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Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं
INDIA CORE NEWS
Mahendra
Devesh Dixit
दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही सुलझी नहीं, बिगड़ गये हालात। खींचा तानी ये करें, देते भी आघात।। मन मुटाव भी कम नहीं, खड़ी हुई दीवार। जंग छिड़ी है देखलो, निकल गये हथियार।। अब सबको ही चाहिए, अपना घर परिवार। एक साथ मिलकर नहीं, रहने को तैयार।। कैसी ये दीवार है, होते सब आघात। बेचैनी भी बढ़ रही, हो दिन या फिर रात।। कलयुग का ये है समय, चुभा रहे हैं शूल। अलग हुए जब से वही, तब से सब अनुकूल।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दीवार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही
Ashutosh Mishra
White ना ज़ाने कब हम इतने करीब आ गए यूं ही साथ चलते चलते। अहसास हुआ मगर दूर जाने के बाद कितने अजीब हैं ये प्यार के रास्ते। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Road ना जाने कब इतने करीब आ गए यूं ही साथ चलते चलते। अहसास हुआ तब जब हम दूर हो गए कितने मासूम हैं ये प्यार के रास्ते। #रास्ते #साथ चलते च
Chinka Upadhyay
टूटा हो दिल तो दुःख होता है करके मोहब्बत किसी से ये दिल रोता है दर्द का एहसास तो तब होता है जब किसी से मोहब्बत हो और उसके दिल में कोई और होता है ©Chinka Upadhyay दर्द का अहसास तो तब होता है।😔😔 #matangiupadhyay #Nojoto #love #thought #SAD
Shivkumar
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II . श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II . दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II . माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II . आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I जो इनका पूजन करे, उसका बेडा पार II . शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II . शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II . माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II . गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II . हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II . महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्
gaTTubaba
Beautiful Moon Night जब पहुंच रहे थे तरक्की की लिफ्ट से ऊपर अगली मंजिल की ओर तब शीशे में अपने आप को खुद की नजर में गिरते हुए देखा ... जिनको गलत समझ रहे थे उनमें सही को देखा क्योंकि कागज के सिवा हमने और क्या देखा ? जिसने ना रूप देखा ना धन देखा ना देखी असलियत और ना मन देखा उन आंखों में देखकर भी हमने इश्क क्यों नहीं देखा ? जो आ रहा था नजर गलत शायद वो भी सही हो हमने गलत से पर्दा हटाकर कब देखा ? तुम क्यों कहती हो ? वो हमारे पास नहीं बताओ तुमने हमारा दिल खोलकर कब देखा ? ©gaTTubaba #beautifulmoon जब पहुंच रहे थे तरक्की की लिफ्ट से ऊपर अगली मंजिल की ओर तब शीशे में अपने आप को खुद की नजर में गिरते हुए देखा ... जिनको गल
Devesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
paritosh@run
ढूंढते रहोगे उम्र भर तुम मेरे जैसा, नहीं मिलेगा कोई तब पछताओगे। अभी तो सब कुछ सच्चा लगता है, सब के सब झूठे निकलेंगे तब पछताओगे। इश्क़ फरेबी तुम्हें लगता है अभी तो मेरा, फरेब की हदों से गुजरोगे तब पछताओगे। बेहिसाब मोहब्बत ठुकरा के तुम मेरी, तिनका तिनका जोड़ोगे तब पछताओगे। मेरे हालातों को न समझा अभी तुमने, हालात तुम्हें जब समझाएंगे तब पछताओगे। तुम्हारी जिन नादानियों को हँस कर भूला दिया मैंने, हर एक बात दिल पर ले लेगा कोई तब पछताओगे। तुम्हें गर लगता है के टूट गया हूँ मैं तुमसे बिछड़ के, मेरी मुस्कुराहट से जब भी मिलोगे तब पछताओगे। ©paritosh@run तब पछताओगे... AD Grk Dr Imran Hassan Barbhuiya Ruchi Rathore Anshu writer RAVINANDAN Tiwari suwarta Satyaprem Upadhyay h m alam s Mukesh Po