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Gurdeep Kanheri
कभी बहुत मजबूती से जड़े थे डाल से वो पत्ते कभी के जमीन पर झड़ चुके हर मजबूत चीज टूट ही जाती है कभी जैसे जमींदोज होकर इंसां लाखों सड़ चुके ©Gurdeep जमींदोज इंसान
जीtendra
हम छोड़ आये थे शहर की चकाचौंध में जो घर गाँव का वो घर अब भी राह तक़ता है मेरी कि शायद उसकी मिट्टी में मिलने से पहले स्पर्श करूं मैं उसकी दीवारों को वो जी ले कुछ पल फ़िर मेरे साथ बीते हुए कल के मुक्त कर दूं उसे अपनी बचपन की यादों से और वो चैन से जमींदोज हो सके... #मिट्टी #दीवारों #लम्हों #गांव #बचपन #चैन #जमींदोज #चकाचौंध
Sachin Ratnaparkhe
जानता हूं कि अगर में दरवाज़ा खटखटाऊंगा तो तू खोलेगी ही नहीं क्युकी बंदिश-ए-कौम़ जो आम है तेरे लिए, हमारी जिंदगी-ए-मोहब्बत से इस कोम में पैदा हुआ जो तीखापन है कि खत्म होने का नाम ही नही लेता, ना जाने कितने दरख्तो को जमींदोज कर दिया गया है तेरे दिल को कैद रखने के लिए मजबूत जिंदाना बनाने में, बहुत कोशिश कर रहा हूं तोड़कर अंदर दाखिल होने की मगर ये मजबूत इस कदर है की टूटने का नाम ही नहीं लेता। #बंदिश_ए_कोम #खटखटाना #ज़िन्दगी_ए_मोहब्बत #तीखापन #दरख़्तों #जमींदोज #ज़िंदाना = कारागृह #दाखिल
LOL
गम के पहाड़ हैं हम पार तुम कभी कर ना पाओगे जरा दूर रहो.. दरक गए तो जमींदोज हो जाओगे! -KaushalAlmora PC: Kaushal joshi {यानी मैं} #गम #पहाड़ #जमींदोज #yqdidi #yqbaba
Urmila Kaushik
लाजमी है इमारतों का खंडर होना, वक्त का मिजाज है; बदलता जरूर है। जमींदोज हो गयी हैं इमारते सारी महल सी । बहुत रहती थी जिनमे इंसानों की चहल सी । #YourQuoteAndMine Collaborating with Suraj Nahata
Krishna
"यहाँ सारे गवाह मर चुके हैं, गवाही कौन देगा ll तबाही पर वाह कर चुके हैं गवाही कौन देगा ll जिनके अहंकार को वक्त ने जमींदोज किया, वो सारे शहंशाह मर चुके हैं गवाही कौन देगा ll जिनसे उम्मीद थी मुंह खोलेंगे, सच बोलेंगे, वो सारे गुनाह कर चुके हैं, गवाही कौन देगा ll नयनों में बंद सबूत थे पर ज्यादातर झूठ थे, नयन गुमराह कर चुके हैं गवाही कौन देगा ll आय के बढ़ने से न्याय का घटना, ये संकेत बुरे हैं, हम बार-बार अगाह कर चुके हैं गवाही कौन देगा ll तस्वीर के लिए संबंधित मालिक का श्रेय एवं धन्यवाद! #poetrylovers #lifequotes #poem ©Krishna #"यहाँ सारे गवाह मर चुके हैं, गवाही कौन देगा ll तबाही पर वाह कर चुके हैं गवाही कौन देगा ll जिनके अहंकार को वक्त ने जमींदोज किया, वो स
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ शून्य सी छवि के ठहरे, पर हमने भी सभाले असरार अनगिनत हैं.... बड़ा बोझिल सा है ह्रदय अब मेरा, ह्रदय पर भार अनगिनत हैं..... वो तमा कोशिशें हैं सुलझाने की, पर उलझे वो तार अनगिनत हैं..... कुछ एक दो ही हैं मुझे समझने वाले, कहने को तो मेरे भी यार अनगिनत है...... ना किनारा नज़र में, ना कश्ती सफर में,पर हाँ पतवार अनगिनत हैं.... जब ज्यादा डूब जाते हैं तेरे गम में, वो मेरी छटपटाहट, बेचैनी के, किरदार अनगिनत हैं.... जमींदोज होते हुए भी खुद से खुद को संभालने के मेरे किस्से, ऐ यार अनगिनत हैं..... कहीं पर दृष्टि एक है मेरी, तो फिर कहीं मेरे इजहार अनगिनत हैं..... बरसों से है सब्र में ठहरे फिर भी इंतजार, अनगिनत हैं..... हमें आशायें मौत से थी.... और हमारे अपनों को हमसे आशायें हज़ार ,अनगिनत हैं.... बड़ा बोझिल सा है ह्रदय अब मेरा, ह्रदय पर भार अनगिनत हैं..... वो तमा कोशिशें हैं सुलझाने की, पर उलझे वो तार अनगिनत हैं..... ✍️Vibhor Vashishstha Vs Meri Diary #Vs❤❤ शून्य सी छवि के ठहरे, पर हमने भी सभाले असरार अनगिनत हैं.... बड़ा बोझिल सा है ह्रदय अब मेरा, ह्रदय पर भार अनगिनत हैं..... वो
Namit Raturi
तेरे चहरे पे भटक के आई तेरे बालों की दो लटाएं, मेरा मासूमियत से उंगलियों से तेरे कान के पिछे ले जाना, तेरे होठों के दरमियां घहराई मापति मेरी दो निगाहें, और फिर मुझे तरसाने के लिए तेरा होठों को दाँतों से दबाना, याद है ना? जिन साँसों पे कब्जा था,तेरे जिस्म की महक का, कैसे रिहा करुं उन साँसों को खुद से, तारों की छाया जो रंग जाति थी तुझे कनक सा, सोने की चमक देख जो बन जाते थे हम बुत से, याद है ना? तरुवर की छाया के निचे,वो हवाओं के जोर पे नाचते पत्ते, टूट कर फिर हवाओं मे हवाओं से बलखाते मचलते सरसराते, नजदिकियों को और नजदिक लाते वो रस्ते कच्चे, दूर तक पास होकर चलते,धिरे धिरे तुझमे समाते, याद है ना? मेरी इबादतों मे मेरी मन्नत थी तुम, मेरा हज मेरा मदिना थी तुम, मै जिहादी आशिक था,मेरी जन्नत थी तुम, मै डूबता अगर तन्हाई मे,मेरी सफ़िना थी तुम, याद है ना? तुम्हारा मकान था,तुमने ही जमींदोज़ किया, क्या क्या टूटा क्या क्या बचा, चलो छोडो अब जो दिल तोड दिया, बस इतना कह दो एक दफा, हाँ याद है ।। तेरे चहरे पे भटक के आई तेरे बालों की दो लटाएं, मेरा मासूमियत से उंगलियों से तेरे कान के पिछे ले जाना, तेरे होठों के दरमियां घहराई मापति मेरी
यशवंत कुमार
मनुष्य हुआ बेपानी.. Read full poetry in Caption. A real story. मनुष्य हुआ बेपानी.. दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने एक बार बैठ किया विचार, चलो यह पता लगायें, कैसे बना ब्रह्मांड आखिरकार? बिग-बैंग की थ्योरी से
Ashay Choudhary
सावन: शिव दर्शन (रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) कैसा होता है ये सावन? एक दिन बस यूं ही सोच रहा था। सोचते हुए जरा गहराई में चला गया। गर्मी से चले लू के थपेड़े, आषाढ़ की थोड़ी बहुत बरसात की