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pooja d

माहीत नव्हते, पैंजण म्हणजे पायातील बेडी
तुलाही बापासारखं च समजत होते मी वेडी ।। #पैंजण  #बेडी

pooja d

शुभ सकाळ मित्र आणि मैत्रिणींनो कसे आहात? आताचा विषय आहे पायातील बेडी... #पायातीलबेडी हा विषय Sheela Rangari यांचा आहे. तुमचे विषय कमेंट करा #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai #स्वरचितकाव्य

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पायातील बेडी
तोडुनी आली।
आकाशी झेपावण्या
तयारी केली।। शुभ सकाळ मित्र आणि मैत्रिणींनो
कसे आहात?
आताचा विषय आहे
पायातील बेडी...
#पायातीलबेडी

हा विषय Sheela Rangari यांचा आहे.
तुमचे विषय कमेंट करा

vaishali

अष्टक्षरी काव्य *शिर्षक : लेखणी* पायी बेडी बधनांची मानू नकोस तू हार तुझ्या खऱ्या अस्तित्वचा लढा तूच लढणार

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✍️ लेखणी ✍️

पायी बेडी बधनांची
मानू नकोस तू हार
तुझ्या खऱ्या अस्तित्वचा
लढा तूच लढणार

हाती घेऊन लेखणी
शब्द बनव हत्यार
शब्दांचीच गुरुकिल्ली
करी बंधनाला पार

लेखणीचे हे सामर्थ्य
करी शब्दांनी प्रहार
वेळोवेळी लेखणीच
देते मायेचा आधार

उतरले लेखणीत
शब्दभाव अंतरीचे
होता लेखणी जहाल
देई उत्तर प्रश्नाचे अष्टक्षरी काव्य

*शिर्षक : लेखणी*

पायी बेडी बधनांची
मानू नकोस तू हार
तुझ्या खऱ्या अस्तित्वचा
लढा तूच लढणार

Rashmi Hule

उंची उडान ले.. आकाश तुम्हे पुकारता है. पक्षिणी की तरह तुम नभ में विहार करना. जो तुम्हें दर्द देती है ऐसी बेडी से अलगद बाहर आना दुसरों के लि #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai #भरारी१

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घे भरारी नभांतरी नभ तुला खुणावते
पसरुन पंख डौलदार पक्षिणी जशी विहरते
सोडवून पाय अलगद काचणार्‍या बेडीतून
जपावे स्वत्व ही आपुले सर्वांसाठीच्या जगण्यातून...  उंची उडान ले.. आकाश तुम्हे पुकारता है. 
पक्षिणी की तरह तुम नभ में विहार करना. जो तुम्हें दर्द देती है ऐसी बेडी से अलगद बाहर आना
दुसरों के लि

भारत राष्ट्र समिती महाराष्ट्र

आम्हाला व्यवस्था बदलायची आहे.... -------------------------- राबते हात कलम करून लिहिते हात जखडून टाकले त्यांनी बोलणाऱ्यांची बंद केली बोलती #MoonHiding

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आम्हाला व्यवस्था बदलायची आहे....
-------------------------- 
राबते हात कलम करून 
लिहिते हात जखडून टाकले त्यांनी 
बोलणाऱ्यांची बंद केली बोलती 
पाहाणाऱ्यांच्या डोळ्यात फेकली 
अच्छे दिनांची धुळ.. 
ऐकणाऱ्यान्  साठी मन की बात 
चालणाऱ्यांच्या पायात 
अडकवली कायद्याची बेडी 
 आता .................
राबणारा राबत नाही 
लिहीणारा लिहित नाही 
बोलणारा बोलत नाही 
पाहणारा पाहत नाही 
ऐकणारा ऐकत नाही 
चालणारा चालत नाही 
म्हणून................
देश विकायला काढलाय त्यांनी 

श्री संतोषभाऊ पाटिल - 7666447112
शिवार शेतकरी माझा मुख्य संपादक

©शिवार शेतकरी माझा आम्हाला व्यवस्था बदलायची आहे....
-------------------------- 
राबते हात कलम करून 
लिहिते हात जखडून टाकले त्यांनी 
बोलणाऱ्यांची बंद केली बोलती

vibrant.writer

#जरूरी_बात_जाए_भाड़_में राजनीतिक बेडीओ में बंधे जा रहे हो, तुम इस दर्द को दवा समझे जा रहे हो। फूल देखकर तुम दलदल में धसे जा रहे हो, तुम #NarendraModi #yqdidi #bjp #rahulgandhi #Congress #vibrant_writer #pritliladabar

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#जरूरी_बात_जाए_भाड़_में


राजनीतिक बेडीओ में बंधे जा रहे हो, 
तुम इस दर्द को दवा समझे जा रहे हो। 

फूल देखकर तुम दलदल में धसे जा रहे हो, 
तुम्हारी नासमझी से तुम भीड़ बने जा रहे हो। 

अपनी जिंदगी को तुम बर्बाद किए जा रहे हो,
इसीलिए पागलों वाली बातें किए जा रहे हो। 

अपने इंटरेस्ट को हर बात में घूसेडे जा रहा हो,
इसीलिए तुम ज्यादा जजमेंटल होते जा रहे हो। 

जरूरी बात जाए भाड़ में यह बात सीखे जा रहे हो, 
सच से दूर, घटिया जिंदगी की तरफ मुड़े जा रहे हो। #जरूरी_बात_जाए_भाड़_में

राजनीतिक बेडीओ में बंधे जा रहे हो, 
तुम इस दर्द को दवा समझे जा रहे हो। 

फूल देखकर तुम दलदल में धसे जा रहे हो, 
तुम

@_Prabhudayal Dhurve

मंजिल बढ़ता चल तू ऐ मुसाफिर मंजिल तेरे निकट होगी हौसला रख दिल में अपने ख्वाहिशे तेरी पूरी होगी संकल्प ले यदि मन में अपने उत्साह कभी ना कम हो #krishna_flute

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mute video

vibrant.writer

#भरोसाहै #धर्म #Dar ख़ुद से ज्यादा दूसरों पर जब से, भरोसा करने की आदत पाली है, कुछ इस तरह से अपनी जिंदगी तुमने कूड़ा - करकट कर डाली है। #yqdidi #YourQuoteAndMine #bestyqhindiquotes #vibrant_writer #pritliladabar

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ख़ुद से ज्यादा दूसरों पर जब से, 
भरोसा करने की आदत पाली है, 
कुछ इस तरह से अपनी जिंदगी
तुमने कूड़ा - करकट कर डाली है। 

किसी का भरोसा पत्थर से जुड़ा है,
तो किसी का भरोसा मृत शरीरों से, 
मैं हूं प्रकृति का शानदार चमत्कार, 
इसीलिए भरोसा है मुझे खुद पर। 

तुम्हें पत्थर पर भरोसा आता है, 
तुम्हें कबर पर भरोसा आता है, 
तुम्हे नकली साधु बाबा के, 
चमत्कार पर भरोसा आता है।

डर जब तुम से जीत जाता है तब, 
तुम्हें खुद पर भरोसा नहीं आता है। 
तोड़कर डर की बेडी़या, कहो खुद से, 
मैं कर सकता हूं भरोसा है मुझे खुद पर।  #भरोसाहै #धर्म #dar
ख़ुद से ज्यादा दूसरों पर जब से, 
भरोसा करने की आदत पाली है, 
कुछ इस तरह से अपनी जिंदगी
तुमने कूड़ा - करकट कर डाली है।

Hemant Rai

इंसानियत कुछ यूं शर्मसार हुई, कि,आज फ़िर एक बेटी ‘बलात्कार’ हुई, यूं तो मंदिरों में देवी बना पूजा है इन्हे, वहीं, घर की मर्यादा और संस् #poem #writer #कविता #आसिफा #निर्भया #प्रियंका

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इंसानियत कुछ  यूं  शर्मसार हुई,
कि,आज फ़िर एक बेटी ‘बलात्कार’ हुई,
यूं तो मंदिरों में देवी बना पूजा है इन्हे,
वहीं, घर की मर्यादा और संस्कारो को बेडी पिन्हा दबोचा है इन्हे।


डराते, नोच-खाते, शरीर का भोग लगाते गिद्धों, कुत्तों और भेड़ियों  कि जीत,
तो इंसानियत की हार हुई,
कि, आज फिर एक बेटी बलात्कार हुई।


‘निर्भया’,‘आसिफा’ और अब ‘प्रियंका’ तो और भी ना जाने कितनी ही इन दरिंदो का शिकार हुई,
लो आज फ़िर एक बेटी बलात्कार हुई।

अब फिर से डीपी और स्टेटस बदलेंगे, 
कैंडल मार्च होगी, 

और शोक में शामिल दिखावे की सरकार भी होगी।
मुज़रीम पकड़े भी जाएंगे,
तारिखो का सिलसिला चलेगा, 
और फांसी से कम हुई सज़ा तो पीड़िता कि आत्मा को ना-गवार भी होगी।

क्या करे अब बेटियां,
यूंही शिकार होती रही हेवानियत का, या पैदा होना ही छोड़ दे बेटियां?
 गर, ऐसा हुआ भी तो खु़द के अस्तित्व को कैसे कायम रख पाओगे,
जन्मे तुम औरत से ही हो, बीन औरत धरती पे कैसे जन्म पाओगे?

पीड़िता (औरत) के दर्द, वेदना, उसकी छटपटाहट को समझो, रोको,
कि, अब ना कोई बलात्कार हो
भेंट ना चढ़े कोई बेटी इन दरिंदो के आगे,
और इंसानियत ना फ़िर से शर्मासर हो।
और इंसानियत ना फ़िर से शर्मासर हो।

~हेमंत राय। इंसानियत कुछ  यूं  शर्मसार हुई,
कि,आज फ़िर एक बेटी ‘बलात्कार’ हुई,
यूं तो मंदिरों में देवी बना पूजा है इन्हे,
वहीं, घर की मर्यादा और संस्

Hemant Rai

इंसानियत कुछ यूं शर्मसार हुई, कि,आज फ़िर एक बेटी ‘बलात्कार’ हुई, यूं तो मंदिरों में देवी बना पूजा है इन्हे, वहीं, घर की मर्यादा और संस्का

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इंसानियत कुछ यूं शर्मसार हुई,
कि,आज फ़िर एक बेटी ‘बलात्कार’ हुई,
यूं तो मंदिरों में देवी बना पूजा है इन्हे,
वहीं, घर की मर्यादा और संस्कारो को बेडी पिन्हा दबोचा है इन्हे।


डराते, नोच-खाते, शरीर का भोग लगाते गिद्धों, कुत्तों और भेड़ियों  कि जीत,
तो इंसानियत की हार हुई,
कि, आज फिर एक बेटी बलात्कार हुई।


‘निर्भया’,‘आसिफा’ और अब ‘प्रियंका’ तो और भी ना जाने कितनी ही इन दरिंदो का शिकार हुई,
लो आज फ़िर एक बेटी बलात्कार हुई।

अब फिर से डीपी और स्टेटस बदलेंगे, 
कैंडल मार्च होगी, 

और शोक में शामिल दिखावे की सरकार भी होगी।
मुज़रीम पकड़े भी जाएंगे,
तारिखो का सिलसिला चलेगा, 
और फांसी से कम हुई सज़ा तो पीड़िता कि आत्मा को ना-गवार भी होगी।

क्या करे अब बेटियां,
यूंही शिकार होती रही हेवानियत का, या पैदा होना ही छोड़ दे बेटियां?
 गर, ऐसा हुआ भी तो खु़द के अस्तित्व को कैसे कायम रख पाओगे,
जन्मे तुम औरत से ही हो, बीन औरत धरती पे कैसे जन्म पाओगे?

पीड़िता (औरत) के दर्द, वेदना, उसकी छटपटाहट को समझो, रोको,
कि, अब ना कोई बलात्कार हो
भेंट ना चढ़े कोई बेटी इन दरिंदो के आगे,
और इंसानियत ना फ़िर से शर्मसार हो।
और इंसानियत ना फ़िर से शर्मसार हो।

~हेमंत राय। इंसानियत कुछ यूं शर्मसार हुई,
कि,आज फ़िर एक बेटी ‘बलात्कार’ हुई,
यूं तो मंदिरों में देवी बना पूजा है इन्हे,
वहीं, घर की मर्यादा और संस्का
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