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Sachin Ratnaparkhe
ग़ज़ल ये बेकरारी जरूरी है, ये बरकरारी जरूरी है, ये तमाशा-ए-मोहब्बत है, जिसमें ऐतबारी जरूरी है। देखी सितम-ए-मदहोशी, तभी होशियारी जरूरी है। तुमने तो भुगत है लिया, अब मेरी बारी जरूरी है। ये मेरी अज्मत-ए-किस्मत है, तभी मगजमारी जरूरी है। अंजाम जो भी हो इसका, पर तैयारी जरूरी है। ये ज़माना भला है कहां, तभी दुनियादारी जरूरी है। फकत शराफ़त सब कुछ नहीं, थोड़ी अय्यारी जरूरी है। तय था उसका चले जाना, तभी यारियों की यारी जरूरी है। ये ज़ख्म है ही इतना गहरा, की ये अश्कबारी जरूरी है। मजबूर राही हूं मोहब्बत का, चलन-ए-इश्क जारी जरूरी है। #बेकरारी #तमाशा_ए_मोहब्बत #सितम_ए_मदहोशी #अज्मत_ए_किस्मत #मगजमारी #अय्यारी #अश्कबारी #चलन_ए_इश्क
Šultana Ălam
कोई आंखों आंखों से बात कर लेता है..., कोई आंखों आंखों में मुलाकात कर लेता है..., बड़ा मुश्किल होता है जवाब देना यार..., जब कोई खमोश रहकर भी सवाल कर लेता है..., Šultana Âlam ❣मंजिल इन्सान के हौसले को अज्माती है!
❣मंजिल इन्सान के हौसले को अज्माती है!
read moreAnant Nag Chandan
कोई करता नहीं दुनियां में हमारा इकराम, हम किसी घर से नहीं दिल से निकाले हुए हैं। –अज्म शाकरी ©Anant Nag Chandan कोई करता नहीं दुनियां में हमारा इकराम, हम किसी घर से नहीं दिल से निकाले हुए हैं। –अज्म शाकरी
कोई करता नहीं दुनियां में हमारा इकराम, हम किसी घर से नहीं दिल से निकाले हुए हैं। –अज्म शाकरी #Shayari
read moreAarif Ahmad
ये तेरी खाम ख्याली है के मैं हार जाऊंगा मेरी आंखों में अज्म देख होंठों पे मुस्कान देख !!!
ये तेरी खाम ख्याली है के मैं हार जाऊंगा मेरी आंखों में अज्म देख होंठों पे मुस्कान देख !!! #nojotophoto
read morebrar saab
“💐💐 हकीकत बनाना है एक फसाने को, अज्म दिखाना है अपना जमाने को, जब मौत भी दस्तक दे कर पलट गई, तो अब बचा ही क्या है आजमाने को। 💐💐” ©brar saab #City #हकीकत बनाना है #एक फसाने को, #अज्म दिखाना है #अपना जमाने को, जब #मौत भी दस्तक दे कर #पलट गई, तो अब #बचा ही क्या है #आजमाने को।
SURAJ आफताबी
मरकज़-ए-निगाह से जब उनकी भटक जाता हूँ अपनी ही बज़्म में नज़्म खुद की भूल जाता हूँ बड़ा महीं है कुछ भेड़ियों पर लिबादा - अ - आदम रहे महफ़ूज़-अ-इस्मत देख खँजर अख्ल़ाक भूल जाता हूँ इसलिए भी अब सहमे कदमों से आस्ताँ पार होती है इक अब्बा की आबरू हुकूमत का हुकुम-अ-कमंद है किताबी बात ये अमानती भूल जाता हूँ अभी चार-सू वहशियाना है आलम जिस्मानी भूख को इक ख़ाम सी नन्ही परी को दे ये दर्स अज्म बनाता हूँ अब सिर्फ़ खानकाही फकीरी ही नहीं यथेष्ट "आफताबी" भड़के वो शरर हर आवामी कलेजे में जो सदके में खुदा के भूल जाता हूँ सदा जरा हुकूमत तक पहुँचे...🙏 मरकज - बीच में , center महीं - महीन, बारीक इस्मत- इज्ज़त अख्लाक- शिष्टाचार आस्ताँ- दहलीज, चौखट हुकुम-अ-कमंद - फ
सदा जरा हुकूमत तक पहुँचे...🙏 मरकज - बीच में , center महीं - महीन, बारीक इस्मत- इज्ज़त अख्लाक- शिष्टाचार आस्ताँ- दहलीज, चौखट हुकुम-अ-कमंद - फ #Pain #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #mindset #revolution #justice #surajaaftabi
read moreGeetanjali
माँ Read in Caption #mothersday#motherslove#माँ एक ऐसा शब्द है जो भावनाओं से भरा हैं जब भी लबों पर लव्ज़ आता है "माँ" दिल को सुकून मिलता है दिल भ
#MothersDay#MOTHERSLOVE#माँ एक ऐसा शब्द है जो भावनाओं से भरा हैं जब भी लबों पर लव्ज़ आता है "माँ" दिल को सुकून मिलता है दिल भ
read moreamar sangher
मुहब्त का ज़ोर अज्माते हैं चलो बिछड़ जाते हैं ॥ वो दिल में नफरत रखते हैं इछ्क के गीत गाते हैं ॥ देखो बादल बरसा है आयो भीग जाते हैं ॥ चाहे सपनों में सही वोह मिलने आते हैं ॥ रात को रौछ्न करते हैं अपना दिल जलाते हैं ॥ किसी से बच्पन मांगा है थौढा बह्क जाते हैं ॥ वोह मेरा घर ज़ल रहा है एक तस्बीर बनाते हैं ॥ एक ऊमीद अभी तक मरी नही चलो मिलके गला दबाते हैं ॥ तेरे ख़त को ख़त रहने दो मेरे ख़त की कश्ती बहाते हैं ॥ जात-पात की दिवार गिराते हैं मसजिद़ में राम बिठाते हैं ॥ वोह पत्थर तो बस पत्थर है भूक्खे को अंन खिलाते हैं ॥ मैं आज की रात जिन्दां हूँ आज तो जश़न मनाते हैं ॥ © अमर संघर #OpenPoetry मुहब्त का ज़ोर अज्माते हैं चलो बिछड़ जाते हैं ॥ वो दिल में नफरत रखते हैं इछ्क के गीत गाते हैं ॥ देखो बादल बरसा है आयो भीग जाते
#OpenPoetry मुहब्त का ज़ोर अज्माते हैं चलो बिछड़ जाते हैं ॥ वो दिल में नफरत रखते हैं इछ्क के गीत गाते हैं ॥ देखो बादल बरसा है आयो भीग जाते
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