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Satya Chandan
White उस दर्दमंद शख्स को आराम क्या मिले जिसको दवा मिले न किसी की दुआ मिले हम लोग साथ साथ हैं तब तक ही ज़िंदगी जब तक न मेरी मौत को मेरा पता मिले तुझको भी इंतजार है चाहत के अक्स का मुझको भी है तलाश कोई आइना मिले ये क्या कि रोज़ इश्क़ ओ मुहब्बत पे बात हो अब गुफ्तगू का कोई तो पहलू नया मिले अपनी उदासियां न किसी को दिखाइए दुनिया तो चाहती है कोई मुददआ मिले अहसाँ के तौर पर न मुआफी कुबूल है मैं हूं गुनाहगार तो मुझको सज़ा मिले अश्कों की इस किताब को रखिए संभाल करऔर तब दिखाइए जब इसे पारसा मिले सत्य चंदन ©Satya Chandan #ghazal
MSA RAMZANI
मुल्क में फिरका परस्ती को हवा दी तुमने यानि अंग्रेज की फिर याद दिला दी तुमने चादर असमत की कभी सर पे जला दी तुमने कभी मजलूम की गर्दन भी उड़ा दी तुमने रूह जब छोड गई तन तो सदा दी तुमने ए मसीहाओ बहुत देर लगा दी तुमने तुमने हमदर्दी व इख्लाक की कब्रे खोदी अपने ही मुल्क की तहजीब गवां दी तुमने जिस कहानी से तफरीक की बू आती है क्या कयामत है कि वो बच्चों को सुना दी तुमने हम अगर शमा मुहब्बत भी जलाये तो जलन हो तुमको सारे गुलशन में तो ऐ रमजानी आग लगा दी तुमने 17/6/15 ©MSA RAMZANI Ghazal
Ghazal
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शहर ए उल्फत में जिसे देखा था हू-ब-हू वो तेरे जैसा था तेरी यादे थी मेरी हमराही वरना मैं और घना सहरा था भीगी भीगी थी निगाहें उसकी हिज्र में मेरे वो भी रोया था आज भी दिल में बसा रखा है दर्दे उल्फत जो कभी पाया था इश्क की तपती हुई राहो मे टूटी दीवार का मैं साया था क्या मुहब्बत में महकते दिन थे टूटकर उसने मुझे चाहा था महकी महकी है, फिजाय रमजानी कौन ख्वाबो में मेरे आया था 14/10/15- ©MSA RAMZANI Ghazal
Ghazal
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जुल्फो के झरोको से देखा है किसी ने। फिर तीर निगाहों से फेंका है किसी ने।। हर जख्म सिसकता है जब याद सताती है। सीने से मेरे दिल को खींचा है किसी ने।। इस इश्क का दुश्मन तो मुद्दत से जमाना है। अरमां का नशेमन भी फूंका है किसी ने।। दिन रात गुजरते है यूं तेरे ख्यालो मे। अफसाना ए हसरत भी लिखा है किसी ने।। हम कैद कफ्स मे है सय्याद भी जालिम है। अन्जाम मुहब्बत का सोचा है किसी ने।। कितना भी कोई चाहे रमजानी रुक तो नहीं सकता। क्या जर्फ मेरा यारो देखा है किसी के।। 25/10/15 ©MSA RAMZANI गजल #गजल #गज़ल #ghazal #gazal Tushar Yadav Anupriya maria chohaan Pooja Udeshi Madhiya Mir
MSA RAMZANI
White बड़ी संगी हकीकत हो गई है हमे उनसे मोहब्बत हो गई है दहकने से लगे रुखसार उनके बडी रंगी शरारत हो गई है दर ए महबूब ये पहरे बहुत है बहुत सो को रकाबत हो गई है रकीबो का तो जलना काम है बस उन्हें हमसे अदावत हो गई है जरा देखे कि क्या लिखा है खत में यह हम पे क्यों इनायत हो गई है मै दिन की रोशनी में ख्वाब देखूं कि सतरंगी तबीयत हो गई है गुलो को बाग में खिलते जो देखा हमे हसने की जुर्रत हो गई है 7/9/15 ©MSA RAMZANI बड़ी संगी हकीकत हो गई है #ghazal #gazal #gajal #ghajal
MSA RAMZANI
White दिन तुम्हारा है शब तुम्हारी है उम्र जिवनी है सब तुम्हारी है। क्यों न रश्क अपनी जिदगी में करूं पहले मेरी थी अब तुम्हारी है। यह हमे और वह तुम्हे हासिल गम हमारा तरब तुम्हारी है। अपनी समझो न कोई दूर की चीज हाथ आ जाये तब तुम्हारी है। हर तमन्ना चनी गई दिल से है अगर, वो तलब तुम्हारी है। तुम मिले हो न मिल सकोगे हमे आरजू बेसबब तुम्हारी है। अपनी दुनिया बसाओ यह दुनिया कब हमारी है कब तुम्हारी है। क्या करें कोई चारा साज रमजानी कैफियत ही अजब तुम्हारी है। 20/10/15 ©MSA RAMZANI गजल #गजल #गज़ल #gazal #ghazal Anupriya Tushar Yadav Bizzy Boyfire Aabid Khan Malik Malik
MSA RAMZANI
White मुकददर आजमाने मे जमाने बीत जाते है मुरादे दिल की पाने में जमाने बीत जाते है नहीं रखता अगर हिम्मत कोई इजहार ए उल्फत की जबां पर बात लाने में जमाने बीत जाते हैं मुहब्बत जिन्दगी में बड़ी मुश्किल से मिलती है मगर उसके निभाने में जमाने बीत जाते है अगर इक बार आंखो में अचानक कोई बस जाये उसे दिल से भुलाने ने जमाने बीत जाते है 19/8/15 ©MSA RAMZANI गजल #gazal #ghazal #Shayari Anupriya Deepika, Pandey Pooja Udeshi Raj hasan Tushar Yadav
SZUBAIR KHAN KHAN
White 221 212 2 221 2122 थी आरज़ू कभी कू -ए- यार के निदा की इस शहर जादे के सर-खुश यार के मक़ा की अब जो है वो नहीं अब तो तर्क रहते होंगे बा -खूब जानते हैं वो यार के समा की ख्वाहिश कभी नहीं कि मंसूब की अता हो कुछ तो खबर रही होगी यार के वफ़ा की पूछा बहाल -ए- खिल का हाले नालां का भी मारोज़ -ए- बयां क्या है यार के नज़ा की निस्बत उन्हें ना थी जो हम शौक़ रखते उनका वो ख्वाब नज़रो में ना थे यार के निहा की क्या है "जुबैर"दो पल का शौक़-ए-नज़ारा ये बात उनको कहना ये यार के सज़ा की लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN gazal
gazal
read moreprashant farrukhabadi
कुछ रिश्ते शिकस्त ए फ़रोश निकले वो जाने क्यों मेरी सोच से परे निकले । ऐसा क्या गुनाह किया मैने तेरे साथ वादियों के हसीन पल गैरों के निकले । ©prashant farrukhabadi #shayari#gazal hindi shayari
Azhar Ashiq
White میں تو غزل سنا کے اکیلا کھڑا رہا سب اپنے اپنے چاہنے والوں میں کھو گئے ( کرشن بہاری نور ) . ©Azhar Ashiq #ghazal