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Manmohan Dheer
लिख कवि ऐ शायर जनमानस को लिख तेरा लिखा ही इतिहास होगा फिर लिख कई शहादत लिख आंसू लिख लिख कि समय को लिख तू आगे सरहदों को लिख तू अवाम को लिख लिख साजिशें लिख घटनाएं लिख दुनिया ऐसी बदलती है लिख लिख कि इक सच स्वीकार हुआ है बदला लिख बहादरी लिख लिख मुल्क तेरे देश को फिर से लिख नया बनता बंटता समाज लिख शौर्य लिख पराक्रम लिख कामयाबी लिख हौसला लिख तुझे जनमानस को आवाज़ देनी है लिख प्रभाव लिख सभ्यताएं लिख युद्ध लिख तेरा लिखा ही इतिहास हो जाएगा लिख लिख सब भाषाओं में लिख ऐ कवि जनमानस को लिख.... . धीर लिख
लिख
read moreProf. RUPENDRA SAHU "रूप"
आ मैं तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूँ , मेरा हिस्सा मेरा कंवल लिख दूँ । की लिख दूँ जो तू चाहे की दिल चाहे , जैसा हो मेरा हरपल लिख दूँ , आ तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूँ ।। " रूप " My rough sketch आ मैं तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूँ , मेरा हिस्सा मेरा कंवल लिख दूँ । की लिख दूँ जो तू चाहे की दिल चाहे , जैसा हो मेरा हरपल लिख दूँ
My rough sketch आ मैं तुझ पर एक ग़ज़ल लिख दूँ , मेरा हिस्सा मेरा कंवल लिख दूँ । की लिख दूँ जो तू चाहे की दिल चाहे , जैसा हो मेरा हरपल लिख दूँ #wordporn #yqbaba #Collab #yqdidi #yqhindi #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #yq_gudiya
read moreYashpal singh gusain badal'
मातृभूमि तू आज एक बृंदगान लिख, मां भारती के नाम की, एक पवित्र अनुष्ठान लिख, तरंगित करे हर प्राण को, ऐसा मधुरिम गान लिख, एक ताल में सब पग चलें, ऐसा कोई प्रस्थान लिख, राष्ट्र के निर्माण में, तू क्रांति का आह्वान लिख, तू देश का सम्मान लिख , तू आन लिख तू बान लिख, तू लक्ष्य का संधान लिख, तू गर्व लिख तू शान लिख, तू ज्ञान लिख विज्ञान लिख, तू एक धधकती आग है, तू राष्ट्र का उत्थान लिख, उत्साह से परिपूर्ण हो, तू राष्ट्र को गतिमान लिख, तू माँ भारती के पुत्र है, तू तिरंगा परिधान लिख, तू शक्ति लिख,शक्तिमान लिख, तू नित नए प्रतिमान लिख, तू शोध लिख,अनुसंधान लिख, तू प्रेम का दिनमान लिख, तू पूजा लिख तू अजान लिख, तू गीता लिख तू कुरान लिख, तू जनों को एक लिख, तू राष्ट्र को महान लिख । रचना- यशपाल सिंह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' #मातृभूमि तू आज एक बृंदगान लिख, मां भारती के नाम की, एक पवित्र अनुष्ठान लिख, तरंगित करे हर प्राण को, ऐसा मधुरिम गान
Writer Abhishek Anand 96
लिख-लिखकर मैं रख रहा हूँ शब्द हूँ, पन्नों में पनप रहा हूँ इंसानियत प्रमाणित है मेरी मैं जन कार्ड धारक रहा हूँ बिज बो दिया हूँ कभी तो उसमें पेड़ आऐगा मैं वो नंन्हा दिप हूँ जो अंधियारे में भी पुरे कमरे में चमक दिया, मैं सुबह होने तक कमरे का साथ रहा हूँ ll बेशक समतल पठार हूँ मैं आज कभी ऊबड-खाबड़ पर्वत भी रहा हूँ हाँ आज मैं हूँ अंधेरा में लेकिन एक दिन सवेरा मेरा भी होगा कोई नही है पुछने वाला आज मेरा लेखनी को लेकिन दिन कभी ऐसा भी आऐगा जब मेरा भी लेखनी कभी किसी मंच का काम आऐगा (अभिषेक सिंह) ©Ak Singh लिख लिख कर रख रहा हूं........ #Light
हिमांशु Kulshreshtha
अपनी कलम से उकेर कर कागज पर दिल उतार देना, मधुर प्रेम की स्याही से अपने भर कर रंग अनूठे जज़्बातों को संवार देना. विरह के गीतों को अपनी देह की संदली खुशबु से एक नया आयाम रचना अधरों पर रख अधर अपने मूर्छित मेरे मन को नवजीवन देना रंग जाना मेरे प्रणय रंग में एक कथा नूतन लिख देना!! ©हिमांशु Kulshreshtha लिख देना..
लिख देना.. #कविता
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