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Shashi Bhushan Mishra
झूठ का सौ-सौ बहाना होगा, सच मगर सामने लाना होगा, जमीं तलाश कर रखिए अपनी, हवा में किसका ठिकाना होगा, बड़ी उम्मीद पाल कर है रखी, बोझ हम सबको उठाना होगा, पास में रखिए दवा हर मर्ज़ की, ख़ुद-ब-ख़ुद दर्द रवाना होगा, लोग मुहब्बत में भी टूट जाते हैं, कौन है किसका बताना होगा, अंधरे को दूर भगाना है अगर, ज्ञान का दीपक जलाना होगा, शख़्सियत अपनी निखारो गुंजन, तुम्हारे कदमों तले ज़माना होगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दीपक जलाना होगा#
Sri batsa Meher
ज्ञान के दीपक जलाना 🌹🌹🌹🌷🌹🌹🌹 अंधेरा में जो रहेता है वो आलोक का एहेमियत जानता है । आलोक के अंदर में रहेने वाले अंधेरा का कोई मूल नहीं पाते । दुख में रहेने वाले सुख का जिगर करते हैं मगर सुख में रहेने वाले दुख का जिगर नहीं करते । अज्ञान में रहेने वाले ज्ञान का इतनी जिगर नहीं करते जितनी करनी चाहिए । ज्ञान में रहेने वाले अज्ञान को फूंक मारते है । जैसे की दीप जलता है आलोक देता है । मगर फूंक देने से फिर अंधेरा हो जाता है । ज्ञानी कभी गुरूर नहीं करना चाहिए अज्ञानी को समिटना चाहिए । और सीखना चाहिए असली ज्ञान क्या है । असली दीपक क्या है असली सुख क्या है । Kabi - sribatsa,maneswar,sambalpur,odisha ©Sri batsa Meher ज्ञान के दीपक जलाना
Rajeev Dhar Dwivedi
क्या हवाएँ थीं कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना कुछ न आया काम तेरा शोर करना, गुल मचाना नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है। है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है?
Poetry Art
Kalam Rukti Nahin
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- प्यार का रिश्ता बनाना चाहता हूँ । प्यार मैं सबको सिखाना चाहता हूँ ।।१ प्यार में कोई बुराई भी नहीं है । बात मैं सबको बताना चाहता हूँ ।।२ प्यार को बदनाम जो करते यहाँ पर । मैं सबक उनको दिलाना चाहता हूँ ।।३ होश आयेगा उन्हें भी एक दिन तो । वक्त वह मैं आज लाना चाहता हूँ ।।४ प्रेम करना सीख ले अब यह जहाँ जो । नाम नफ़रत का मिटाना चाहता हूँ ।।५ फेंक दो तलवार फिर ये ढ़ाल घर से । प्रेम का दीपक जलाना चाहता हूँ ।।६ सोंच देखो तुम प्रखर की आज सारे । जख़्म मरहम पर लगाना चाहता हूँ ।।७ १२/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- प्यार का रिश्ता बनाना चाहता हूँ । प्यार मैं सबको सिखाना चाहता हूँ ।।१
Rakshit Raj
शीर्षक : अनंत काल से चलती प्रेम कहानी (read in caption ) : रक्षित राज IG: @kalam_zazbaton_ki वो रोज़ यही करता है हर दिन के अंत में मुझे अपने उजाले में अकेला छोड़ जाता है जो उजाला सिर्फ कुछ पल ही चल पता है उसके बिना फिर एक घना काला
N S Yadav GoldMine
अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशाख का महीना हिन्दू वर्ष का दूसरा माह होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिये अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं. वैशाख अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म :- 🌿प्रत्येक अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत अवश्य रखना चाहिए। वैशाख अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं. 🌿इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। 🌿पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। 🌿वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए। 🌿अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। 🌿निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए। पौराणिक कथा :- 🌿वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कथा पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे। वे बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगा। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचा। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। ©N S Yadav GoldMine #wholegrain अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशा