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writervinayazad
Uttam Dixit
"ये है दोस्ती" (Happy friendship day) (Dedicated to all my friends) (Read in caption) एक अलग एहसास है दोस्ती, रिश्तों में सबसे खास है दोस्ती, जिन्होंनें दोस्ती की कीमत समझी है, सिर्फ उनके ही तो पास है दोस्ती..!! तड़पते मन की प
Uttam Dixit
जब इश्क़ निभाने में आड़े मज़हब के पैमाने होते हैं, ये इतिहास गवाह है उन सबका,वो अमर दीवाने होते हैं, जब हरहाल में मुझको पाने को,वो हर मज़हब से लड़ जाती है तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!! (Please Read Full Poem In Caption) जब लाख इबादत करके भी न कोई इनायत मिलती है, जब हर किसी के लफ़्ज़ों में बस एक शिकायत मिलती है, जब सबके ताने सुन-सुन कर मैं अश्क़ बहाया करता हूँ,
Uttam Dixit
मेरा दिल तोड़ के तूने जो तोहफे में दिया मुझको, सीने में तेरी उस याद को अब तक 'दबा' के रखा है, कहीं नजर न लग जाये उस जिगर के टुकड़े को, हर रोज उसे काजल का टीका 'लगा' के रखा है। तुम लौट के आओगे कभी तो हाल पूछने को, आँखों ने इस ख्वाब को अब तक 'सजा' के रखा है, कहीं आते हुए तुझको कोई ठोकर न लग जाये, हर शाम तेरी राहों में खुद को 'जला' के रखा है। तेरी बातें इक पल को भी भुला नहीं हूँ मैं, तेरे हर लफ्ज का मैंने 'खाका' बना के रखा है, हर कोई तेरे बारे में मुझसे पूछा करता है, पर तेरे अक्स को हमने कहीं पे 'छुपा' के रखा है। जो शब-ए-फुरकत में तुमने दिया था कभी हमको, उस गम को मैंने अब तक 'दवा' बता के रखा है, वफ़ा की बात करते थे,बेवफा हो गए हो तुम, पर मैंने तुझको अभी भी 'खुदा' बता के रखा है। सभी ने डूब के सूना है तेरा मेरा वो याराना, मैंने सभी को उस लम्हे को 'जफ़ा' बता के रखा है, वो जंजीरें हैं काँटों की जिनमें जकड़ा हूँ '"मतवाला", मैंने 'इश्क' को अब बस 'सजा' बता के रखा है। #udquotes #udghazals #फुरकत #गम #जफ़ा #सजा #इश्क़
Uttam Dixit
"ये है दोस्ती" (Happy friendship day) (Dedicated to all my friends) (Read in caption) एक अलग एहसास है दोस्ती, रिश्तों में सबसे खास है दोस्ती, जिन्होंनें दोस्ती की कीमत समझी है, सिर्फ उनके ही तो पास है दोस्ती..!! तड़पते मन की प
Uttam Dixit
जब इश्क़ निभाने में आड़े मज़हब के पैमाने होते हैं, ये इतिहास गवाह है उन सबका,वो अमर दीवाने होते हैं, जब हरहाल में मुझको पाने को,वो हर मज़हब से लड़ जाती है तो महताब मैं उसका होता हूँ,वो शब मेरी बन जाती है..!! (Please Read Full Poem In Caption) जब लाख इबादत करके भी न कोई इनायत मिलती है, जब हर किसी के लफ़्ज़ों में बस एक शिकायत मिलती है, जब सबके ताने सुन-सुन कर मैं अश्क़ बहाया करता हूँ,
Uttam Dixit
मेरा दिल तोड़ के तूने जो तोहफे में दिया मुझको, सीने में तेरी उस याद को अब तक 'दबा' के रखा है, कहीं नजर न लग जाये उस जिगर के टुकड़े को, हर रोज उसे काजल का टीका 'लगा' के रखा है। तुम लौट के आओगे कभी तो हाल पूछने को, आँखों ने इस ख्वाब को अब तक 'सजा' के रखा है, कहीं आते हुए तुझको कोई ठोकर न लग जाये, हर शाम तेरी राहों में खुद को 'जला' के रखा है। तेरी बातें इक पल को भी भुला नहीं हूँ मैं, तेरे हर लफ्ज का मैंने 'खाका' बना के रखा है, हर कोई तेरे बारे में मुझसे पूछा करता है, पर तेरे अक्स को हमने कहीं पे 'छुपा' के रखा है। जो शब-ए-फुरकत में तुमने दिया था कभी हमको, उस गम को मैंने अब तक 'दवा' बता के रखा है, वफ़ा की बात करते थे,बेवफा हो गए हो तुम, पर मैंने तुझको अभी भी 'खुदा' बता के रखा है। सभी ने डूब के सूना है तेरा मेरा वो याराना, मैंने सभी को उस लम्हे को 'जफ़ा' बता के रखा है, वो जंजीरें हैं काँटों की जिनमें जकड़ा हूँ '"मतवाला", मैंने 'इश्क' को अब बस 'सजा' बता के रखा है। #udquotes #udghazals #फुरकत #गम #जफ़ा #सजा #इश्क़
Rabindra Kumar Ram
" फिर एक रोज तुझे याद करूंगा , बात कुछ भी हो तेरी बात करुंगा , बज़्म तेरे ख्याल का एक तरफा रहेगा , फुरकत तेरे एहसास का ताउम्र यूं ही रहेगा . " --- रबिन्द्र राम " फिर एक रोज तुझे याद करूंगा , बात कुछ भी हो तेरी बात करुंगा , बज़्म तेरे ख्याल का एक तरफा रहेगा , फुरकत तेरे एहसास का ताउम्र यूं ही रहे
Anonymous
अपने अंदर के प्यार को बयाँ करना शुरू करते ही जैसे सैलाब सा आकर हममें समा जाता था। कहीं भीड़ में भी दिल खामोश होकर लिखता था। दुनियादारी से दूर खुदके अंदर जैसे हमारा एक प्यार का आशियाना था।। (Read in caption) जाना सुन, क्या याद है तुझे हमारा वो खत लिखने का सिलसिला एक खत तेरे और से और एक खत मेरे और से शायद ये खत बदलने का राबता कभी रुकता ही नहीं काश
Aman Mishra
सोचता हूँ शब ए फुरकत के लम्हो में ये भी के काश ये दिन ढलता ही नही जो ये दिन ढलता नही तो ये रात होती नही जो ये रात होती नही तो आँखें मेरी रोती नही जो हम आपसे मिलते नही तो आज ये बात होती ही नही ।। शब ए फुरकत की सोच #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #hindi