Find the Latest Status about बनारसी कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बनारसी कविता.
Sweetu Singh
!!हम बनारसी है साहब!! !!''इज्जत दोगे तो "!! !!इज्जत मिलेंगी😎!! !!वरना बदतमीजी में तो!! हमने पी.एच.डी. हासिल की है #बनारसी...
Shailesh raj upadhyay
हम बनारसी😎 है और साला जब हम बनारस की गलियों में नहीं उलझे तो तेरे प्यार😘 में क्या उलझेगे #####हर हर महादेव##### बनारसी
Raone
बनारसी प्रेम गुलाब सूखा हो चाहे ताज़ा, तुम्हें हरवक्त बनारस याद दिलायेगा । क्षणभर के लिए हीं सही, पर आँखों को ज़रूर नम कर जायेगा ।। जब-जब बन्द करोगे तुम अपनी आँखें, ज़ेहन में बस इक हीं खयाल मंडरायेगा । काश की लौट आता फ़िर से बनारस का पल, और दिल फ़िर से बनारसिया बन यूँ हीं पगलायेगा ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बनारसी प्रेम
नूर
इक फलक पर जल्वागर प्रकाशमान, सुशोभित था इक जी पर नूर बार रोशन चॉद दो थे और दोहरी चाँदनी कल रात को नज़ीर बनारसी !
Nitya Singh
एक बनारसी प्रेमिका अपने प्रियतम से - चल मेरे साथ तुझे बनारस की सैर कराते हैं , शमशान की जलती बुझती राख मलकर चल साथ में धूनी रमाते हैं । घाट की सीढ़ियों पर बैठकर चल मन का मंजीरा बजाते हैं, ठहर तो जरा देख ......वो ढलता हुआ सूरज कैसे लहरों को अपने ओर लिए जा रहा है ....इसी तरह चल तुझे भी अपनी ओर लिए जाते हैं । तन बनारस... मेरा मन भी बनारस... पान, चाय ,चिल्लम और तुम .....बस और क्या चाहिए मुझे ....चल इसी खुशी में धुआँ उड़ाते हैं । आज की शाम सुहागन और रात बंजारन है चल ना इश्क़ का जाम चढ़ाते हैं । #बनारसी इश्क़
Raone
बनारसी प्यार गुलाब सूखा हो चाहे ताज़ा, तुम्हें बनारस याद दिलायेगा । क्षणभर के लिए हीं सही, पर आँखों को ज़रूर नम कर जायेगा ।। जब जब बन्द करोगे आँख, ज़ेहन में बस इक खयाल आयेगा । काश की लौट आता वहीं पल, दिल फ़िर से बनारसिया बन पगलायेगा ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बनारसी प्रेम
Raone
लोग बनारस की गाली नहीं भूल पाते आप बनारसी इश्क़ कैसे भूलोगे ऐ ज़िन्दग़ी मुझे तो बस इसी की फ़िकर है ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बनारसी इश्क़
B Jha
ईश्क ए बनारस में मैं अस्सी घाट हो चुकी हूं! जीवन के यथार्थ को देख मणिकर्णिका अशमसान हो चुकी हूं!! अब ना ख्वाहिश ना तमन्ना ना मुराद है कोई! इक झलक पा के मैं मुक्कमल हो चुकी हूं| ©B Jha #बनारसी _प्रेम
~आचार्य परम्~
काशी ! जहां एक ओर घनी घटाओं तले घाटों पर बैठे युगल जोड़े मन में राग जागृत करते है तो दुसरी ओर मणिकर्णिका में जलते हुए राजा रंक फकीरों के देह मन में सहज विराग उत्पन्न करतें है . जहाँ साक्षात् विश्वास स्वरूप शिव हैं श्रद्धा स्वरूपा माँ अन्नपूर्णा हैं . इसलिए तो इसी काशी में बैठकर गोस्वामी जी ने रामचरितमानस के मंगलाचरण में हीं कह डाला "भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ " ज्ञान ,वैराग्य तथा भक्ति की धारा से सिंचित काशी कठोर से कठोर हृदय को द्रवित करने में सक्षम है । राग , अनुराग , विराग का समन्वय देखना हो तो काशी आ जाओ ©परम् वै बनारसी #WorldAsteroidDay