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Meera Ali
सजाए मौत के दर पर खड़ी मैं, खुद की हाज़री दर्ज करा रही हु, उन गलतियों की सज़ा माँग रही हु, जो मैंने कभी की ही नहीं। किसी ने खूब ही कहा है, की सच्चे दिल से मांगों तो खुद भी माफ़ कर देता हैं, लेकिन यहाँ तो इसी सच्चे दिल की दुहाई देते देते आज मैं खुद खुदा के दरबार मे पेशी लगाने आयी हु, उन गलतियों की सज़ा मांग रही हु, जो कभी मैने की ही नहीं। उनके तर्ज़ पे फ़र्ज़ की तबाही उमड़ पड़ी, और उस भोझ के तले मैं ही उस आँधी के हिस्सा बन गयी। और कभी डरने वाली उन आँधियों से आज खुद आँधियों के साथ हो ली बेबाक थी जो कभी बेबस सी रही गयी और उन गलतियों की सज़ा मांग रही है जो कभी उसने की ही नहीँ। किसी ने सही कहा है, सच्चे दिलवालो को खुदा जल्दी बुला लेता है, शायद इसी इंतेज़ार में, खुद खुदा मेरा इंतेज़ार कर रहा था। उस शख्सियत क जिसका नाम 'सच्चाई' था।। सजाए मौत के दर पर खड़ी मैं, खुद की हाज़री दर्ज करा रही हु, उन गलतियों की सज़ा माँग रही हु, जो मैंने कभी की ही नहीं। किसी ने खूब ही कहा है, की स
Namit Raturi
पतलकार भाग - 1 कुछ कडवी बातें होंगी,मुँह मे शहद बनाए रखें । 1. कोई रबिश कुमार यह नहीं पुछेगा ममता बैनर्जी से कि "जय श्री राम" का नारा अपमान जनक कैसे हुआ ? करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का अपमान नहीं दिखा क
Sachin Ratnaparkhe
एक कविता दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगे के खिलाफ नफ़रती आग का तुम मजा लीजिए अपनी आंखो में आंसू सजा लीजिए, लाशे बिछती रही और तुम सोते रहे, मुफ्त में बंट रही वो क़ज़ा लीजिए। उनसे तुम्हारी लाचारी देखी न गई, तुमसे तुम्हारी तरफदारी पूछी न गई, तुम यह वाले हो या फिर वो वाले हो, मौत देने से पूर्व जानकारी की न गई। जो सामने आया उनके वो मरते चले, इक कौम का सफ़ाया वो करते चले, तुम सोते रहो तुमको फर्क क्या, वो मारते चले ओ तुम मरते चले। उनको कभी नहीं था तुमसे कोई वास्ता, तुमने खुद ही चुना था पतन का रास्ता, तुम संपोलो को दूध पिलाते रहे मगर, मौका पाते ही पार कर दी पराकाष्ठा। तुम उनकी नज़रों में काफ़िर ही हो, तुम अलग रास्तों के मुसाफिर ही हो, वो चलते है जब ऐसे चलते है वो, जैसे लेकर तुम्हारी मौत हाज़िर हो। यह कविता व्यंगतामक है जो कुंभकरण की नींद सोते हुए एवम् अपनी दुनिया में खोए हुए हिन्दुओं के प्रति कटाक्ष करती है जिन्हे अपनी अस्तित्व की कोई
🔥Rajdeep saxena🔥
"राजदीप श्री हनुमान प्रिय" #हनुमान प्रिय राजदीप 💪😀 🙈😠minaक्षी goyल😡🙉
aman6.1
राजदीप मौर्य
एक लड़की हैं जिसको मैं जानता हूँ, उसे अपनी जान मानता हूँ, मिला था उससे जब पहली दफ़ा, वो बिल्कुल ऐसी न थी, प्यार मोहब्बत में आ कर वो बदल सी गयी है, दो शब्दो मे दुनिया उसकी सिमट सी गयी है, अब कुछ भी पूछो उससे बस वो ‘अच्छा जी’ ही कहती हैं, इन दो शब्दों में ही अब वो जीती मरती है। हर पल सोचा करती है, कुछ डरी सहमी सी भी रहती है , कुछ राज छिपाय मन में है, कुछ बात दबाये दिल मे है, हर वक़्त उदासी छाती है, खुश फिर भी सबको दिखलाती है, जान मुझे बतलाती है, पर गर पुछु उससे कुछ भी मैं, ‘अच्छा जी’ में ही सर को हिलती हैं……. घर की ज़िम्मेदारियों को उठाती हैं, पत्नी होने का हर फ़र्ज़ भी निभाती हैं, उसे अपनी परवाह बिल्कुल भी न है, दौड़ा भागी में खुद का ख्याल बिल्कुल भी न रख पाती है, रोती है रातो को,गर बात कुछ मेरी उसको बुरी लग जाती है, मैं खुद को कुछ बोलू तो उल्टा मुझसे लड़ने लग जाती है, अंदर से कमजोर है जानता हूं मैं, पर दुनिया को मजबूत दिखती है, गर पुछु उससे कुछ भी मैं, ‘अच्छा जी’ में ही सर को हिलती हैं…….राजदीप एक लड़की...। एक लड़की हैं जिसको मैं जानता हूँ, उसे अपनी जान मानता हूँ, मिला था उससे जब पहली दफ़ा, वो बिल्कुल ऐसी न थी, प्यार मोहब्बत में आ कर
Ashwani Dixit
राजदीप कहने लगे, सुन सागरिका घोष। इस मोदी सरकार में, आओ निकालें दोष।। आओ निकालें दोष, नोट दो हजार का लाये। एक एक रुपये जोड़ दिए, पूरे 2002 बनाये।। तब से कोई मुद्दा हुआ, 2002 पर ही रहते हैं। लॉजिक से मतलब नहीं, भावनाओं में बहते हैं।। राजदीप सरदेसाई - सागरिका घोष और उनका 2002 वाला नोट 😂 #dixitg #politics #Fakejournalism