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Anil Ray
किसी भी राष्ट्र की प्रगति को राष्ट्र में वर्तमान महिलाओं की प्रगति से मापन किया जाना चाहिए। ✍🏻...डॉ. भीमराव अम्बेडकर ©Anil Ray बादशाह-ए-कलम..........✍🏻🙏🏻 दुनिया की प्रत्येक विचारधारा ने लाखों-करोड़ो मानवों का रक्त बहाकर एक रक्तरंजित बाढ में स्वयं के वज़ूद को स्थापित
Shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि
केशव पंडित मानसपुत्र नेताजी सुभाषचंद्र बोस
जीवन भाग्य विधाता भईया जीवन भाग्य विधाता 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 ©केशव पंडित मानसपुत्र नेताजी सुभाषचंद्र बोस जीवन भाग्य विधाता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। भूल कहाँ होती मानव से ... पूर्ण कहाँ है ये मानव जो, संपूर्ण बना अब बैठा है । आज विधाता को ठुकराकर , जो ज्ञानी अब बन ऐठा है ।। बता रहा है वो जन-जन को , मुझको पहचाना जायेगा । भूल कहाँ होती मानव से ...। खूबी अपनी बता रहा है , वह घर-घर जाकर लोगों को । पर छुपा रहा वह सबसे अब, बढ़ते दुनिया में रोगों को ।। किए जा रहा नित्य परीक्षण , की ये परचम लहरायेगा । भूल कहाँ होती मानव से ...। संग प्रकृति के संरक्षण को , आहार बनाता जाता है । अपनी सुख सुविधा की खातिर , संसार मिटाया जाता है ।। ऐसे इंसानों को कल तक , शैतान पुकारा जायेगा । भूल कहाँ होती मानव से .... भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। १०/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। भूल कहाँ होती मानव से ... पूर्ण कहाँ है ये म
aru (.....)
भाग्य विधाता है ऊपर बैठा सबका मालिक एक वो ही सब जानता है ✨🧿🪬 अब किसी को किसी से क्या बया करना मालिक के दरबार मे जाते ही सब समस्या हल हो जाना है 🙏🙏💝✨💫🍁 ©aru (.....) #ट्रस्ट🙏🏼🌞 #विधाता #सर्वोपरि #nojo #lovewithhonesty
divya Sharma
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको , प्रेम वही तो भाषा है । फिर भी मानव को पुस्तक की , इतनी अब अभिलाषा है ।। अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको ... सभी पालतू जीव जन्तु तो , होते इसके ज्ञाता हैं । कहीं किसी ने लिखी नही है , सारी देन विधाता है ।। तुम मानव में ही पुस्तक की , देखी अब जिज्ञासा है । अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको ...। पढ़ा लिखा मैं मानूँ तुमको , बोलो तितली क्या कहती । घर के आँगन की गौरैया , सुन क्या-क्या गाती रहती ।। उसकी ऐसी भाषा की अब , बोलो क्या परिभाषा है । अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको ..... गिरगिट की हिलती गर्दन को , कैसे तुम हाँ समझ लिए । बकरी की मैं मैं को तुमने , अपने में मैं जोड़ लिए ।। पढ़े लिखे होकर तुमने , क्यों चुरा लिया भाषा है । अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको .... अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको , प्रेम वही तो भाषा है । फिर भी मानव को पुस्तक की ,इतनी अब अभिलाषा है ।। ०२/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको , प्रेम वही तो भाषा है । फिर भी मानव को पुस्तक की , इतनी अब अभिलाषा है ।। अनपढ़ भी पढ़ लेते जिसको ...
Brijesh Sharma Carpenter Sharma
नादान था मैं जो अपनों में मरता था आज वह अपने नादान है जो हमें मारते हैं ©Brijesh Sharma Carpenter Sharma #BhaiDooj2023 वह रे विधाता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
माहिया छन्द आधारित गीत :- अब गीत मिलन के तुम गाना तब सजनी जब संग रहे हम तुम जीवन है सुख दुख का छोड़ यहाँ रोना यही खेल है जग का जो मिला बहुत है यह और नहीं माँगों जो दिया नही कम यह यह लेख विधाता का अब न उठा उँगली आशीष यही उनका कुछ धीर धरे हम तुम मानव रूप मिला कुछ पुन्य करे हम तुम २८/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR माहिया छन्द आधारित गीत :- अब गीत मिलन के तुम गाना तब सजनी जब संग रहे हम तुम
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- विधाता छन्द छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो । किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।। छुपाने के लिए गलती .... विधाता हम न पहचाने तुम्हारी आज सूरत को । बना बैठा हमारे पास तू अब आज मूरत जो ।। रहे पथ में तुम्हारी हम कि आओगे हमें मिलने । मगर इस बार भी देखा बहुत छुपकर निकलते हो ।। छुपाने के लिए गलती ..... बुरा अंजाम जब होता खता इंसान की होती । न हो कुछ भाग्य में जो तो कमी तकदीर की होती ।। अचानक अब नही आता तुम्हारे द्वार पर कोई । यहाँ पर हादसे जैसे कहानी रोज गढ़ते हो ।। छुपाने किया लिए गलती ...... शरण में आ गया तेरे मुझे भी राह बतलाओ । रहा मझधार में जीवन इसे अब पार लगवाओ ।। यहाँ कोई नही मेरा जिसे अपना कहूँ मैं अब । किया जो कर्म मैने है वही तो आप लिखते हो ।। छुपाने के लिए गलती ... छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो । किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।। ०५/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- विधाता छन्द छुपाने के लिए गलती कहानी खूब रचते हो । किसी का दोष भी अब तुम किसी पर खूब मढ़ते हो ।। छुपाने के लिए गलती ....