बचपना रोता है बोझ शब्द सुनकर, परिपक्वता सच्चाई जानती है।
बेटियां नहीं हमारे पिता पति भाई बोझ नाकाबिल हैं जिनकी वजह से हम घर के कामों में ही #Shayari
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Manya Parmar
वे जो बच्चियां कामयाब हुई है नाम रोशन किया है अपना और अपने अपनो का उन्हें उतनी मात्रा में शिक्षा, साथ, समय,पैसा और अपनो का सहारा मिला जिसके #Motivational
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Manya Parmar
बहनें पढ़ती है तो उनको घर के काम में ना लगाना जितनी जिम्मेदारी मां पिता की है उससे कई ज्यादा भाई की है क्योंकि वो खुद को रक्षक मानता है बहन #Motivational
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Manya Parmar
पिता तो जानते है दुनियादारी, सबसे ज्यादा समझ होती है उनमें, अगर वाकई होता पितृ सत्तात्मक समाज तो हर बेटी कामयाब काबिल, शोषण ना सहने वाली, बे #Motivational#घरेलूहिंसा#MissionMaanyMaang
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Manya Parmar
तुम खुद को कमज़ोर या बोझ ना समझना, समझी?
वरना औरत को कितने साजों श्रृंगार के सामानों की जरूरत होती है लेकिन बेटियां अपनी इच्छाएं मारती है क #Motivational#घरेलूहिंसा#MissionMaanyMaang