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शा़यर बाबु
जिगर का टुकड़ा तुझे क्या पता की मेरे जिगर का टुकड़ा है तू जिस चाँद को देख कर हीं सब दिवाने हो जाते हैं वो चाँद का मुखड़ा है तू बता नहीं सकता तू क्या है हमारा बस! इतना समझ ले की मेरे रग-रग में बिखरा है तू जिगर का टुकड़ा........
Satish Kumar Meena
जिगर का टुकड़ा तुम्हें नौ माह कोख में रखा,दुनियां में तुम आए। बढ़ती जा रही उम्र में,फिर नई स्फूर्ति लाए। पतझड़ वाली ज़िन्दगी में,बसंत बनके चलना। तुम जिगर के टुकड़े हो,संग मेरे ही रहना।। जिगर का टुकड़ा
Priya Rajput
जिगर का टुकड़ा चाँद को देंखु या उसको, दोनों में कोई फर्क नहीं दिखता। चाँद और वो दोनों ही दूर हैं हमसे, उसकी एक झलक देखने को, हर पल है ये दिल तड़पा। दिल का बहुत साफ है वो, चाँद जैसा खुबसूरत है उसका मुखड़ा। कैसे मैं बताऊं उसको की, एक ही वो मेरे जिगर का है टुकड़ा॥ जिगर का टुकड़ा
J P Lodhi.
जिगर का टुकड़ा जिगर का टुकड़ा है,यार मेरा, दिल नहीं लगता उसके बिन। जान से भी प्यारा है यार मेरा, जीवन मेरा शून्य उसके बिन। वह लहर है तो मै हूं किनारा, जीवन अधूरा है उसके बिन। वो मेरा है सुख दुख का साथी, जीना नहीं है मुझे उसके बिन। #जिगर का टुकड़ा#
Yogendra singh
जिगर का टुकड़ा समझते थे हम जिसे बस वही तो एक जिगर को जलाने वाला धधकता शोला निकला जिगर का टुकड़ा #
maher singaniya
जाने जिगर जिगर का टुकड़ा है वो मेरा माना की वो अभी बहुत छोटा नटखट शरारती चंचल है लेकिन वो मेरे खुशियों का जरिया और मेरी आंखों का तारा है उसका मुस्कुराके बोलने की कोशिश करते हुये मुझसे मेरी बातें करना मेरे सीने से पर सर रखकर सोना मेरी उंगली कसकर पकड़ लेना नींद में सोते हुये कभी हंसना तो कभी रोना याद है मुझे क्योंकि वो मेरे लिए बेहद ही खास हैं ©maher singaniya जिगर का टुकड़ा... #PoetInYou
Unsaid_lafz
जिगर का टुकड़ा बनाती अपने हाथ से चपाती थी, खिलाती थी मुझे बड़े प्यार से। बेदर्दी दुनिया से मुझे बचाती थी, छुपाती थी मुझे अपने आंचल में। कहानी सुनाती, लाड लड़ाती, मेरे बालों में अपना हाथ फेहराती। दिल और जान से मुझे चाहती, जिगर का टुकड़ा कह कर बुलाती। जिगर का टुकड़ा #Relationships
Ashi Kaushik
जिगर का टुकड़ा हो तुम कितने अजीज हो तुम मेरी आँखों में जरा देखो खुद को मेरा ही तो एक हिस्सा हो तुम #जिगर का #टुकड़ा हो #तुम #
Rajesh rajak
एक रस्म थी जो निभाई गई, आज बेटी की देखो सगाई हुई, मेंहदी हाथो में उसके लगाई गई, देखते देखते पापा की दुलारी पराई हुई, खेली थी हाथों में बन के खिलौना पापा के सीने पे लगता था जिसका बिछौना, उन्ही हाथों से डोली पे बिठाई गई, अमानत खुदा की होती हैं बेटियां, क्यों कलेजे से जुदा होती हैं बेटियां, लिपट के सीने से रोती है प्यारी लली, खुश रखना विधाता,न मुरझाए नन्ही कलि, आज हृदय भी मेरा पत्थर का हो गया, जिगर का था टुकड़ा कोई ले गया, न करते थे ओझल कभी आंख से, आज आंखों के सम्मुख उसीकी विदाई हुई, टुकड़ा जिगर का कोई ले गया,