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Harshita Dawar
बटोरी है मैंने अपनी आमदनी की अठनिया चिडलडं बज बज कर संभली है रेजगारिया बुनती सपना हो कोई अपना मचा दे धूम बजे किरकारिया हंसी मज़ाक उड़ाते उड़ते एहसास में फिर आएं कुछ उम्मीदों वाली खुशियां ©️ जज़्बात ए हर्षिता #reality #zindagikasafar #lifequotes #yqquotes #yqdidi बटोरी है मैंने अपनी आमदनी की अठनिया चिडलडं बज बज कर संभली है रेजगारिया बुनती सपना हो
सुसि ग़ाफ़िल
जिस्मानी दुनिया का इशारा था उड़ न जाए दुपट्टा हवा के तेज़ से, यहाँ मदमस्त थे लोग चारों तरफ तेरे योवन के लबरेज़ से| पैरों तले जमीन खिसके और खिसके दामन बंदेझ से, देखकर बेवफाईयां तेरी यह इश्क़ लगे मुझे चंगेज़ से| देखकर आंखें वह बोली मुझे तो डर लगे रंगरेज़ से, उसने कई रस्मे नई सीखी है कहानियां पढ़कर अंग्रेज से| बार-बार चिल्लाए मुझे कोई तालुकात नहीं सनसनीख़ेज़ से, आंखें पढ़ूँ वो आंखें ना मिलाए लंबा रिश्ता आंखों के परहेज़ से| दखलअंदाजी मैं करूं वहां पर जहां इश्क़ में किस्सा आए दहेज़ से, हावी हो जाएगा तुम पर इस दुनिया का माहौल खुंरेज़ से| कई सुर्खियां बटोरी है उसने जो पुस्तक उठाई तूने मेज़ से, अब भी वक्त है तुम सीख लो "सुशील" के दिए नसीहत-आमेज़ से| जिस्मानी दुनिया का इशारा था उड़ न जाए दुपट्टा हवा के तेज़ से, यहाँ मदमस्त थे लोग चारों तरफ तेरे योवन के लबरेज़ से| पैरों तले जमीन खिसके और
चाँदनी
Read in caption👇 ©chandni मुद्दते बीत गई आँखों के सिलवटें खर्च किए तुम हर बार रहनुमा जैसे नजर आए धरती की कतआत बेशुमार हिजाब ओढ़े हुए मेरे ज़ख्मों को कुरेदते खोखले से
Nisheeth pandey
आज के आदमी की फितरत को देख एक कोशिश कुझ पंक्तिया लिखने की ..... .............. नीले आकाश को अपनी आगोश में ..... है छुपा लिया काले बादलों ने... चमक चमक कर शोर मचा रहीं है बिजलियाँ .... लगता है आकाश के लिये पागल हो रहीं है बिजलियाँ ... गरज गरज धमका रहा बादल है मची कोहराम सा... जाने कौन रो रहा है आकाश में बेपनाह सा... आँशु टिप टिप उतर आया जमीन पर दर्द बढ़ा कोई झरना सा .... लोग कहते हैं देखो बारिश ने बनाया जमीं दरिया सा.... पी न पाया तुम्हारे आँशु जमीं पर समंदर प्यासे तालाब या दरिया प्यासा प्यासा सा .... तेरे मातम में ऐ आकाश खेत खलियान , गली चौराहे पथ या घरोंदे डूबा डूबा सा .... इंसान की बात है निराली ... तेरी मातम में भी खुशियां बटोरी ,.... काले बादल को घटाएं से नवाज दिया ... तेरी आशुओं के बौछार में खुद को कामरस से घोल दिया ..... तुम्हारे विप्पत्ति की व्यथा में ख़ुद का स्वार्थ ढूंढ लिया ... किसी ने अपनी अपनी मजबूरी का व्यथा गान किया ... किसी ने लुफ्त लिये तेरे बहाये आँशु में भीग भीग प्रेम का फूल खिला लिया.. . इंसान की बात है निराली तेरी मातम में भी खुशियां बटोर लिया .... कोई एक इंसा आकाश के फ़िक्र में नही दिखा ..... नीला आकाश दिख नहीं रहा जाने कहाँ खो गया ...... 🤔 #निशीथ ©Nisheeth pandey #GarajteBaadal आज के आदमी की फितरत को देख एक कोशिश कुझ पंक्तिया लिखने की ..... .............. नीले आकाश को अपनी आगोश में ..... है छुपा लिय
अशेष_शून्य
क्यूंकि तुम मैं ही तो हो__ _______एक पुरुष " प्रेम की पराकाष्ठा" और मैं तुम ही तो हूं___ _____एक स्त्री " पवित्रता की परिसिमा" -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) एक दिन लिखूंगी वो अवशेष , वो स्मृतियां ,वो प्रेम जो तुम्हारे ही हैं मेरे अंतर्मन में उतरते हुए पद चिन्हों में उभरे हैं मेरी धड़कनों पर
Kavi Narendra Gurjar
हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र द्वारा "काव्य-पाठ प्रतियोगिता" आयोजन --------------------- "रात का दर्द है दिन ये जाने को है मेरी
Vikas Sharma Shivaaya'
खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, वो भी काशी के मणिकर्णिका (श्मशान) घाट पर- रंग एकादशी के दूसरे दिन काशी में स्थित श्मशान पर भी चिताओं की भस्मी के साथ होली खेलने की भी एक अनूठी परंपरा भी है,पौराणिक कथाओं के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत शंकरजी से ही मानी जाती है..., मान्यताओं के अनुसार- जब भगवान शिव, पार्वती का गौना करने के लिए आये थे तो उनके साथ भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि नहीं थे, जिनके लिए श्मशान पर चिताओं की भस्मी से होली खेले जाने की परंपरा को बनाया गया..., लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के, चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी यह गीत अड़बंगी भोले बाबा के विचित्र होली की तस्वीर पेश करता है-गाया है बनारस घराने के मशहूर ठुमरी गायक 'पद्म विभूषण' पंडित छन्नूलाल मिश्र ने..., 'श्मशान' जीनवयात्रा की थकान के बाद की अंतिम विश्रामस्थली है-अंतिम यात्रा के दौरान रंग-रोली तो शव को लगाया जाता है लेकिन नीलकंठ देव के चरित्र में इस समय रंग गुलाल नहीं है, जली हुई चिताओं की राख है, जिससे वो होली खेलते हैं..., गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनऊ बाधा ना साजन ना गोरी, ना साजन ना गोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी एक तरफ बृज में कृष्ण और राधा की होली है जो प्रेम का प्रतीक है, लेकिन भगवान शिव की होली उनसे अलग है, उनकी जगह श्मशान है-शंकर जी के होली को देखकर गोपिकाओं का मन भी प्रसन्न हो जाता है-अड़बंगी महराज के साथी भूत-प्रेत हैं, रंगों की जगह जली हुई चिताओं की राख है जिससे वो नाचते-गाते भूतों पर मल देते हैं, नाचत गावत डमरूधारी, छोड़ै सर्प-गरल पिचकारी पीटैं प्रेत-थपोरी दिगंबर खेलैं मसाने में होरी भूतनाथ की मंगल-होरी, देखि सिहाए बिरिज की गोरी धन-धन नाथ अघोरी दिगंबर, खेलैं मसाने में होरी विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज993 से 1000 नाम ) 993 शंखभृत् जिन्होंने पांचजन्य नामक शंख धारण किया हुआ है 994 नन्दकी जिनके पास विद्यामय नामक खडग है 995 चक्री जिनकी आज्ञा से संसारचक्र चल रहा है 996 शार्ङ्गधन्वा जिन्होंने शारंग नामक धनुष धारण किया है 997 गदाधरः जिन्होंने कौमोदकी नामक गदा धारण किया हुआ है 998 रथांगपाणिः जिनके हाथ में रथांग अर्थात चक्र है 999 अक्षोभ्यः जिन्हे क्षोभित नहीं किया जा सकता 1000 सर्वप्रहरणायुधः प्रहार करने वाली सभी वस्तुएं जिनके आयुध हैं हे भगवान् नारायण हमारी रक्षा कीजिये,वही विष्णु भगवान् जिन्होंने वनमाला पहनी है,जिन्होंने गदा, शंख, खडग और चक्र धारण किया हुआ है,वही विष्णु हैं और वही वासुदेव हैं... ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व