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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा #कविता

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Village Life सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा ।।
साधू कब तक बोले ।
लोभी मन मत डोले ।।
इच्छा जब बढ़ती है ।
वो तो फिर डसती है ।।
हो जीवन फिर बाधा ।
बोले गिरधर राधा ।।
मीठी सुनकर वाणी ।
दौड़े सब अब प्राणी ।।
सोचा नहिँ कुछ आगे ।
जोड़े मन-मन धागे ।।
१४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा

Pnkj Dixit

🌷💝👰 प्रेम के दोहे साँझ पहर आना प्रिय,छोड़ सब काम धाम। हवाओं पर लिख भेजा, प्रीतम ने पैगाम।।१।। प्रीति रीति निवाह को,सपन सजाय अनेक। सू #story #Hindi #Hum #कविता #nojotohindi #nojotoapp #sabdanchal

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🌷💝👰 प्रेम के दोहे

साँझ पहर आना  प्रिय,छोड़  सब काम धाम।
हवाओं पर लिख भेजा,  प्रीतम   ने पैगाम।।१।।

प्रीति रीति निवाह को,सपन सजाय अनेक।
सूरज पंछी घर चले, पिया मिलन को देख।।२।।

बढ़ती धड़कन देखकर, दिया हाथ को छोड़।
झुके  नैना  बात  करे ,  पिया से  लगी  होड़।।३।।

पश्चिम के आगोश में ,सूरज सन्ध्या  साथ। 
जब साजन सीने लगे , पुष्पित गोरी गात।।४।।

हिंडन धारा दर्ज करे,प्रीत पंकज स्वरूप।
प्रेम संयोग देखकर, निखरा संध्या रूप।।५।।

(काव्य संग्रह:- “प्रेम के दोहे”से)
०४/०३/२०२२
🌷👰💓💝
...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’

©Pnkj Dixit 
🌷💝👰 प्रेम के दोहे

साँझ पहर आना  प्रिय,छोड़  सब काम धाम।
हवाओं पर लिख भेजा,  प्रीतम   ने पैगाम।।१।।

प्रीति रीति निवाह को,सपन सजाय अनेक।
सू

Dr Upama Singh

कहते हैं लोग पहला प्यार नहीं भूलता है सच ही तो कहा है पहला प्यार मांँ बाप ही होते हैं नौ महीने मांँ की कोख में पाते हम अपना वजूद पैदा होते ह #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #kkdrpanchhisingh

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             रचना नंबर – 5   “मांँ पिता”
                  अनुशीर्षक में

 कहते हैं लोग पहला प्यार नहीं भूलता है
सच ही तो कहा है पहला प्यार मांँ बाप ही होते हैं
नौ महीने मांँ की कोख में पाते हम अपना वजूद
पैदा होते ह

Divyanshu Pathak

जब अर्थ का अनर्थ कर दिया जाता है तो हमें ठीक होने वाली बात भी गलत मालूम पड़ती है।लेकिन स्वविवेक से यह ज़रूर चिंतन करना चाहिए कि सही क्या है?कु #yqdidi #yqhindi #परम्परा #yqsahitya #मनुस्मृति #उपासना #पाठकपुराण

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हमारे पुरखों ने उपासना को अनिवार्य बताया।सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के बाद तारे निकलने तक इसका एक मात्र कारण लम्बी आयु और बेहतर स्वास्थ्य था।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
न तिष्ठति तु यः पूर्वां नोपासते यश्च पश्चिमाम्।
स शूद्रवद्बहिष्कार्य: सर्वस्माद् द्विजकर्मणः।।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
यदि तुम प्रातः और सांयकाल में उपासना नहीं करते हो तब तुम शूद्रता को प्राप्त हुए श्रेष्ठ कर्म से बहिष्कृत (विमुख) हो जाओगे।
(मनुस्मृति अध्याय -02 श्लोक - 103) जब अर्थ का अनर्थ कर दिया जाता है तो हमें ठीक होने वाली बात भी गलत मालूम पड़ती है।लेकिन स्वविवेक से यह ज़रूर चिंतन करना चाहिए कि सही क्या है?कु

Rakesh Tiwari

शुभ सन्ध्या। जो जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, वे अपनी राह ख़ुद बनाते हैं। #अपनीधुन #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating

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सुन बंधु अपनी धुन हैं,अपना राग हैं
मैं दुनिया से जुदा,जुदा अपना अंदाज़ हैं
मैं ठहर जाऊँ कहीं भला कैसे?
अल्हड़पन मेरा मिज़ाज हैं
-राकेश तिवारी-
            
              शुभ सन्ध्या।
जो जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करते हैं,
वे अपनी राह ख़ुद बनाते हैं।
#अपनीधुन #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating

Amar Anand

. "गो-महिमा" एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा- नाथ! आपने बताया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति भगवान् क

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गौ-महिमा
नीचे कैप्शन में... .                              "गो-महिमा"

          एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा- नाथ! आपने बताया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति भगवान् क

Itzz Rajatt

और दिन-रात, फिर ना जाने कितनी चाय की प्यालियाँ संध्या चुस्कियां लेकर पी गयी। संध्या के मन में शाम का ख़याल समंदर में लहर की तरह आने लगा। और आ #yqbaba #yqdidi #sandhyaaurshaam

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संध्या और शाम।
Part -3     (मोहे शाम रंग रंग दे)

(Story in Caption)
 और दिन-रात, फिर ना जाने कितनी चाय की प्यालियाँ संध्या चुस्कियां लेकर पी गयी। संध्या के मन में शाम का ख़याल समंदर में लहर की तरह आने लगा। और आ

N S Yadav GoldMine

#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि पुराण में 12 हजार श्लोक, 383 अध्याय उपलब्ध हैं। स्वयं भगवान अग्नि ने महर्षि वशिष्ठ जी को यह पुराण सुनाया था। इसलिये इस पुराण का नाम अग्नि पुराण प्रसिद्ध है। विषयगत एवं लोकोपयोगी अनेकों विद्याओं का समावेश अग्नि पुराण में है।

आग्नेये हि पुराणेस्मिन् सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः     (अग्नि पुराण)

पद्म पुराण में पुराणों को भगवान बिष्णु का मूर्त रूप बताया गया है। उनके विभिन्न अंग ही पुराण कहे गये हैं। इस दष्ष्टि से अग्नि पुराण को श्री हरि का बाँया चरण कहा गया है।

अग्नि पुराण में अनेकों विद्याओं का समन्वय है जिसके अन्तर्गत दीक्षा विधि, सन्ध्या पूजन विधि, भगवान कष्ष्ण के वंश का वर्णन, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, वास्तु पूजा विधि, सम्वत् सरों के नाम, सष्ष्टि वर्णन, अभिषेक विधि, देवालय निर्माण फल, दीपदान व्रत, तिथि व्रत, वार व्रत, दिवस व्रत, मास व्रत, दान महात्म्य, राजधर्म, विविध स्वप्न, शकुन-अपशकुन, स्त्री-पुरूष के शुभाशुभ लक्षण, उत्पात शान्त विधि, रत्न परीक्षा, लिंग का लक्षण, नागों का लक्षण, सर्पदंश की चिकित्सा, गया यात्रा विधि, श्राद्ध कल्प, तत्व दीक्षा, देवता स्थापन विधि, मन्वन्तरों का परिगणन, बलि वैश्वदेव, ग्रह यंत्र, त्र्लोक्य मोहनमंत्र, स्वर्ग-नरक वर्णन, सिद्धि मंत्र, व्याकरण, छन्द शास्त्र, काव्य लक्षण, नाट्यशास्त्र, अलंकार, शब्दकोष, योगांग, भगवद्गीता, रामायण, रूद्र शान्ति, रस, मत्स्य, कूर्म अवतारों की बहुत सी कथायें और विद्याओं से परिपूर्ण इस पुराण का भारतीय संस्कष्त साहित्य में बहुत बड़ा महत्व है।

अग्नि पुराण का फल:-अग्नि पुराण को साक्षात् अग्नि देवता ने अपने मुख से कहा हे। इस पुराण के श्रवण करने से मनुष्य अनेकों विद्याओं का स्वामी बन जाता है। जो ब्रह्मस्वरूप अग्नि पुराण का श्रवण करते हैं, उन्हें भूत-प्रेत, पिशाच आदि का भय नहीं सताता। इस पुराण के श्रवण करने से ब्राह्मण ब्रह्मवेत्ता, क्षत्रिय राजसत्ता का स्वामी, वैश्य धन का स्वामी, शूद्र निरोगी हो जाता है तथा उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में अग्नि पुराण की पुस्तक भी हो, वहाँ विघ्न बाधा, अनर्थ, अपशकुन, चोरी आदि का बिल्कुल भी भय नहीं रहता। इसलिये अग्नि पुराण की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिये।

अग्नि पुराण करवाने का मुहुर्त:-अग्नि पुराण कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। अग्नि पुराण के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन अग्नि पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है।

अग्नि पुराण करने के नियम:-अग्नि पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। अग्नि पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं।

©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प

Pnkj Dixit

🌷💝👰 प्रेम के दोहे साँझ पहर आना प्रिय, छोड़ काम धाम। हवाओं पर लिख भेजा, प्रीतम ने पैगाम।।१।। प्रीति रीति निवाह को,सपन सजाय अनेक। सू

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🌷💝👰 प्रेम के दोहे

साँझ पहर  आना  प्रिय,  छोड़  काम  धाम।
हवाओं पर लिख भेजा,  प्रीतम   ने पैगाम।।१।।

प्रीति रीति निवाह को,सपन सजाय अनेक।
सूरज पंछी घर चले, पिया मिलन को देख।।२।।

बढ़ती धड़कन देखकर, दिया हाथ को छोड़।
झुके  नैना  बात  करे ,  पिया से  लगी  होड़।।३।।

पश्चिम के आगोश में ,सूरज सन्ध्या  साथ। 
जब साजन सीने लगे , पुष्पित गोरी गात।।४।।

हिंडन धारा दर्ज करे,प्रीत पंकज स्वरूप।
प्रेम संयोग देखकर, निखरा संध्या रूप।।५।।

(काव्य संग्रह:- “प्रेम के दोहे”से)
०४/०३/२०२२
🌷👰💓💝
...✍️कमल शर्मा‘बेधड़क’

©Pnkj Dixit 🌷💝👰 प्रेम के दोहे

साँझ पहर  आना  प्रिय,  छोड़  काम  धाम।
हवाओं पर लिख भेजा,  प्रीतम   ने पैगाम।।१।।

प्रीति रीति निवाह को,सपन सजाय अनेक।
सू

कवि राहुल पाल 🔵

शुभ सन्ध्या ❤️🌹 #KRP nojoto #nojotowriters #nojotohindi #nojotonews #thought #विचार

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पेट की आग अग्नि परिवार को

©कवि राहुल पाल शुभ सन्ध्या ❤️🌹
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