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Anuj Ray

# इश्क़ छुपता नहीं है" #शायरी

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Madhur Nayan Mishra

Anees "Rahi"

Pinki love status

#IntimateLove #lovestatus हमे आप की जान नही सिर्फ साथ चाहिए, सच्चे इश्क़ का सिर्फ एक एहसास चाहिए, जान तो एक पल मे दी जा सकती है, पर हमे आपकी #nojotohindi

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ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

❤️ इश्क़-ए-चुनाव #19April #लव

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Dil  ✍️इश्क-ए-चुनाव..19 April 

हम इश्क में बेरोजगार हैं साहिब।
हमें दिल❤️ का बटन दबाना है।
तुम पालोगे नफ़रत साहिब,
हमें उनसे प्यार निभाना है।😅

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" ❤️ इश्क़-ए-चुनाव
#19april

Manita kachhap

कस्तूरी इश्क़...! #ishq #fellings #missing_someone Life #untold #nojotoLove

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AYUSH SINGH

#SAD जगाकर लोग अक्सर रातों में खुद चैन से सोते हैं। बो कर बिज़ मोहब्बत की इस दिल में ना जानें कहां खो जाते हैं। छोड़ जाना था तन्हा तो चरागे #शायरी

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Vivek

# इश्क़ #कविता

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दिल धड़कने के लिए काफ़ी है इश्क
तुम रोज़ ही मिलो बाकी है इश्क़...!!!

©Vivek # इश्क़

Himanshi Bharti

रूहानी इश्क़ ❣️ #for #you Love #Poetry

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मुझे तुझसे जिस्मानी नहीं रूह का रिश्ता निभाना है
तुझे किसी और का न होने देकर अपना बनाना है
चाहत तो है कि तुझे कहीं जाने न दें
रखे उम्र भर तुझे अपने पास
तुझे किसी और का होने न दें

न जाने किस वजह से ये चाहत चुप हो जाती है
तुझे खो देने के डर से ये ख़फ़ा हो जाती है
तू नहीं चाहिए फिर भी तू ही चाहिए..ये लाइन
ये लाइन मेरे दिल में चुभ जाती है
 
न जाने कैसी दोस्ती है ये कि 
तेरे बिना तो मेरी रूह मेरे जिस्म से निकल जाती है
प्यार का तो पता नहीं लेकिन
चाहत ज़रूर बढ़ जाती है...

©Himanshi Bharti रूहानी इश्क़ ❣️
 #for #you #Love

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु #कविता #ख्यालों #आरज़ू #तसव्वुर #हिज़्र #मशग़ूल #रफ़ाक़त

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*** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं ,
खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये ,
तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं ,
बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , 
तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये ,
लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं ,
इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं ,
तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं ,
ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी ,
फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं ,
उल्फते-ए-हयात  एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे ,
जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** नुमाइश *** 

" क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं ,
मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से ,
 क्यों ना  तेरा बार बार मु
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