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दीपक झा रुद्रा
कुछ भी हो तो भूल मत जाना मुझे। जब भी मिलना प्यार से मिलना मुझे। एक तुम तक मुख़्तसर है ज़िंदगी। एक तेरे साथ है चलना मुझे। संग दिल है ख़्वाब शीशे का महल। एक कंकर से नहीं ढहना मुझे। प्यार की सारी रवायत याद रख। दूर जाके बेवफ़ा कहना मुझे। शक बनी बुनियाद ना हो प्यार की। सोच लो फिर शौक़ से चुनना मुझे। ये मेरा दिल है किराए का मकाँ। तुम रहो बस प्यार ही करना मुझे। मांँग ले गर चांँद मुझसे चांँदनी। सिर्फ़ "दीपक" है तभी जलना मुझे। ©दीपक झा रुद्रा #गज़ल #तरही_ग़ज़ल #हिंदी_शायरी #Dark
Prerit Modi सफ़र
2122 1212 22/112 वो मुझे अब नज़र नहीं आती मुझको उनकी ख़बर नहीं आती मेरी बातों ने दिल दुखाया है अब कभी भी वो घर नहीं आती मैं ख़यालों में खोया रहता हूँ नींद क्यों रात भर नहीं आती जो हवा लम्स उसका लाती थी वो हवा अब इधर नहीं आती इक सदी इंतिज़ार में गुज़री मर ही जाता अगर नहीं आती माज़ी पल याद मुझको भी आए पास वरना "सफ़र" नहीं आती तरही ग़ज़ल "नींद क्यों रात भर नहीं आती" मिर्ज़ा ग़ालिब #ग़ज़ल #gazal #शायरी #yqbaba #yqdidi #सफ़र_ए_प्रेरित
Pankaj Kumar Mishra Vatsyayan
साथ तुम्हारा मुझको ऐसा लगता है मरुथल मे ज्यूँ मीठा दरिया लगता है सामने तेरे खिला खिला सा लगता है दूर गए तो मन मुरझाया लगता है तुझ में कुछ ऐसे मिलता जाता हूँ, ज्यूँ शक्कर पानी में घुलता सा लगता है क्यूँ लगता है कुछ जाना पहचाना सा चाँद बता तू कौन हमारा लगता है तन चंदन है ओठ गुलाबी बिल्कुल तू बर्फीले शोले के जैसा लगता है कागज़ पर शब्दों से चित्र उकेरे है पंकज इक शायर दीवाना लगता है एक तरही ग़ज़ल....मिसरा-ए-तरह कैफ़ भोपाली साहब की ग़ज़ल से है- "चाँद बता तू कौन हमारा लगता है"
Irfan Khan
मेरे बग़ैर जो गुज़रा वो साल कैसा है ग़नीम पूछ रहा था कि हाल कैसा है। तुम्हारे हुस्न की रानाइयों पे शेर कहे तो अहले हर्फ़ को इस पर मलाल कैसा है। मैं जिसको चूम के मदहोश फिरता रहता था कोई ख़बर तो मिले, अब वो गाल कैसा है। यहां तो मर्ज़ ए कोरोना ने घेर रख्खा है तुम्हारे शह्र में लोगों का हाल कैसा है। गदा गराने सुखन, हो गए हैं अहले सुखन सुख़न के फेल में आख़िर कमाल कैसा है। शब ए विसाल पे क्यों हल्काज़न है हिज़्र की बात मेरे उरूज़ पे आख़िर जवाल कैसा है। #उर्दू #Urdushayari #Gazal पेश है एक तरही ग़ज़ल गनीम = दुश्मन, रानाई =सुन्दरता, अहले हर्फ़ =रचनाकार, गदा गराने सुखन = शायरी की भीख मांगने वाले
Shekhar
मुझे खुद से ज़ियादा आज अपनो पर भरोसा है, मगर क्यों पीठ पर अपना ही कोई वार करता है।(1) हमारे मुल्क में अक्सर ही ऐसा होता रहता है, जिसे कुछ भी नहीं आता है वो सत्ता पे बैठा है।(2) अगर ये ख़ाकी वर्दी वाले रक्षा करते है सबकी, तो फिर हर आदमी क्यों इन पुलिसवालो से डरता है।(3) हमारे बच्चों ने छोड़ा हमें तब जाके हम समझे, परिंदा पर निकलने पे शज़र को छोड़ जाता है।(4) किसी के प्यार में तुम ज़िन्दगी बर्बाद मत करना, किसी के वास्ते कोई न अपनी जान देता है।(5) यहाँ इंसान की कीमत नहीं औहदे की है कीमत, "ये दुनिया है ये दुनिया है इसी का नाम दुनिया है।"(6) न हो मायूस अब तू "अक्स" तू
Vishal Vaid
जख्म दे वो मुस्कुराया देर तक फिर वही खंजर चुभाया देर तक दफ़्न ज़िंदा हो न जाऊँ गम से मैं जिस्म से मलबा हटाया देर तक चाँद को जब तोड़ कर कासा किया घर मिरा फिर जगमगाया देर तक क़त्ल मेरा वो न कर दे आज ही उस की हाँ में सर हिलाया देर तक चैन की इक नींद लेने के लिए जिस्म का बोझा उठाया देर तक साँस कोई फिर न बाकी हो कहीं उस ने फिर सूली चढ़ाया देर तक काँपता सा कुछ लबों पे रख लिया शेर वो ही गुनगुनाया देर तक तरही ग़ज़ल(जिसमे पहले से कहे गए मिसरे /रदीफ पर ग़ज़ल कही गयी हो) लिखने का प्रयास है। कुछ गलती/ गलतियाँ हो तो अवश्य अवगत करा करवायें। *कासा = भ
Satya Prakash Upadhyay
भक्ति के रास्ते मे 3 शत्रु या बाधा हैं। पहला:- का रूप बछड़ा जो कि अज्ञान का स्वरूप है। इसका निवारण प्रभु और गुरु की कृपा से सम्भव है। असत्य वस्सासुर बछड़े के रूप में है, सब कर्म करना सीखा लेकिन भजन करना नही सीखा तो यहाँ की जानकारी बस यहीं तक काम आएगी। लोग कहते हैं जैसा आता है वैसे कर लेते हैं, पर भक्ति के अलावा दूसरे काम को नियम और ढंग से करते हैं,घर और व्यापार बड़ी समझदारी से करते हैं, सब्जी में चीनी नही डालते,किसको पैसा देना और किससे कितना लेना है ये बहुत हिसाब-किताब से करते हैं, पर भक्ति की बात आती है तब जैसे तैसे कर लेते हैं,भगवान साफ दिल देखते हैं,भावना देखते हैं, तब आप हीं फैसला कीजिए आपका हृदय भक्ति में कितना निर्मल है। सन्तो के जीवन से सीखना होगा, नही तो कहीं न कहीं अटक जाइएगा,कबीरदास कहते हैं "माया महा ठगिनी मैं जानी"। बिनु सत्संग विवेक न होई ,राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। गुरु बिनु भवनिधि तरही न कोई,जो विरंचि शंकर सम होई। गुरु के वचन प्रतीति न जेहि,सपनेहु सुख निधि सुलभ न तेहि। आप अभी से नामजप और भगवान के नाम रूप गुण लीला धाम का स्मरण पठन इत्यादि करते रहिए,भगवान आपको सदगुरू से मिला देंगे। ॥जय श्री हरि॥ (part 1,भाग १) satyprabha💕 भक्ति के रास्ते मे 3 शत्रु या बाधा हैं। 1.पहला का रूप बछड़ा जो कि अज्ञान का स्वरूप है। इसका निवारण प्रभु और गुरु की कृपा से सम्भव है। सत्य और