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Stories related to mirza asadullah khan ghalib ghazal

Prince Mahi

Mirza Galib ❤️ #Kolkata

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Satya Chandan

#ghazal

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White उस दर्दमंद शख्स को आराम क्या मिले
जिसको दवा मिले न किसी की दुआ मिले
हम लोग साथ साथ हैं तब तक ही ज़िंदगी
जब तक न मेरी मौत को मेरा पता मिले
तुझको भी इंतजार है चाहत के अक्स का
मुझको भी है तलाश कोई आइना मिले
ये क्या कि रोज़ इश्क़ ओ मुहब्बत पे बात हो
अब गुफ्तगू का कोई तो पहलू नया मिले
अपनी उदासियां न किसी को दिखाइए
दुनिया तो चाहती है कोई मुददआ मिले
अहसाँ के तौर पर न मुआफी कुबूल है
मैं हूं गुनाहगार तो मुझको सज़ा मिले
अश्कों की इस किताब को रखिए संभाल करऔर तब दिखाइए जब इसे पारसा मिले
सत्य चंदन

©Satya Chandan #ghazal

Mosam

Naseem Khan

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©Mosam  Naseem Khan

MSA RAMZANI

Ghazal

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मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने 
यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने

चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने 
कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने 

रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने 
ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने

तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी 
अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने

जिस कहानी से तफरीक की बू आती है 
क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने

हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको 
सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने
17/6/15

©MSA RAMZANI Ghazal

MSA RAMZANI

Ghazal

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शहर ए उल्फत में जिसे देखा था 
हू-ब-हू वो तेरे जैसा था

तेरी यादे थी मेरी हमराही 
वरना मैं और घना सहरा था

भीगी भीगी थी निगाहें उसकी 
हिज्र में मेरे वो भी रोया था

आज भी दिल में बसा रखा है 
दर्दे उल्फत जो कभी पाया था

इश्क की तपती हुई राहो मे 
टूटी दीवार का मैं साया था

क्या मुहब्बत में महकते दिन थे 
टूटकर उसने मुझे चाहा था

महकी महकी है, फिजाय रमजानी
कौन ख्वाबो में मेरे आया था

14/10/15-

©MSA RAMZANI Ghazal

Rajneesh Kumar

#ghazal se

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White उसी रफ़्तार से चलती है गाड़ी
तुम्हारे प्यार से चलती है गाड़ी

©Rajneesh Kumar #ghazal se

MSA RAMZANI

Ghazal Tushar Yadav Anupriya

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इस दिल को तेरे प्यार का अरमान बहुत है 
जीने के लिए बस यही सामान बहुत है।

आखों में लहू बनके न बह जाये कलेजा 
सीने में मेरे दर्द का तूफान बहुत है।

अब शक्ल भी अपनी हमे अपनी नहीं लगती 
आईना कई रोज से हैरान बहुत है।

तुम कैसे मसीहा हो दवा क्यों नहीं देते 
मुश्किल में मेरी जान, मेरी जान बहुत है।

अब जींस यहां कोई भी अरजा नहीं भाई 
अरजा है मगर कोई तो इंसान बहुत है।

वह जब भी मिला मुझते मुहब्बत से मिला है 
उस शख्स का मुझ पर एहसान बहुत है।

देखो तो कभी आके मेरा घर भी रमजानी
 इस दिल की तरह बे सरोसामान बहुत है।
7/10/15

©MSA RAMZANI Ghazal Tushar Yadav  Anupriya

MSA RAMZANI

गजल #गजल #गज़ल #gazal #ghazal Anupriya Tushar Yadav Bizzy Boyfire Aabid Khan Malik Malik

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White दिन तुम्हारा है शब तुम्हारी है 
उम्र जिवनी है सब तुम्हारी है।

क्यों न रश्क अपनी जिदगी में करूं 
पहले मेरी थी अब तुम्हारी है।

यह हमे और वह तुम्हे हासिल 
गम हमारा तरब तुम्हारी है।

अपनी समझो न कोई दूर की चीज 
हाथ आ जाये तब तुम्हारी है।

हर तमन्ना चनी गई दिल से 
है अगर, वो तलब तुम्हारी है।

तुम मिले हो न मिल सकोगे हमे 
आरजू बेसबब तुम्हारी है।

अपनी दुनिया बसाओ यह दुनिया 
कब हमारी है कब तुम्हारी है।

क्या करें कोई चारा साज रमजानी 
कैफियत ही अजब तुम्हारी है।
20/10/15

©MSA RAMZANI
  गजल
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Rajat Bhardwaj

White आपसे मेरे ख्वाब मिलते हैं 
इसलिए हम जनाब मिलते हैं 

आपको मिलती है दुआ हर बार 
हमको तो बस अजाब मिलते हैं 

याद तो होगा फरवरी तुमको 
जाने कितने ग़ुलाब मिलते हैं 

उसने की है मेरी नकल यहाँ पर
उसके मेरे जवाब मिलते हैं 

उन घरानो से आते हैं जहाँ पर
सर झुकाकर नवाब मिलते हैं

©Rajat Bhardwaj #sad_qoute #Shayari #ghazal #sad_shayari

दिवाकर

#Ghalib

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White किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
न हो जब दिल ही सीने में तो फिर मुँह में ज़बाँ क्यूँ हो

वो अपनी ख़ू न छोड़ेंगे हम अपनी वज़्अ क्यूँ छोड़ें
सुबुक-सर बन के क्या पूछें कि हम से सरगिराँ क्यूँ हो

वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा
तो फिर ऐ संग-दिल तेरा ही संग-ए-आस्ताँ क्यूँ हो

किया ग़म-ख़्वार ने रुस्वा लगे आग इस मोहब्बत को
न लावे ताब जो ग़म की वो मेरा राज़-दाँ क्यूँ हो

क़फ़स में मुझ से रूदाद-ए-चमन कहते न डर हमदम
गिरी है जिस पे कल बिजली वो मेरा आशियाँ क्यूँ हो

निकाला चाहता है काम क्या ता'नों से तू 'ग़ालिब'
तिरे बे-मेहर कहने से वो तुझ पर मेहरबाँ क्यूँ हो

@ghalib





















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©दिवाकर #Ghalib
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