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Sudhir Sky
साधिकार प्रेम से लिखेगी पत्र रुक्मिणी तो जानती है रुक्मिणी कि कृष्ण स्वम आयेंगे । ©Sudhir Sky # रुक्मिणी
# रुक्मिणी #Poetry
read moreNeel
न साथ हो नदी किनारों सा, कि साथ चलें और मिले नहीं, न साथ हो कृष्ण राधिका सा, कि प्रेम पगे पर कहें नहीं। मेरा साथ हो कृष्ण रुक्मिणी सा, पूरे भी हों पूरक भी हों, मेरा प्रेम रहे महीधर जैसा, कि सधे भी हों साधक भी हों। नील ❣️ ©Neel कृष्ण रुक्मिणी 🍁 #togetherforever
कृष्ण रुक्मिणी 🍁 #togetherforever #शायरी
read moreBhawna
मैंने प्रेम तुमसे अपार किया। तुमने भी प्रेम असीम दिया। सांवरिया मेरे तुम। मै तुम्हारी प्रियतमा रही। लेकिन सुहाग तुम मेरा हो ना सके, ना अर्धांगिनी बन सकी मै तुम्हारी। मै तो तुम्हारी राधा ही रही, कभी न बन सकी तुम्हारी रुक्मिणी। ©Bhawna श्याम की राधा।❤️ श्याम की रुक्मिणी। आपकी हयात। #राधाकृष्ण #रुक्मिणी #प्यार
श्याम की राधा।❤️ श्याम की रुक्मिणी। आपकी हयात। #राधाकृष्ण #रुक्मिणी #प्यार #WallTexture
read moreSourabh Sahu Ganj Basoda
रुक्मिणी होना फिर भी सरल है, किन्तु आसान नहीं प्रेम में राधा हो जाना। ©Sourabh Sahu Ganj Basoda रुक्मिणी होना फिर भी सरल है, किन्तु आसान नहीं प्रेम में राधा हो जाना। #lost
रुक्मिणी होना फिर भी सरल है, किन्तु आसान नहीं प्रेम में राधा हो जाना। #lost
read moreHINDI SAHITYA SAGAR
न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी। साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेरी, नाम उनका हुआ रह गयी मैं पड़ी। ©HINDI SAHITYA SAGAR #कृष्ण #मीरा #राधा #रुक्मिणी न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी। साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेरी, नाम उनका हुआ रह
Neha Singh
#FourLinePoetry .......... ©Neha Singh जग से क्यों मै हार गई? जब तुमको थी स्वीकार। ( रुक्मिणी का कृष्ण से प्रश्न ) #love #shayari #poem #kavita #nojotovedio #nojotohindi #Nojoto #
जग से क्यों मै हार गई? जब तुमको थी स्वीकार। ( रुक्मिणी का कृष्ण से प्रश्न ) #Love #Shayari #poem #kavita #nojotovedio #nojotohindi # #nojotooriginal #fourlinepoetry
read moreDeepak Aggarwal
वो रुक्मिणी नही थी, वो राधा भी नही थी, और मीरा तो कभी नही थी, क्योंकि... मै कभी कृष्ण नही था, वो सिर्फ "वो" थी और मै सिर्फ "मै" था ——————
वो रुक्मिणी नही थी, वो राधा भी नही थी, और मीरा तो कभी नही थी, क्योंकि... मै कभी कृष्ण नही था, वो सिर्फ "वो" थी और मै सिर्फ "मै" था —————— #nojotophoto
read morePARBHASH KMUAR
मनुष्य जब भी प्रेम की परिभाषा के बारे में सोचता है, तो सदैव ही राधा रानी और श्री कृष्ण की एक सुंदर सी छवि उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन क्या आपको पता है, कि श्री कृष्ण की प्रियतमा राधा नहीं, बल्कि रुक्मिणी उनकी पत्नी थीं? और इस विवाह के लिए देवी रुक्मिणी का हरण किया गया था? वेद-पुराण और साहित्य के अनुसार, श्रीकृष्ण की 8 रानियां थीं, जिनसे उन्होंने विधिपूर्वक विवाह किया था। इन 8 रानियों में सबसे पहली थीं, रानी रुक्मिणी। आइए उनके और श्री कृष्ण के विवाह की कथा को जानते हैं। देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा बेहद रोचक है। आज हम आपको बताएंगे, कि आखिर कैसे ये दोनों मिले और यह विवाह संपन्न हुआ। मानवजाति को अपनी लीलाओं की क्रीड़ा दिखाने वाले श्री कृष्ण के काल में, विदर्भ के राजा भीष्मक की एक कथा सुनने को मिलती है। भीष्मक के 5 पुत्रों के अलावा, उनकी एक पुत्री भी थीं, रुक्मिणी। अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और सदाचारी व्यवहार वाली रुक्मिणी, बचपन से ही श्री कृष्ण की साहस और वीरता की कायल थीं। ऐसा भी कहा जाता है, कि उन्होंने श्री कृष्ण द्वारा कंस के वध को भी साक्षात देखा था। जब रुक्मिणी की उम्र विवाह योग्य हुई, तो इसके संबंध में उनके भाई रुक्मी और माता-पिता को चिंता होने लगी। एक बार राजमहल के पुरोहित जी, द्वारिका से भ्रमण करते हुए विदर्भ आए। यहां आकर, वह श्री कृष्ण के रूप और गुणों का वर्णन करने लगे और साथ ही, चित्र के माध्यम से सभी को उनके छवि दर्शन भी कराए। उस वक़्त जब देवी रुक्मिणी ने उन्हें देखा, तो वह भी मोहित हो गईं और मन ही मन उन्हें अपना स्वामी मान बैठीं। अब कठिनाई यह थी, कि देवी रुक्मिणी के पिता और भाई रुक्मी का संबंध, सदैव श्री कृष्ण का अहित चाहने वाले जरासंध, कंस और शिशुपाल से था। यही वजह थी, कि रुक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से होना संभव नहीं था। जब राजनीतिक संबंधों को ध्यान में रखकर शिशुपाल से रुक्मिणी का विवाह उनकी मर्ज़ी के विरुद्ध तय हो गया, तब देवी से रहा नहीं गया और उन्होंने प्रेम पत्र लिखकर ब्राह्मण कन्या सुनन्दा के हाथों, श्री कृष्ण तक पहुंचा दिया। भेजे गए उस पत्र में रुक्मिणी लिखती हैं, “हे नंद-नंदन! मैंने आपको ही पति के रूप में वरण किया है। मैं आपके अतिरिक्त, किसी अन्य पुरुष से विवाह नहीं कर सकती। मेरे पिता और भाई, मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं और विवाह तिथि भी निश्चित है। मेरे कुल की रीति है, कि विवाह पूर्व दुल्हन की वेशभूषा में वधु नगर के बाहर गिरिजा मंदिर में दर्शन प्राप्ति हेतु जाती है। मैं भी वहां जाउंगी। अतः आपसे मेरा निवेदन है, कि आप आएं और मुझे पत्नी के रूप में वहीं स्वीकार करें। अगर आप नहीं आते हैं, तो मैं अपने प्राणों का त्याग करने की मंशा रखती हूँ।” अब भगवान श्री कृष्ण तो स्वयं सृष्टि के रचयिता हैं, उनसे तो कुछ भी छुपा नहीं था। फिर जब उन्हें यह आभास हुआ, कि देवी रुक्मिणी संकट में हैं, तो उन्होंने एक योजना बनाई। जब शिशुपाल बारात लेकर विदर्भ पहुंचा, उससे पहले ही श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम की मदद से रुक्मिणी का हरण कर के वहां से चले गए। हरण के पश्चात श्री कृष्ण ने शंख की ध्वनि से धरती से आसमान तक, इसकी सूचना दे दी और यह देखकर शिशुपाल भी अत्यंत क्रोध में आ गया। वह तुरंत ही श्री कृष्ण के वध की मंशा से निकल पड़ा, लेकिन यहां भी उसके हाथों हार ही लगी और प्रभु, देवी रुक्मिणी समेत द्वारिका की ओर प्रस्थान कर गए। द्वारिका में श्री कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की उत्तम तैयारी हुई और यह विवाह संपन्न हुआ। ऐसा कहा जाता है, कि श्री कृष्ण का हर कर्म एक लीला है, जिसमें जीवन के लिए एक सीख व्याप्त है। इसी प्रकार, श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह से भी हमें यह सीख मिलती है, कि महिलाओं को अपने अधिकार चुनने का पूरा अधिकार है और जब भी मनुष्य अपनी इच्छाओं को प्रभु के समक्ष प्रकट करेगा, तब नारायण स्वयं उसको पूरा करने के लिए अपने आशीष की स्नेह वर्ष करेंगे। अगर आपको यह कथा वृतांत पसंद आया, तो ऐसी ही और भी मनोरम लीलाओं और कहानियों को सुनने के लिए जुड़े रहिये, Sri Mandir के साथ। ©parbhashrajbcnegmailcomm मनुष्य जब भी प्रेम की परिभाषा के बारे में सोचता है, तो सदैव ही राधा रानी और श्री कृष्ण की एक सुंदर सी छवि उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन
मनुष्य जब भी प्रेम की परिभाषा के बारे में सोचता है, तो सदैव ही राधा रानी और श्री कृष्ण की एक सुंदर सी छवि उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन #Knowledge
read morelalitha sai
जीवन में जो भी हो.. जैसा भी परिस्थिति क्यूँ ना हो.. आप हिम्मत मत हारना... क्यूँ की पुराणों में भी हुआ है अभी भी होगा.. जब रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से तय हुआ था.. रुक्मिणी ने अपने कृष्णा के लिए.. एक प्रेम पत्र एक ब्राह्मण के साथ भेज दिया था.. कृष्ण ने वो संदेशा पढ़कर.. रुक्मिणी से विवाह करने के लिए द्वारका से कुण्डीन्नपुर आए थे.. और अंत में कृष्णा और रुक्मिणी का.. विवाह सपन्न हुआ..❤️❤️ #lalithasai #myworld सुनो.. एक बात कहें आपसे.. एक अटूट विश्वास ही सब कामों में अवश्यक है.. पता है आपको.. कृष्णा और राधा कभी एक नहीं हो पाए क
#lalithasai #myworld सुनो.. एक बात कहें आपसे.. एक अटूट विश्वास ही सब कामों में अवश्यक है.. पता है आपको.. कृष्णा और राधा कभी एक नहीं हो पाए क
read moreHINDI SAHITYA SAGAR
न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी। साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेरी, नाम उनका हुआ रह गयी मैं पड़ी। ©HINDI SAHITYA SAGAR #meera #radha #RadhaKrishna #rukmini #Krishna न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी। साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेर
#meera #Radha #RadhaKrishna #rukmini #Krishna न मैं मीरा बनी न ही राधा बनी, देखो बस रह गयी बनके मैं रुक्मिणी। साथ कृष्ण रहे ज़िंदगी भर मेर #Hindi #poem #कविता #hindi_poetry #bhajan #hindisahityasagar
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