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raj khatana
वो AC की दीवानी मैं लू के थपेड़ों में पला हुआ वो गुमती बड़ी कारों में मैं मीलों पैदल चला हुआ !! ©raj khatana वो AC की दीवानी मैं लू के थपेड़ों में पला हुआ वो गुमती बड़ी कारों में मैं मीलों पैदल चला हुआ !! #Hindi #Connection
Mubarak Creation
अमीरी दिल में हो.. तो लोग साइकिल पर भी खुशी मनाते हैं वरना मैंने कारों में भी लोगों को रोते देखा है..!! #mubarakcreation
✍ अमितेश निषाद
Tera Sukhi
जिस्म की चार दिवारी में कैद हूँ मैं नुमाईश कारों में कब से बर्बाद हूँ मैं इस बस्ती में सुना है गोष सस्ता है कोई खरीदो मुझ को जल्लाद हूँ मैं FULL READ IN CAPTION 👇 * चारदीवारी में क़ैद * जिस्म की चार दिवारी में कैद हूँ मैं नुमाईश कारों में कब से बर्बाद हूँ मैं इस बस्ती में सुना है गोष सस्ता है कोई
Wakil Mandal
Technocrat Sanam
पेट्रोल और डीजल दोनों मिल अतरे-दूसरे दिन पब्लिक को ज्वार-भाटा की कला सिखाएंगे खेतों में मगन रहने वाले किसान सड़कों पर लंगर और लाठी खाएंगे 'इत्तू-सी चीज़' (वायरस) का कित्ता बड़ा-लोहा सभी मानेंगे (बचपन में लेख और निबंध लिखने वाले) सयाने असल में प्रकृति और हरियाली का महत्व जानेंगे पुलिस दरोगा और चौकीदार कारों में मास्क लगवाएंगे लाखों की रैली कर 'साहेब' दो ग़ज़ दूरी का पालन करवाएंगे ऑनलाइन चलने वाली क्लास भी बंद हो जायेगी चुन्नू - मुन्नू, चिल्लर पार्टी पूरा घर सिर पर उठाएगी जब पढ़े लिखे अर्थशास्त्री सभी एक एककर फेल हो जाएंगे तब ठेके और नशेड़ी मिलकर देश की अर्थव्यवस्था बचाएंगे महानुभाव कह गए 'सनम' से देखना- फ्यूचर में इतने भी अच्छे दिन आएँगे गिद्ध-विद्ध चील-कौवे मरेंगे भूखे-प्यासे लोग एक दूसरे को नोच-नोचकर खाएंगे ©technocrat_sanam "समय-असमय" (आख़िरी भाग.. Lockdown की मजबूरी समझ कर झेल लीजिए.. 🤗😛🤭🙏 पेट्रोल और डीजल दोनों मिल अतरे-दूसरे दिन पब्लिक को ज्वार-भाटा की कला स
एक अजनबी
हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते हुए, रोटियां सेक रही मां के सामने बैठकर चपर-चपर खाते हुए हमने नहीं रखी बटुए में तस्वीरें, किताबों में गुलाब, अलमारियों में चिट्ठियां हमारे कस्बे में नहीं थे सिनेमाहॉल, पार्क और पब्लिक लाइब्रेरी हम तय करके नहीं मिले, हमने इश्क़ किया जिसमें सब कुछ अनिश्चित था, कहीं अचानक टकरा जाना सड़क पर और हफ़्तों तक न दिखना भी, और उन लड़कियों से किया इश्क़ हमने जिन्हें तमीज़ नहीं थी प्यार की, जिनके सुसंस्कृत घरों की चहारदीवारी में नहीं सिखाई जाती थी प्यार की तहज़ीब हमने उनसे किया इश्क़ जिन्हें हमेशा जल्दी रहती थी,किताबें बदलकर लौट जाने की, मुस्कुराकर चेहरा छिपाने की, मंदिर के कोनों में,अपने हिस्से का चुंबन लेकर,वापस दौड़ जाने की ऊनकी भाभियां उकसाती, समझाती रहती थीं उन्हें,मगर वे साथ लाती थीं सदा गैस पर रखे हुए दूध का, छोटे भाई के साथ का या घर आई मौसी का ताज़ा बहाना, जल्दी लौट जाने का हमने डरपोक, समझदार, सुशील, आज्ञाकारी लड़कियों से इश्क़ किया जो ट्रेन की आवाज़ सुनकर भी काट देती थीं फ़ोन, छूने पर कांप जाया करती थीं, देखने वालों के आने पर, सजकर बैठ जाती थी छुइमुइयां बनकर कपड़ों के न उघड़ने का ख़्याल रखते हुए,सारी रात सोने वाली महीने के कुछ दिनों में, अकारण चिड़चिड़ी हो जाने वाली, अंगूठी, कंगन, बालियों, और गुस्सैल पिताओं से बहुत प्यार करने वाली सच्चरित्र लड़कियों से किया हमने प्यार जो किसी सोमवार, मंगलवार या शुक्रवार की सुबह अचानक विदा हो गईं, सजी हुई कारों में बैठकर, उसी रात उन्होंने फूंका बहुत समर्पण, बेसब्री और उन्माद से अपना सहेजकर रखा हुआ कुंवारापन चुटकी भर लाल पाउडर,और भरे हुए बटुए में अपनी तस्वीर लगवाने के लिए बिकीं, करवाचौथ वाली सादी लड़कियों से ऐसा किया हमने इश्क़ कि चांद, तारों, आसमान को बकते रहे रातभर गालियां खोए सब उन घरों के संस्कार, गुलाबों में घोलकर पी शराब, मांओं से की बदतमीज़ी, होते रहे बर्बाद बेहिसाब। 🌼 ©एक अजनबी #हमने_इश्क_किया #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 #बहुत_मेहनत_लगी_है। हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते ह
Ashish ad A,K
चार पल की है चांदनी फिर छा जाएगा अंधेरा और मूर्ख है वो जो कहता है यह है तेरा और मेरा साथ लेकर कुछ नहीं जाने वाला फिर भी जाएगा चार के कांधो पर अकेला अगर आपको यह शायरी पसंद आए तो कमेंट में बताएं ©jidi kashyap Boy mzn शायरी कारों वाली
गुड़िया तिवारी
औकात की बात न करो, हम जमीन से जुड़े लोग है। अकड़ घमंड तो रौद कर चलते, नए अमीरों के नीव कहा है। ✍️गुड़िया तिवारी ©गुड़िया तिवारी #achievement औकात की बात न कारों...