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Asha Giri
परिस्थिति की स्थिति नही सँभाल सके वो कुछ कहीं मनुष्य है उलझ रहा जाल में पथभ्रष्ट की। नवीनीकरण,आधुनीकीकरण के नाम से चल रहे प्रयोग, ध्येय है सभी का,प्रशस्त करे सुलभ मार्ग जीवन पद्धत की। चाहते सभी विलास भोग की वो गुजा़र ले, इसी भाव को लिए मनुष्यता को कुछ भुला भी ले। न कष्ट औरों की सोंचते न देखते उनकी संवेदना, स्वार्थ में लिप्त होके करते अपनी हर पूर्ण कामना। भुला रहा हर मनुष्य अर्थ "मनुष्यता"का देखो आज। झेल रहा मार भी समय की,न रख रहा है लाज।। (Read in the same way as ..मैथिलीशरण जी की कवितानुसार पढे) नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH30 के साथ और "मनुष्यता" पर कविता लिखें। (मूल कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा) • समय सीमा :
नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH30 के साथ और "मनुष्यता" पर कविता लिखें। (मूल कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा) • समय सीमा : #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #NAPOWRIMO #yqrestzone
read moreSangeeta Patidar
मरना कोई अंत नहीं बल्कि एक नयी शुरूआत है, बिछड़ कर मिलने से होती फिर नयी मुलाक़ात है। यादें हों मुस्कुराती हुईं कि कभी कोई भुला न पाये, जाने के बाद भी रहें हम ज़िन्दा, यही तो सौग़ात है। अपना ही अपने के काम न आये तो कैसी ज़िंदगी, दो पल उनके साथ रहना ही, ख़ुशियों में बर्कात है। दाएँ-बाएँ के साथ ऊपर भी नज़र अपनी रखना है, अनजान नहीं, पल भर में करता फिर हिसाबात है। कुछ अच्छा करोगी तभी याद रखी जाओगी 'धुन', आजकल दुनिया-भर में वैसे ही बड़े बुरे हालात हैं। नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH30 के साथ और "मनुष्यता" पर कविता लिखें। (मूल कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा) • समय सीमा :
नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस RzPoWriMoH30 के साथ और "मनुष्यता" पर कविता लिखें। (मूल कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा) • समय सीमा :
read moreSangita Hazarika
यहाँ मनुष्य तो हर कोई है मगर मनुष्यता हर किसी मे नही है नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH30 के साथ और "मनुष्यता" पर कविता लिखें। (मूल कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा) • समय सीमा :
नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH30 के साथ और "मनुष्यता" पर कविता लिखें। (मूल कविता मैथिलीशरण गुप्त द्वारा) • समय सीमा : #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #NAPOWRIMO #yqrestzone #sangitahazarika_yq
read moreSandhya Rani Das
ए कैसा घमंड हैं तेरी जिसमे तेरी औकात दिखाई दे रही हैं तुझे ए नहीं पता कि तेरे पीठ पीछे क्या बातें कर रहे हैं । कभी मुड़ के सुनना तेरी बातों को तुझे एहसास होगा तु कितनी बुरी हैं इसके बाद भी अगर तु ना सुधारा तु मनुष्य होने की लायक नहीं हैं । # मनुष्यता # घमंड #
# मनुष्यता # घमंड #
read moreSandhya Rani Das
ए कैसा घमंड हैं तेरी जिसमे तेरी औकात दिखाई दे रही हैं तुझे ए नहीं पता कि तेरे पीठ पीछे क्या बातें कर रहे हैं । कभी मुड़ के सुनना तेरी बातों को तुझे एहसास होगा तु कितनी बुरी हैं इसके बाद भी अगर तु ना सुधारा तु मनुष्य होने की लायक नहीं हैं । # मनुष्यता # घमंड #
# मनुष्यता # घमंड #
read moreParasram Arora
मंदिर मस्जिद और चर्च मे जाने वालो मे शायद ही कोई ऐसा हो जिनको ईश्वर उपलब्द हुआ हो हा मनुष्यो को और मनुष्यता को खंडित करने मे इन. तथाकथित धार्मिक मनुष्यो ने अपनी i सहभागिता जरूर निभाई है विश्व मे जितने भी ईश्वर और उनके धर्मवलम्बी लोग है इनके नाम पर इतनी हत्याये इतनी हिंसा के आरोप है.. कि उनका कोई हिसाब ही नहीं है ©Parasram Arora मनुष्य और मनुष्यता
मनुष्य और मनुष्यता #कविता
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