पास हमेशा एक विकल्प है ... 97-मैं अपनी समस्याओं को भुलाकर शांतिपूर्वक सोता हूँ ... 98-हर समस्या का एक समाधान है ... 99-अनंत आत्मा शाश्वत है ... 100-मेरा जीवन ही एक आनंद है .. बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 Note:- नमस्कार मित्रों , मैं कश्मीर-कश्मीरी पंडितों तथा कश्मीरियों के साथ हुई ज्यादती -नाइंसाफी तथा जुल्म के ऊपर एक पुस्तक लिख रहा हूँ ,आप -आपके परिचित-मित्र जो भी कश्मीर से तालुकात रखते हों ,कृपया मुझे व्यक्तिगत मैसेज करें ,आगामी वार्तालाप हेतु ... ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस कलयुग में सब कुछ झूठ हो सकता है म
Rashmi Hule
भारतीय संस्कृति... ⬇️ See Caption भारतीय संस्कृति.... भारत की संस्कृति 5000 साल प्राचीन मानी जाती है। इस संस्कृति को ऋषि-मुनियों की परंपरा से जोड़ा गया है। विश्व भर में
sandy
#चालती हो माझ्या घरातून "चालती हो माझ्या घरातुन..." आजोबा आजीला रागावले तशी छोटी मीना आईला जाऊन बिलगली. ती भेदरली होती. कारण अगदी क्षुल्
HP
भारतीय संस्कृति में पुरुष और स्त्री को आधा-आधा अंग मान कर एक शरीर की व्याख्या की गई है पुरुष को अर्द्धनारीश्वर तथा स्त्री को अर्द्धांगिनी कहा गया है। पुरुष/स्त्री
Priyanshi
पुरुष कुछ भी स्वीकार कर लेते हैं आसानी से , परन्तु वो पूर्ण समर्पण और त्याग नहीं कर पाते । स्त्रियां कर सकती त्याग और पूर्ण समर्पण , परन्तु वो कुछ स्वीकार नहीं कर पाती आसानी से ।। - मन्नत स्त्री- पुरुष
Harshita Gupta
स्त्री पुरुष के मध्य किए जाते हैं "कुछ भेद" जिनसे उत्पन्न होते हैं "मतभेद" और बन जाते हैं "मनभेद"। Harshita gupta 🍁 #स्त्री #पुरुष
पूर्वार्थ
अंततः अन्तर.....✍️ लेखकों ने पुरुषों की अपेक्षा स्त्री को लिखना/दर्शाना क्यों उचित समझा! जबकि कुछ कवियों व दार्शनिकों का मानना है कि... नारी तेरी माया कोई न समझ पाया. आखिर ऐसा क्यों बोला बोला गया होगा! क्या कोई तार्किक सम्मत विचार रहा होगा? आइये इस विषय पर चर्चा करें। स्त्री... बहुत सुलझी सी, बहुत भावुक सी, बहुत मासूम सी, रही होगी, कदाचित लेखक उसकी इसी बनावट के कारण उसे लिखना उसे दर्शाना व उकेरने का कारण रहा होगा। यदा कदा पुरुष के जीवन पर किसी ने भी चार पंक्ति लिखना व्यर्थ ही समझा होगा! यत्र तत्र किसी ने लिखने का साहस किया भी हो परंतु वह अंत तक नहीं पहुंच पाया होगा, संभवत उसका कारण यह रहा होगा कि शुरुआत कहां से करे। पुरुष को गढ़ना संभव ही नहीं अपितु उसके विषय पर लिखना क्षीरसागर में समाहित हो जाना है, उसी में विलीन होना हैं, जिम्मेदारियों के चलते पुरुष उम्र से अधिक बड़े होते हैं, परवरिश पर आऐं तो माँ से अच्छा किरदार निभाने वाले, कठोरता पर आऐं तो अपनी प्रेमिका को ठुकरा दें! नादानी पर आ जाऐं तो बच्चों को पछाड़ दें, कुसंगति में आ जाऐं तो साधु को बिगाड़ दें प्रेम में पड़ जाऐं तो पहाड़ खोद दें। पुरुष! व्यथा से व्यथित होकर अपने व्यक्तित्व का खडंन नहीं होने देते हैं, सारा जीवन एक कमरे में बिता देते हैं केवल अपने परिवार की खुशियों के लिए... सभी पुरुष दैहिक संतुष्टि नहीं चांहते हैं, कुछ केवल सही कांधे तलाशते हैं ताकि दिन भर की थकान व दैनिक प्रक्रिया को साझा कर सकें। संभावित स्त्री भी उसी का साथ करती हैं, जिस पुरुष में नादानियां एक बच्चें समान हो... समझदारी पिता समान , कुशलता पति समान, और सुरक्षात्मक भाव भाई समान हो। ❤ ©पूर्वार्थ #स्त्री #पुरुष
Sumit Kumar
स्त्रीयों को सम्मान दिलाते-दिलाते पता ही नहीं चला, कब पुरुषों को हमनें समाज की नजरों से गिरा दिया.. ©Sumit Kumar स्त्री-पुरुष..
CalmKrishna
स्त्री और पुरुष ! #स्त्री #पुरुष #जीवन #अर्थ #philosophy