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Mr.Poet
पेंन में जिस रंग की स्याही होगी लिखावट भी उसी रंग की होगी ठीक उसी तरह इंसान के मन में जैसे विचार होंगे उसके कर्म भी वैसे ही होंगे। अर्पित गुप्ता पत्रकार/लेखक ©Mr.Poet #snowpark पेंन में जिस रंग की स्याही होगी लिखावट भी उसी रंग की होगी,ठीक उसी तरह इंसान के मन में जैसे विचार होंगे उसके कर्म भी वैसे ही होंगे!
Shalvi Singh
Dil galti kr baitha h
मुझे तुझसे कोई शिकवा या शिकायत नहीं, शायद मेरे नसीब में तेरी चाहत नहीं है, मेरी तकदीर लिखकर खुदा भी मुकर गया, मैंने पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट नहीं है।। ©Dil galti kr baitha h मुझे तुझसे कोई शिकवा या शिकायत नहीं, शायद मेरे नसीब में तेरी चाहत नहीं है, मेरी तकदीर लिखकर खुदा भी मुकर गया, मैंने पूछा तो बोला ये मेरी
दीप बोधि
मैं शरारती नहीं था उसकी, मुस्कुराहट ने बना दिया, डर अब रहा नहीं जमाने का, उसकी अदाओं कीआहट ने भगा दिया। मैं तो नीम ही था बस कोरा, झिंझोड़कर उसने गुलाबी सिलवटबना दिया। 'दीप' लिखना तो क्या था पता नहीं, उसकी मुहब्बत ने लिखावट बना दिया । ©दीप बोधि #romanticstory मैं शरारती नहीं था उसकी, मुस्कुराहट ने बना दिया, डर अब रहा नहीं जमाने का, उसकी अदाओं कीआहट ने भगा दिया। मैं तो नीम ही था बस क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
रूप की इस तरह सजावट है । दूर से दिख रही बनावट है ।।१ पास कुछ भी नही बचा उसके । देख लगती सभी दिखावट है ।।२ देखते आज क्या हमें बाबू । हमें आती नहीं बनावट है ।।३ रंग जो दिख रहा मेरी सूरत पर । देख इसमें नही मिलावट है ।।४ लिख दिया खेद के लिए माफ़ी । जब हुई काम में रुकावट है ।।५ शेर यूँ ही नही लिखे जाते । दर्दे-दिल की यही लिखावट है ।।६ इस तरह कौम पर प्रखर लड़ना । आज इंसान में गिरावट ।।७ ०६/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रूप की इस तरह सजावट है । दूर से दिख रही बनावट है ।।१ पास कुछ भी नही बचा उसके । देख लगती सभी दिखावट है ।।२
HINDI SAHITYA SAGAR
उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है, उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है। गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, पर वो सदा महफूज़ मेरे तन-मन में है। -शैलेन्द्र ©HINDI SAHITYA SAGAR उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है, उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है। गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, पर वो सदा महफूज़ मेरे त
HINDI SAHITYA SAGAR
उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है, उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है। गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, पर वो सदा महफूज़ मेरे तन-मन में है। -शैलेन्द्र ©HINDI SAHITYA SAGAR उसके खतों की ख़ुशबू आज भी मेरे ज़ेहन में है, उसकी लिखावट आज भी मेरे जीवन में है। गुज़रें बेशक़ कितनी मुद्दते ही न क्यों, पर वो सदा महफूज़ मेरे त
Dt Sapna Nova
"अभिन्न" पन्नों पर लिखे हुए जन्द लिखावट नहीं हो तुम, तुम मेरे अप्रतिम संघर्ष का प्रतीक हो, जो मैं कभी बयान नहीं कर सकती हूं, तुम वही अटूट बंधन और विश्वास हो।, इस जटिल दुनियां के अंधकार में, तुम सरलता और सहजता का संगम हो, तुम वो अटूट आस्था हो मेरी , जो मुझसे दूर होकर भी अभिन्न है। ©Dt Sapna Nova #morninglove "अभिन्न" पन्नों पर लिखे हुए जन्द लिखावट नहीं हो तुम, तुम मेरे अप्रतिम संघर्ष का प्रतीक हो, जो मैं कभी बयान नहीं कर सकती हूं, तु
Dil galti kr baitha h
💠💠💠 जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे मैं कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव मैं तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे तेरा सवाल है साकी के ज़िन्दगी क्या है जवाब देता हु पहले मुझे शराब तो दे 💠💠💠 ©Dil galti kr baitha h 💠💠💠 जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे मैं कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव मैं तुझको कैसे पढूंग