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New आयते करीमा Quotes, Status, Photo, Video

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P.P.S Anand Shinde

بھیگی پلکیں जरा आँखों को नम रखना...
ख्वाब सवार हो सके ऐसा एक समंदर रखना....
बिना चाहत के कोई लागत नहीं होती यहाँ....
तुम बस अपनी आयतें पाक रखना....

©P.P.S Anand Shinde #आयते 
#tears

sîdňôôr.

मेरी आंखों में पढ लेते हैं लोग तेरे इश्क की आयते , किसी में इतना भी बस जाना अच्छा नहीं होता जनाब,...

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मेरी आंखों में पढ लेते हैं लोग तेरे इश्क की आयते ,
किसी में इतना भी बस जाना अच्छा नहीं होता  जनाब,... 
❣️❣️❣️ मेरी आंखों में पढ लेते हैं लोग तेरे इश्क की आयते ,
किसी में इतना भी बस जाना अच्छा नहीं होता  जनाब,...

Mr,Gulfam Khan

ये एक7 वर्ष कि छोटी सी लड़की है जो कुरआन कि आयते बयान कर रही है,, अच्छा लगे तो लाइक कमेंट जरुर करे

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अल्पेश सोलकर

बाप म्हणतो... तुम्हाला सगळे आयते मिळते आहे... मातीत राबला असता.. की कळले असते... आव आणूच नको, पडेल तेव्हा करेन शेती नांगर धरला असता.. की कळ #marathi #MarathiKavita #yqmarathi #yqtaai #marathiquotes #alpeshsolkar

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बाप म्हणतो...

तुम्हाला सगळे आयते मिळते आहे...
मातीत राबला असता.. की कळले असते...
आव आणूच नको, पडेल तेव्हा करेन शेती
नांगर धरला असता.. की कळले असते... बाप म्हणतो...

तुम्हाला सगळे आयते मिळते आहे...
मातीत राबला असता.. की कळले असते...
आव आणूच नको, पडेल तेव्हा करेन शेती
नांगर धरला असता.. की कळ

pk Arun Kumare Daware

गालिब साहेब ने अरु को यूं हे की फरमाया, नब्ज यू किसी को बया नही करते। तुम को कितनी बार समझाओ तेरी हसरत नही है अब। वो किसी ओर में लगी हे, फुर #शायरी

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Abhidev - Arvind Semwal

रह रह के दिल से उतर गया , नहीं जानता अब किधर गया ! तू हजारो मर्तबा मर गया , वो जो तू था , जाने किधर गया ! तेरे इश्क़ की ये लिखावटें , उ #poem

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रह रह के  दिल से उतर गया ,
नहीं जानता अब किधर गया !
तू  हजारो मर्तबा मर गया , 
वो जो तू  था , जाने किधर गया !

तेरे  इश्क़ की ये लिखावटें ,
उसके  हुस्न की ये बनावटें !
मेरे दिल पे हाथ रख के बता मुझे ,
तेरा  वो अक्स जो था , किधर गया ?

तुझे याद है वो भुला गया ,
हँसते हँसते रुला गया , 
तेरी बेबसी के हाल हैं अब ,
इस हाल मैं तू किधर - किधर गया !

जाने दे वो यार , अपना नहीं 
देखा वो ख्वाब , अपना नहीं !
तुझे  भूल कर  जो   चला गया ,
उसे  याद  अब रखना नहीं !

तेरी  चाहते जो थम गयी ,
वो आहे दिल की साज थी !
तू  जो आयते पड़ता रहा ,
तेरी  दिल्लगी  बेहिसाब थी ! रह रह के  दिल से उतर गया ,
नहीं जानता अब किधर गया !
तू  हजारो मर्तबा मर गया , 
वो जो तू  था , जाने किधर गया !

तेरे  इश्क़ की ये लिखावटें ,
उ

Mohd Akhtar Razaa

अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...। ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो अहले इमां हो तो शैता

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अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा
सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो
अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो..?

तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो
बादे अख़लाक तुम्ही लोग निशाने पे हो...।

सारे ग़म सारे गिले शिकवे भुला के उट्ठो
दुश्मनी जो भी है आपस में भुला के उट्ठो...।

अब अगर एक न हो पाए तो मिट जाओगे
ख़ुश्क पत्त्तों की तरह तुम भी बिखर जाओगे...।

खुद को पहचानो की तुम लोग वफ़ा वाले हो
मुस्तफ़ा वाले हो मोमिन हो खुदा वाले हो...।

कुफ्र दम तोड़ दे टूटी हुई शमशीर के साथ
तुम निकल आओ अगर नारे तकबीर के साथ...।

अपने इस्लाम की तारीख उलट कर देखो
अपना गुज़रा हुआ हर दौर पलट कर देखो...।

तुम पहाड़ों का जिगर चाक किया करते थे
तुम तो दरयाओं का रूख मोड़ दिया करते थे...।

तुमने खैबर को उखाड़ा था तुम्हें याद नहीं
तुमने बातिल को पिछाड़ा था तुम्हें याद नहीं..?

फिरते रहते थे शबो रोज़ बियाबानो में
ज़िन्दगी काट दिया करते थे मैदानों में...।

रह के महलों में हर आयते हक़ भूल गए
ऐशो इशरत में पयंबर का सबक़ भूल गए..?

अमने आलम के अमीं ज़ुल्म की बदली छाई
ख़्वाब से जागो ये दादरी से अवाज़ आई...।

ठन्डे कमरे हंसी महलों से निकल कर आओ
फिर से तपते हुए सहराओं में चल कर आओ...।

लेके इस्लाम के लश्कर की हर एक खूबी उठो
अपने सीने में लिए जज़्बाए ज़ुमी उठो...।

राहे हक़ में बढ़ो सामान सफ़र का बांधो
ताज़ ठोकर पे रखो सर पे अमामा बांधो...।

तुम जो चाहो तो जमाने को हिला सकते हो
फ़तह की एक नयी तारीख़ बना सकते हो...।

खुद को पहचानों तो सब अब भी संवर सकता है
दुश्मने दीं का शीराज़ा बिखर सकता है...।

हक़ परस्तों के फ़साने में कहीं मात नहीं
तुमसे टकराए "जौहर!" ज़माने की ये औक़ात नहीं...।

जौहर कानपुरी साहब अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा
सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो
अहले इमां हो तो शैता

subodh kumar

कईं बार जो हमारे बस में होता है हम उसे चाह कर भी नही कर पाते है, जैसे मै अभी मानव कौल को पढ़ रहा था ‘तुम्हारे बारे में’ हर दो तीन monologue

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Caption ✍️ कईं बार जो हमारे बस में होता है हम उसे चाह कर भी नही कर पाते है, जैसे मै अभी मानव कौल को पढ़ रहा  था ‘तुम्हारे बारे में’ हर दो तीन monologue
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