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BROKENBOY
White छोड़े हैं कितने रास्ते तुमसे मैं क्या कहूँ छोड़े है किसके वास्ते तुमसे मैं क्या कहूँ कई मौत मर चुका हूँ कितना जिया हूँ मैं कुछ लोग मेरे ख़ास थे तुमसे मैं क्या कहूँ मिलते है मुस्करा कर दुनिया से हर सुबह रात कितने उदास थे तुमसे मैं क्या कहूँ वो फेंक देते है सुबह दीवाली का दिया हम रात जिनको रास थे तुमसे मैं क्या कहूँ मेरे दोस्त जैसे अक्सर दिखते थे मुझे लोग सब के सब लिबास थे तुमसे मैं क्या कहूँ गुमां था मिल गया है हमें दर्द का इलाज सब के सब कयास थे तुमसे मैं क्या कहूँ ©BROKENBOY #sad_shayari छोड़े हैं कितने रास्ते तुमसे मैं क्या कहूँ छोड़े है किसके वास्ते तुमसे मैं क्या कहूँ कई मौत मर चुका हूँ कितना जिया हूँ मैं कुछ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम , बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये । चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा , आप भी एक नज़र , इधर निहारिये । बात कहूँ लाख टका , जब-जब तुम्हें तका , दिल कहे एक बार , आप भी पुकारिये । रूप है सलोना यह, दिल न खिलौना यह, बात मेरी मानकर , प्रीत से सँवारिये । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम , बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये । चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा , आप भी एक नज़
Devesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
AwadheshPSRathore_7773
इक वक्त के बाद जब हम कहीं मिले तो मैं चाहूंगी की हम दोनों चाहे भुला चुके हों एक दूजे को चाहे जो भी कारण रहा हो जिसकी वज़ह से हम दोनों किसी वक्त अलग अलग हो गए थे एक दूसरे को देख कर जब हम कहीं ठिठक कर रुके तो बजाए बहुत अप्रत्याशित तरीके से एक दूसरे को देखने के,तुम मेरी आँखों से बहते हुए आंसुओ को पूछने के लिए आसपास नजर घुमाएं बिना मेरे चेहरे को अपने कांपते हाथों से थाम लेना और वो आंसू जो तुम्हारे जाने के बाद बरसों से यही आश देख रहे थे की एक दिन तुम अवश्य आओगे,बह जाने देना उन आंसुओ को जो तुम्हारी याद में आंख की पलकों में जैसे रुके पड़े हुए सुख चुके थे वर्षों से इंतजार करते रहे मेरे आंसू और में कम से कम इतना तो deserve तुमसे तो करते ही होंगे - क्योंकि - 😥 टूट कर प्यार जो किया था तुमसे 😥 ©AwadheshPSRathore_7773 #aaina प्यार के बारे में क्या कहूँ -- "यह ऐसी चीज़ है की जिसे हो जाए उसे हो जाए" सभी प्यार करने वाले चाहे अपने आप से या अपने दोस्तों से या
Pankaj Nishad
Rabindra Kumar Ram
" हसरतें मुकाम से तु वाकिफ़ होगी तो आखिर होगी कैसे, मैं ना कहूँ तो कहीं जया हो जायेगा ये उलफ़ते-ए-एहसास मेंरा. " - रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " हसरतें मुकाम से तु वाकिफ़ होगी तो आखिर होगी कैसे, मैं ना कहूँ तो कहीं जया हो जायेगा ये उलफ़ते-ए-एहसास मेंरा. "
Rameshkumar Mehra Mehra
एक चमक एक कशिश है..... उसकी आंखों में....! थोड़ा प्यार...... थोड़ी मदहोशी है.....!! उसकी मुस्कुराहटा में.... भूल जाता हूँ.... अपना गम,उससे बात करके...!!! कया कहूँ,कितना सुकून है...!!!! उसकी बातों में.....💕 ©Rameshkumar Mehra Mehra # एक चमक,एक कशिश है,उसकी आंखों में,थोडा प्यार,थोड़ी मंदहोशी है,उसकी मुस्कुराहेटा में,भूल जाता हूँ,अपना गम,उससे बात करके,कया कहूँ कितना सुकून
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल आज बीमार दिल की दवा ही नहीं । क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।। एक अफसोस है तुम कहो तो कहूँ । ज़िन्दगी बिन तुम्हारे जिया ही नहीं बन गये आज वहसी इंसान सब । क्या कहूँ आज उनमें खुदा ही नहीं ।। खत लिखे प्रेम के लाख जिसके लिए । बाद उसमें सुना फिर वफ़ा ही नहीं ।। बात मेरी सदा याद रखना यहाँ । एक रघुनाथ जिसमें खता ही नहीं ।। आ गये चाय पर आज घर वो मेरे । बात दिल की कहें तो बुरा ही नहीं ।। तोड़कर आज दिल वो गये मयकदे । कह रहे ज़ाम हमने छुआ ही नहीं ।। ढूंढ लेंगे सितारे हमें एक दिन । वक्त होता सदा बेवफ़ा ही नहीं ।। आज कैसे करे प्रेम दूजा प्रखर । दिल किसी के लिए ये बचा ही नहीं ।। २४/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल आज बीमार दिल की दवा ही नहीं । क्या लबों पे किसी के दुआ ही नहीं ।।
Shivkumar
किसी को मंज़िल की भूख है , तो किसी को पैसों की प्यास है पर सच कहूँ तो , मेरे लिए ये सफर ही ख़ास है। ©Shivkumar #RoadTrip #Nojoto #nojotohindi #Road किसी को #मंज़िल की #भूख है , तो किसी को #पैसों की #प्यास है पर #सच कहूँ तो मेरे लिए ये #सफर ह