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N S Yadav GoldMine
Meri Mati Mera Desh {Bolo Ji Radhey Radhey} मनुष्य को अनुकूल - प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर सुखी - दु:खी नहीं होना चाहिये; क्योंकि इनसे सुखी - दु:खी होने वाला मनुष्य संसार से ऊँचा उठ कर परम आनन्द का अनुभव नहीं कर सकता। ©N S Yadav GoldMine #MeriMatiMeraDesh {Bolo Ji Radhey Radhey} मनुष्य को अनुकूल - प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर सुखी - दु:खी नहीं होना चाहिये; क्योंकि इनसे
Anjali Singhal
The Abhi facts
Anjali Singhal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल सच को मिलती हैं गालियाँ देखो । झूठ पे बजती तालियाँ देखो ।।१ पेट कितना भरा हमारा है । तुम भी आकर ये थालियाँ देखो ।।२ काट कर पेट बेटियाँ पाली । क्या बचा आज झोलियाँ देखो ।।३ नाम ऊँचा जरूर होगा कल । पढ़ रही आज बेटियाँ देखो ।।४ किसका मक़सद हुआ यहाँ पूरा । हर बशर में हैं सिसकियाँ देखो ।।५ वो नहीं फिर मिले कभी हमसे । बन्द जबसे ये खिड़कियाँ देखो ।।६ आह दिल से अगर मिरे निकली । टूट जायेगी फिर बेडियाँ देखो ।।७ पीठ पे मार कर चले ख़ज़ंर । मीठी जिनकी थी बोलियाँ देखो ।।८ रूह तक हो गई प्रखर घायल । भीगती आप आँखियाँ देखो ।।९ २२/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल सच को मिलती हैं गालियाँ देखो । झूठ पे बजती तालियाँ देखो ।।१
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल किसलिए है बेचारी किस्मत । कर्म के आगे हारी किस्मत ।।१ मैं न जानूँ इन रेखाओं को । मेरी तो महतारी किस्मत ।।२ नाम ऊँचा कल होगा मेरा । कर लूँ मैं अब दो धारी किस्मत ।।३ तू भाग्य भरोसे क्यों है बैठा । तेरी तो अभी कुँवारी किस्मत ।।४ वक्त के साथ चला जो भी है । उसकी नही है जुआरी किस्मत ।।५ अब गया मान देखो इस सच को । की अपनी तो दुखयारी किस्मत ।। ६ जो नहीं था अपने जीवन में । क्यों उस पर भी मतिमारी किस्मत ।।७ भूल जो हमने की बचपन में । अब उसका कर्ज उतारी किस्मत ।। ८ कुछ न अब याद प्रखर तुम करना । तुम पर है यह बलिहारी किस्मत ।।९ ३०/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल किसलिए है बेचारी किस्मत । कर्म के आगे हारी किस्मत ।।१
Kulvant Kumar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
वीणादण्ड़ छन्द 121 112 122 222 मिले फिर नया सवेरा जागे जो । न मेहनत से कभी भी भागे जो ।। तभी उदय भाग्य का ऊँचा होगा । न सोच अब क्या यहाँ नीचा होगा ।। १३/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR वीणादण्ड़ छन्द 121 112 122 222 मिले फिर नया सवेरा जागे जो ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है । तुम्हारे लिए चाँद लाने की हसरत है ।।२ हटाकर मैं काँटे तेरे रास्ते के डगर साफ़ सुथरी दिखाने की हसरत है ।।३ करो खूब बेटी सदा नाम जग में । यही कीर्ति तुमको दिलाने की हसरत है ४ महादेव लाए घड़ी वह सुहानी । कि डोली तुम्हारी सजाने की हसरत है ५ कली बाग की तुम हमारी हो पहली । तुम्हें देख कर मुस्कुराने की हसरत है ।। ६ खुशी से मनाए प्रखर दिन तुम्हारा । खुशी आज पूरी जताने की हसरत है ७ १४/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तुझे ऊँचा अफसर बनाने की हसरत है । जहाँ तक पढ़े तू पढ़ाने की हसरत है ।।१ खिलों फूल सा अब हँसाने की हसरत है । तुम्हारे लिए चाँद लाने क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विषय :- आजाद भारत विधा :- सार छन्द ,१६,१२पर यति आजाद भारत की लिखें हम , मिलकर नई कहानी । आओ आज बताएँ सबको , हम सब हिन्दुस्तानी ।। आजाद भारत की लिखें हम.... सबका हक है एक बराबर, यहाँ सभी है ऊँचा । सबकी मंजिल एक यहाँ पर , और एक है कूँचा ।। कदम मिलाकर नारी चलती , थी पुरुषों ने ठानी । उतरी वह विश्वास लिए फिर , करी न आनाकानी ।। आजाद भारत की लिखें हम.... एक कमाए घर भर खाए , नही चलेगा ऐसे । आओ मिलकर काम करे हम , लाए फिर दो पैसे । इसी सोंच ले लिख डाली , देखो एक कहानी । इक के पीछे एक चला फिर , सबको थी हैरानी ।। आजाद भारत की लिखें हम.... बच्चों को स्कूल भेजकर हम , शिक्षित उन्हें बनाएं । और बाल श्रम पर रोक लगे , आवाज हम उठाए ।। आने वाले कल को हम दे , सुंदर एक निशानी । अलग बने पहचान हमारी , देनी हर कुर्बानी । आजाद भारत की लिखें हम.... चाहे जैसा हो कल अपना , साहस बाँधें रहना । यही सूत्र था तब जीवन का , हर मुश्किल से लड़ना । कितना भी हो वक्त बुरा सुन , होगी फिर आसानी । खूब बहेंगी दूध कि नदियाँ , क्यों आखों में पानी । आजाद भारत की लिखें हम ... आजाद भारत की लिखें हम ,मिलकर नई कहानी । आओ आज बताएं सबको , हम सब हिन्दस्तानी ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय :- आजाद भारत विधा :- सार छन्द ,१६,१२पर यति आजाद भारत की लिखें हम , मिलकर नई कहानी । आओ आज बताएँ सबको , हम सब हिन्दुस्तानी ।। आजाद